कहीं आपकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब तो नही


Check your sleep cycle





Example one
ममफोर्डगंज की रहने वाली सरिता (परिवर्तित नाम) की शादी एक साल पहले हुई थी। शादी के बाद पता चला कि उसके हस्बैंड को नींद में पैर फेकने और बड़बड़ाने की हैबिट है। इससे वह बुरी तरह डर गई। कुछ महीने बाद उसने इसकी शिकायत घरवालों से की। फिलहाल पेशेंट का इलाज चल रहा है.

Example two

कुछ ऐसी ही कहानी खुल्दाबाद के दीपक (परिवर्तित नाम) की भी है। उसकी वाइफ को भी ऐसी ही डिजीज है। काफी दिनो तक वह इसे अवॉयड करता रहा लेकिन बाद में दिक्कत बढ़ी तो उसने डॉक्टर से सलाह ली। डायग्नोसिस में पता चला कि पेशेंट एक कॉल सेंटर में जॉब करती है। अक्सर नाइट ड्यूटी होने की वजह से उसकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो गई है. 



Allahabad : मूवी में यह सीन देखकर भले भी आप भूल चुके हों लेकिन इसे याद रखने और उसके अनुसार अपने को चेक करने में ही आपकी भलाई है। मूवी में तो सॉरी बोलने से काम चल गया लेकिन रीयल लाइफ में ऐसा होना जरा मुश्किल है। मूवी का यह सीन दरअसल एक खतरनाक बीमारी की ओर इशारा करता है। जिससे प्रजेंट में 70 फीसदी से अधिक लोग परेशान हैं। भागम भाग भरी लाइफ स्टाइल के शिकार लोगों की स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने से यह प्रॉब्लम बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से कपल्स के बीच भी दूरियां बढ़ रही हैं।  

कभी अपने पार्टनर से पूछकर देखिए

मैरिड हैं तो कभी अपने पार्टनर से पूछिए कि नींद में आप कितनी बार बड़बड़ाते हैं और हाथ-पैर फेंकते हैं। हो सकता है आपका पार्टनर सामने सच बोल दे तो सरप्राइज मत होइएगा। असलियत ही यही है। एक्स्ट्रा वर्क लोड और माडर्न लाइफ स्टाइल की वजह से लोगों की नींद कम होती जा रही है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी आठ की जगह अब लोग पांच से छह घंटे भी भरपूर नींद नहीं ले पा रहे हैं। नतीजा है कि एक बार स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो गई तो फिर यह क्रम लंबे समय तक चलता है और लोगों को इस बीमारी का पता भी नहीं चलता। 20 से 45 साल की एजग्रुप में यह सिम्प्टम्स तेजी से बढ़ रहे हैं. 

ताउम्र हो सकती है problem


आमतौर पर लोगों को इस डिजीज के बारे में जानकारी नहीं हो पाती है। शुरुआत में इसे लाइटली लिया जाता है। एक बार यह हैबिट पड़ गई तो ताउम्र पीछा नहीं छोड़ती है। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि 70 फीसदी से अधिक लोग इससे पीडि़त हैं और इनमें यंगस्टर्स की संख्या ज्यादा है। जब कभी यह प्रॉब्लम बढ़ जाती है तो लोग नींद में चहल-कदमी भी करने लगते हैं। ऐसे पेश्ेांट्स दूसरों के मुकाबले सपने भी बहुत ज्यादा देखते हैं. 

क्या हैं रीजंस
-सही पॉश्चर में सोने की हैबिट न होना.
-लेट नाइट तक वर्क करना या घूमना-पार्टी एंज्वॉय करना.
-सिगरेट या वाइन का ज्यादा यूज करना.
-चेस्ट या ब्रेन की बीमारी होने पर भी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होती है.
-लेट नाइट तक बेड पर लेटकर टीवी देखने की हैबिट.

ऐसे बचा जा सकता है
-टाइमली सोने की आदत डालें। आठ घंटे की नींद बेहद जरूरी है.
-स्ट्रेस से बचें क्योंकि इससे नींद न आने की बीमारी होने के चांसेज होते हैं.
-नशे से दूर रहें। चेन स्मोकिंग या रेगुलर ड्रिंकिंग से बचें.
-सिम्प्टम्स सामने आने के बाद डॉक्टरी सलाह जरूर लें.
-अपने पार्टनर से छिपाएं नहीं बल्कि उसे सबकुछ बताकर उसकी हेल्प लें.



