- मेडिकल स्टोर के लाइसेंस के लिए फार्मेसी काउंसिल से होगा ऑनलाइन वेरीफिकेशन

- आप भी कर सकते हैं मेडिकल स्टोर रजिस्ट्रेशन की जांच

LUCKNOW: दवा की दुकानों पर फर्जी सर्टिफिकेट या फिर फर्मासिस्ट के फर्जी दस्तावेजों या चोरी से किसी फार्मासिस्ट के दस्तावेज प्रयोग करना अब महंगा पड़ेगा। ऐसा पाए जाने पर फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफएसडीए) के ड्रग इंस्पेक्टर सीधे विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराएंगे।

संयुक्त बैठक में लिया निर्णय

स्टेट फार्मेसी काउंसिल और एफएसडीए के औषधि आयुक्त, औषधि नियंत्रक की संयुक्त बैठक में इसका निर्णय लिया गया। फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि कुछ जनपदों मे फार्मासिस्टों के फर्जी प्रपत्र लगाये जाने, मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्टों की अनिवार्यता को कड़ाई से लागू किये जाने सहित अनेक मुद्दों पर ठोस रणनीति तय की गयी।

वेबसाइट से होगा वेरीफिकेशन

निर्णय के तहत अब फार्मेसी कांउसिल की वेबसाइट से फार्मासिस्ट वेरीफिकेशन के बाद ही मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस जारी किए जाएंगे और उनका नवीनीकरण किया जाएगा। फर्जी पाए गए प्रपत्रों के के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। साथ ही वेबसाइट से जाने फार्मासिस्ट की संबद्धता इसके साथ ही फार्मासिस्ट अब अपने नाम या पंजीकरण संख्या की सहायता से मेडिकल स्टोर्स के साथ संबद्धता की जांच कर सकेंगे। कई बार यह शिकायतें मिलती थी कि फार्मासिस्ट की जानकारी के बिना ही उनके प्रमाण पत्र के आधार पर मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस जारी कर दिए जाते थे। पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन किए जाने के बाद से ऐसे बहुत से मामले पकड़ में आ रहे हैं ओर लाइसेंस भी निरस्त किए जा रहे हैं। अब फार्मासिस्ट स्वयं वेबसाइट की सहायता से अपनी संबद्धता जांच सकेंगे और अगर कहीं बिना जानकारी के उनके नाम से लाइसेंस है तो एफएसडीए और फार्मेसी काउंसिल से शिकायत कर सकेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में वर्तमान में 68 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट हैं जबकि मेडिकल स्टोर्स की संख्या कहीं अधिक है। संबद्धता की जांच के लिए द्धह्लह्लश्च://ह्वश्चद्घह्यस्त्रड्डस्त्रह्मह्वद्द.द्दश्र1.द्बठ्ठ/ह्यद्गह्मट्ठस्द्गड्डह्मष्द्ध.ड्डह्यश्च3 पर जा सकते हैं।