स्प्रिट ऑफ लॉ की तरफ होना चाहिए झुकाव 
करीब 20 मिनट की अपनी स्पीच में चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने कानून की भावना का सम्मान करते हुए काम करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि लॉ के दो पहलू हैं। लेटर ऑफ लॉ और स्प्रिट ऑफ लॉ। उन्होंने स्प्रिट ऑफ लॉ की तरफ झुकाव पर बल दिया। साथ ही एडवोटकेट्स को यह भी कहा कि जिस तरह से महामना ने चौरी-चौरा कांड की सुनवाई में एक बेहतरीन एग्जाम्पल सेट किया था, ठीक उसी तरह की स्प्रिट से ज्यूडिशियल सर्विस से जुड़े हर शख्स को वर्क करना चाहिए। क्योंकि मुवक्किल पूरी आस्था के साथ न्याय के लिए आता है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की कमी के संदर्भ में कहा कि यहां पर 160 पद है। प्रजेंट में 87 है जबकि हाईकोर्ट की कैपेसिटी सिर्फ 93 जजों की है. 

मुकदमों की बढ़ोतरी पर चिंता 
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने जजों की कमी पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय जी भी मुकदमों की संख्या को कम किए जाने के पक्ष में रहे। इसके साथ ही उन्होंने मुकदमों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी पर भी चिंता जताई। कहा कि इसके लिए लोगों को अवेयर करना चाहिए। महामना के बारे में उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि उनके कार्यों से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। वह टीचर, शिक्षाविद के साथ एक अच्छे एडवोकेट भी थे। समाज उत्थान के लिए भी उन्होंने बहुत काम किया। मालवीय जी को उन्होंने स्काउट मूवेंट का पायनियर बताया. 

जो हम अब सोचते हैं, वो तब कहते थे 
पं। मालवीय के बारे में उन्होंने कहा कि दूरदर्शी सोच थे। गल्र्स चाइल्ड एजुकेशन के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। पंडित जी का मानना था कि घर में जब महिला पढ़ी होगी, तभी संस्कार होंगे। एजुकेशन को प्रमोट करने के लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी व कालेज तक की स्थापना की। चीफ जस्टिस ने कहा कि आजकल स्थिति यह है कि रिपोर्टिंग में हिंसक खबरों की बाढ़ सी आ गई है। मोरल वैल्यूज लगातार खत्म होती जा रही है। ऐसे में हमें खुद सोचना पड़ेगा कि हमारी सोसायटी किस तरफ जा रही है। प्रोग्राम के दौरान जस्टिस बीएस चौहान, जस्टिस सुशील हरकौली ने पंडित मदन मोहन मालवीय के विचारों से लोगों को अवगत कराया. 

शिक्षा का उजियारा फैलाने का किया काम 
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीएस चौहान ने मदन मोहन मालवीय को शिक्षा का उजियारा फैलाने वाला एक महान शख्स बताया। उन्होंने कहा कि देश में एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सहित कई शिक्षण संस्थान की नींव रखने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं जस्टिस सुशील हरकौली ने कहा कि महामना ने हमारे भविष्य को रचा है। चीफ जस्टिस हाईकोर्ट शिवकीर्ति सिंह ने कहा कि मदन मोहन मालवीय भविष्य को देखते थे, उन्होंने स्कूल, कॉलेज व लाइब्रेरी जैसी शिक्षण संस्थाओं की नींव रखी. 

एग्जीबिशन गैलरी भी देखी 
हाईकोर्ट में मदन मोहन मालवीय की लाइफ पर बेस्ड एक एग्जीबिशन भी लगाई गई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने एग्जीबिशन का अवलोकन भी किया। वे एग्जीबिशन में मदन मोहन मालवीय से जुड़ी अद्वितीय चीजों से रूबरू हुए। इसके अलावा वहां लगी उनकी दुर्लभ फोटोग्राफ्स को भी देखा. 