आमतौर पर लोग इस बीमारी को कॉमन मानते हैं। इससे आगे चलकर काफी दिक्कतें पेश आती हैं। स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने का मेन रीजन लाइफ स्टाइल में चेंज और स्ट्रेस लेवल का बढऩा है। जरा भी शक है तो पार्टनर की हेल्प लेकर इस प्रॉब्लम से छुटकारा पाया जा सकता है। लोगों को संयमित जीवन जीने की आदत डालनी चाहिए.
डॉ। सौरभ टंडन, सायकियाटिस्ट

पेशेंट को स्लीप हाइजीन का ज्यादा ध्यान रखना होगा। नशे की हालत में सोने वालों की स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। टाइमली सोना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है.
डॉ। विपुल मल्होत्रा, सायकियाटिस्ट

 

Example one

ममफोर्डगंज की रहने वाली सरिता (परिवर्तित नाम) की शादी एक साल पहले हुई थी। शादी के बाद पता चला कि उसके हस्बैंड को नींद में पैर फेकने और बड़बड़ाने की हैबिट है। इससे वह बुरी तरह डर गई। कुछ महीने बाद उसने इसकी शिकायत घरवालों से की। फिलहाल पेशेंट का इलाज चल रहा है।

Example two

कुछ ऐसी ही कहानी खुल्दाबाद के दीपक (परिवर्तित नाम) की भी है। उसकी वाइफ को भी ऐसी ही डिजीज है। काफी दिनो तक वह इसे अवॉयड करता रहा लेकिन बाद में दिक्कत बढ़ी तो उसने डॉक्टर से सलाह ली। डायग्नोसिस में पता चला कि पेशेंट एक कॉल सेंटर में जॉब करती है। अक्सर नाइट ड्यूटी होने की वजह से उसकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो गई है. 

कभी अपने पार्टनर से पूछकर देखिए

मैरिड हैं तो कभी अपने पार्टनर से पूछिए कि नींद में आप कितनी बार बड़बड़ाते हैं और हाथ-पैर फेंकते हैं। हो सकता है आपका पार्टनर सामने सच बोल दे तो सरप्राइज मत होइएगा। असलियत ही यही है। एक्स्ट्रा वर्क लोड और माडर्न लाइफ स्टाइल की वजह से लोगों की नींद कम होती जा रही है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी आठ की जगह अब लोग पांच से छह घंटे भी भरपूर नींद नहीं ले पा रहे हैं। नतीजा है कि एक बार स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो गई तो फिर यह क्रम लंबे समय तक चलता है और लोगों को इस बीमारी का पता भी नहीं चलता। 20 से 45 साल की एजग्रुप में यह सिम्प्टम्स तेजी से बढ़ रहे हैं. 

ताउम्र हो सकती है problem

आमतौर पर लोगों को इस डिजीज के बारे में जानकारी नहीं हो पाती है। शुरुआत में इसे लाइटली लिया जाता है। एक बार यह हैबिट पड़ गई तो ताउम्र पीछा नहीं छोड़ती है। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि 70 फीसदी से अधिक लोग इससे पीडि़त हैं और इनमें यंगस्टर्स की संख्या ज्यादा है। जब कभी यह प्रॉब्लम बढ़ जाती है तो लोग नींद में चहल-कदमी भी करने लगते हैं। ऐसे पेश्ेांट्स दूसरों के मुकाबले सपने भी बहुत ज्यादा देखते हैं. 

क्या हैं रीजंस

-सही पॉश्चर में सोने की हैबिट न होना।

-लेट नाइट तक वर्क करना या घूमना-पार्टी एंज्वॉय करना।

-सिगरेट या वाइन का ज्यादा यूज करना।

-चेस्ट या ब्रेन की बीमारी होने पर भी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होती है।

-लेट नाइट तक बेड पर लेटकर टीवी देखने की हैबिट।

ऐसे बचा जा सकता है

-टाइमली सोने की आदत डालें। आठ घंटे की नींद बेहद जरूरी है।

-स्ट्रेस से बचें क्योंकि इससे नींद न आने की बीमारी होने के चांसेज होते हैं।

-नशे से दूर रहें। चेन स्मोकिंग या रेगुलर ड्रिंकिंग से बचें।

-सिम्प्टम्स सामने आने के बाद डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

-अपने पार्टनर से छिपाएं नहीं बल्कि उसे सबकुछ बताकर उसकी हेल्प लें।

आमतौर पर लोग इस बीमारी को कॉमन मानते हैं। इससे आगे चलकर काफी दिक्कतें पेश आती हैं। स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने का मेन रीजन लाइफ स्टाइल में चेंज और स्ट्रेस लेवल का बढऩा है। जरा भी शक है तो पार्टनर की हेल्प लेकर इस प्रॉब्लम से छुटकारा पाया जा सकता है। लोगों को संयमित जीवन जीने की आदत डालनी चाहिए।

डॉ। सौरभ टंडन, सायकियाटिस्ट

पेशेंट को स्लीप हाइजीन का ज्यादा ध्यान रखना होगा। नशे की हालत में सोने वालों की स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। टाइमली सोना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

डॉ। विपुल मल्होत्रा, सायकियाटिस्ट