पुलिस को करनी पड़ रही मशक्कत

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बाद ट्रैफिक रूल्स फालो कराने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ रही है। एसएसपी मोहित अग्रवाल के आदेश पर डेली ही पुलिस और ट्रैफिक पुलिस अभियान चलाकर गाडिय़ों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। एक दिन पहले ही राज्यमंत्री के काफिले में चल रही गाड़ी में स्कोर्ट टीम लाल बत्ती चलाकर चलती मिली। इसे लेकर हंगामा खड़ा हो गया। बालसन चौराहे पर भी यही कहानी दुहराई जा चुकी है। एक पार्टी के लीडर अपनी कार लेकर पहुंचे। पुलिस ने रोक दिया और झंडा हटाने लगी तो वह बिफर पड़े। कुछ ही पल में उस लीडर के समर्थन में सैकड़ों युवक पहुंच गए तो कई थानों से फोर्स बुलानी पड़ गई.

स्कोर्ट में लगी थी लाल बत्ती

बैरहना चौराहे पर रूलिंग पार्टी से जुड़े गए लीडर के साथ चल रही लाल बत्ती गाड़ी को पुलिस ने रोका तो वहां जमकर हंगामा हुआ। चूंकि चेकिंग में खुद एएसपी लगे थे। इसलिए चेकिंग करने वाली टीम लीडर के रसूक से डरी नहीं। जांच में पता चला कि जिस गाड़ी में लाल बत्ती लगी थी वह रूलिंग पार्टी से जुड़े लीडर के स्कार्ट की गाड़ी थी। स्कार्ट के जवान लाल बत्ती लगाकर अपना भौकाल बना रहे थे.

 

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इलाहाबाद में कोई भी व्यक्ति गाड़ी में काली या चमकने वाली फिल्म (किसी भी प्रकार की) लगाकर नहीं चल सकता। ऐसी गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सीज कर रजिस्ट्रेशन निरस्त करा दिया जाएगा.
गाड़ी पर किसी भी प्रकार की लाल/नीली बत्ती/हूटर लगाकर चलते मिलने वालों का वाहन जब्त कर लिया जाएगा रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की कार्रवाई होगी।
कोई भी व्यक्ति अपनी सरकारी अथवा प्राइवेट गाड़ी पर आगे अथवा पीछे अपने पद/नाम/संस्था/विभाग का बोर्ड या प्लेट लगाकर नहीं चल सकता। चलता है तो उसके विरुद्ध 177 मो0 व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कोई भी व्यक्ति अपनी  प्राइवेट गाड़ी में आगे या पीछे किसी भी प्रकार का ऐसा झंडा, स्टीकर, चिन्ह निशान या कोई शब्द जिससे उसके किसी आफिस, संस्था, विभाग, पद, पार्टी आदि का पता चलता हो, लगाकर नहीं चलेगा।
इस प्रकार के वाहनों को सीज कर कार्रवाई की जाएगी।
कोई व्यक्ति उपरोक्त नियमों का पालन नहीं करता है तथा पुलिस से उलझता है तो उस पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।
लाल/नीली बत्ती व काली फिल्म बेचने वाले आटो डीलर व दुकानदारों के विरुद्ध भी कार्रवाई करने का निर्देश है। सभी दुकानदार लाल/नीली बत्ती/हूटर बेचने का रिकार्ड एक रजिस्टर में मेंटेन रखेंगे.
31 जुलाई 2013 के बाद जिस थाना प्रभारी/यातायात पुलिस के क्षेत्र में इस प्रकार का वाहन चलता पाया जाएगा, तो उन्हें भी न्यायालय के आदेश के अवमानना का दोषी माना जाएगा।
प्रभावशाली व्यक्ति, राजनैतिक व्यक्ति या अपने अधिकारी पुलिस के उक्त कार्य में बाधा उत्पन्न करेंगे, ऐसे व्यक्तियों को भी विवेचना का हिस्सा बनाया जाएगा तथा उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
आदेशों का पालन न कराने की सिफारिश करने वाले/दबाव बनाने वाले/कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों को उक्त अपराध में सहयोग और अपराधियों को संरक्षण देना मानकर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकार के मामले में फोन का रिकार्ड भी न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकेगा। आदेशों के पालन में बाधा उत्पन्न करने वालों की फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी पर भी हाई कोर्ट द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है.
(इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल सं0 34132/13 में पारित निर्देशों के अनुपालन में जनपद के सभी एसओ जारी किए गए निर्देश के अंश)

सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने ने भी अपने एक निर्णय में माना है कि ब्लैक फिल्म के प्रतिबन्धित किये जाने से कुछ लोगों को असुविधा हो सकती है, लेकिन कोर्ट ने जनकल्याण को सर्वोच्च मानते हुए और व्यक्तिगत हित को इसके अधीन मानते हुए ब्लैक फिल्म आदि को पूर्णत: प्रतिबन्धित किया है.