स्प्रिट ऑफ लॉ की तरफ होना चाहिए झुकाव 

करीब 20 मिनट की अपनी स्पीच में चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने कानून की भावना का सम्मान करते हुए काम करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि लॉ के दो पहलू हैं। लेटर ऑफ लॉ और स्प्रिट ऑफ लॉ। उन्होंने स्प्रिट ऑफ लॉ की तरफ झुकाव पर बल दिया। साथ ही एडवोटकेट्स को यह भी कहा कि जिस तरह से महामना ने चौरी-चौरा कांड की सुनवाई में एक बेहतरीन एग्जाम्पल सेट किया था, ठीक उसी तरह की स्प्रिट से ज्यूडिशियल सर्विस से जुड़े हर शख्स को वर्क करना चाहिए। क्योंकि मुवक्किल पूरी आस्था के साथ न्याय के लिए आता है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की कमी के संदर्भ में कहा कि यहां पर 160 पद है। प्रजेंट में 87 है जबकि हाईकोर्ट की कैपेसिटी सिर्फ 93 जजों की है. 

मुकदमों की बढ़ोतरी पर चिंता 

चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने जजों की कमी पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय जी भी मुकदमों की संख्या को कम किए जाने के पक्ष में रहे। इसके साथ ही उन्होंने मुकदमों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी पर भी चिंता जताई। कहा कि इसके लिए लोगों को अवेयर करना चाहिए। महामना के बारे में उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि उनके कार्यों से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। वह टीचर, शिक्षाविद के साथ एक अच्छे एडवोकेट भी थे। समाज उत्थान के लिए भी उन्होंने बहुत काम किया। मालवीय जी को उन्होंने स्काउट मूवेंट का पायनियर बताया. 

जो हम अब सोचते हैं, वो तब कहते थे 

पं। मालवीय के बारे में उन्होंने कहा कि दूरदर्शी सोच थे। गल्र्स चाइल्ड एजुकेशन के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। पंडित जी का मानना था कि घर में जब महिला पढ़ी होगी, तभी संस्कार होंगे। एजुकेशन को प्रमोट करने के लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी व कालेज तक की स्थापना की। चीफ जस्टिस ने कहा कि आजकल स्थिति यह है कि रिपोर्टिंग में हिंसक खबरों की बाढ़ सी आ गई है। मोरल वैल्यूज लगातार खत्म होती जा रही है। ऐसे में हमें खुद सोचना पड़ेगा कि हमारी सोसायटी किस तरफ जा रही है। प्रोग्राम के दौरान जस्टिस बीएस चौहान, जस्टिस सुशील हरकौली ने पंडित मदन मोहन मालवीय के विचारों से लोगों को अवगत कराया. 

शिक्षा का उजियारा फैलाने का किया काम 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीएस चौहान ने मदन मोहन मालवीय को शिक्षा का उजियारा फैलाने वाला एक महान शख्स बताया। उन्होंने कहा कि देश में एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सहित कई शिक्षण संस्थान की नींव रखने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं जस्टिस सुशील हरकौली ने कहा कि महामना ने हमारे भविष्य को रचा है। चीफ जस्टिस हाईकोर्ट शिवकीर्ति सिंह ने कहा कि मदन मोहन मालवीय भविष्य को देखते थे, उन्होंने स्कूल, कॉलेज व लाइब्रेरी जैसी शिक्षण संस्थाओं की नींव रखी. 

एग्जीबिशन गैलरी भी देखी 

हाईकोर्ट में मदन मोहन मालवीय की लाइफ पर बेस्ड एक एग्जीबिशन भी लगाई गई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने एग्जीबिशन का अवलोकन भी किया। वे एग्जीबिशन में मदन मोहन मालवीय से जुड़ी अद्वितीय चीजों से रूबरू हुए। इसके अलावा वहां लगी उनकी दुर्लभ फोटोग्राफ्स को भी देखा.