जंगली फलों से बनती है ब्यूटी क्रीम

ब्यूटी क्रीम बनाने वाली कंपनियां अपने विज्ञापनों में भले ही किसी भी निर्माण प्रक्रिया का हवाला दें. लेकिन सच यह है कि ब्यूटी क्रीम्स को छत्तीसगढ़ के जंगली फलों और औषधियों से बनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाले 'तीखुर' को विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में साबूदाना बनाया जाता है. बस्तर में पाए जाने वाले कोचई, तीखुर, जिमिकंद, शकरकंद, मिश्रीकंद, रतालू और केऊ कांदा से ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाए जाते हैं. इन जंगली फलों को मुंबई एवं गुजरात के रास्ते विदेशों में भेजा जाता है जहां इन फलों को यूज करके ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाए जाते हैं.

स्टार्च से बनता है कैप्सूल

महंगे-महंगे कैप्सूलों में यूज होने वाले खोल को भी ऐसे ही जंगली उत्पादों से बनाया जाता है. मसलन छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में जिमीकंद, कोचई, शकरकंद, मिश्रीकंद, सिमलीकंद, रसालू और केऊनकंदा पैदा होता है. इन प्रॉडक्ट्स में स्टार्च की अधिकता होने के कारण इनसे कैप्सूल का खोल बनाया जाता है. चूंकि स्टार्च पानी में घुलनशील होता है और मानव शरीर पर कोई बुरा असर नहीं छोड़ता है. इसलिए दवाओं में इस जंगली उत्पाद को यूज किया जाता है.

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