फैक्ट फाइल

- 47 कुल एडेड कॉलेज

- 2500 कुल यूजी शिक्षक

- यूजी के शिक्षकों को पीएचडी कराने के लिए किया गया खेल

- किसी भी कॉलेज में साइंस फैकेल्टी में नहीं है मानक अनुरूप लैब

- एलयू प्रशासन ने बिना जांच बता दिया रिसर्च के अनुरूप है लैब

- नैक में केकेसी और आईआईटी को ए ग्रेड मिलने के बाद भी लैब की हालत खस्ता

- यूजी शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए स्टूडेंट्स के फ्यूचर के साथ खिलवाड़

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन इस साल से अपने राजकीय और एडेट कॉलेजों में यूजी में पढ़ा रहे शिक्षकों को पीएचडी कराने की अनुमति देने जा रहा है। इसके लिए थर्सडे को वीसी प्रो। एसपी सिंह की अध्यक्षता में बैठक होनी है। जिस पर इस मामले के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा होने के बाद उसे मंजूरी दी जानी है। पर

फ्यूचर से कर रहे खिलवाड़

इस फैसले से जहां यूनिवर्सिटी प्रशासन इन कॉलेजों के यूजी शिक्षकों को बढ़ावा देने और उनके प्रमोशन की राह आसान करने की कोशिश कर रहा है। वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी इन कॉलेजों में पीएचडी के लिए अवार्ड होने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में जुटा हुआ है। यूनिवर्सिटी की साइंस फैकेल्टी के सूत्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इन कॉलेजों की लैब को बिना जांचे पीएचडी कराने के लिए एनओसी दे दी गई है। जबकि इन कॉलेजों के साइंस फैकेल्टी की लैब की स्थिति इंटरमीडिएट के कॉलेजों के स्तर की भी नहीं हैं। ऐसे में कैसे इन कॉलेजों में पीएचडी संभव है।

लैब की जांच नहीं हुई

यूजीसी की ओर से रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थाओं में बेहतर लैब होने की बात कही जाती है ताकि इन संस्थाओं में पीएचडी करने आने वाले स्टूडेंट्स को बेहतर सुविधा मिल सके। पर, एलयू से संबद्ध ज्यादातर कॉलेजों में लैब की व्यवस्था मानक के अनुरूप तो दूर साधारण प्रैक्टिकल लायक भी नहीं है। एलयू से संबद्ध लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज की साइंस फैकेल्टी में फिजिक्स और केमेस्ट्री की लैब सबसे बेहतर मानी जाती थी। इस कॉलेज की केमेस्ट्री की लैब एलयू से भी बेहतर थी, लेकिन इस विभाग की एचओडी की ओर से कार्यभार ग्रहण करते है इसे बंद करा दिया गया। वहीं केवल केकेसी, आईईटी और नेशनल कॉलेज को नैक से असेसमेंट में ए ग्रेड मिला है। पर, इनके लैब भी पीएचडी कराने के मानकों के अनुसार नहीं बताएं जा रहे हैं। एलयू के सूत्रों ने सवाल उठाया है कि वीसी और रजिस्ट्रार ने कब इन कॉलेजों की लैब की जांच कराई है। जो बिना इसे देखे एनओसी जारी कर दी गई। अब पीएचडी कराने की मंजूरी दी जा रही है।

अभी तक नहीं दी डिटेल

एलयू के साइंस फैकेल्टी के सूत्रों का कहना है कि किसी कॉलेज ने अभी तक अपने लैब की रिपोर्ट डीन को नहीं जमा करायी है और न ही डीन के स्तर से कोई टीम भेजकर इनकी जांच की गई, तो एनओसी कैसे दी जा सकती है। साथ ही रिसर्च के लिए कॉलेजों की ओर से किन-किन संस्थाओं से लैब, लाइब्रेरी या दूसरे संसाधनों के प्रयोग के लिए एमओयू किया गया है। इसकी डिटेल दी गई है। यहां तक एलयू से जुड़े खुद के कॉलेजों का एलयू से साइंस फैकेल्टी के लैब के प्रयोग करने की अनुमति तक नहीं दी गई है। ऐसे में किस आधार पर यूनिवर्सिटी प्रशासन एनओसी दे सकता है।

लाइब्रेरी का भी बुरा हाल

एलयू के कई एडेड कॉलेजों की लाइब्रेरी का हालात भी ऐसा ही है, वहां रिसर्च के लिए कोई जर्नल, बुक्स या पब्लिकेशन तक नहीं मौजूद नहीं है। ऐसे में जो स्टूडेंट्स इन कॉलेजों में पीएचडी कराने के लिए भेजे जाएंगे। वह रिसर्च के लिए किसी की लाइब्रेरी और लैब का प्रयोग करेंगे। इस पर यूनिवर्सिटी की ओर से कोई विचार नहीं किया गया है।

कॉलेजों के लाइब्रेरी और लैब की हालात काफी खराब है। एलयू को इनकी जांच करने के बाद ही स्टूडेंट्स को पीएचडी के लिए अवार्ड करना चाहिए। ऐसा न करने से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।

प्रो। मौलेंदु मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष, लुआक्टा