RANCHI: रांची के एक मेडिसीन रिटेलर राजेश कुमार(बदला हुआ नाम)दवा के फुट कर व्यवसायी अजीत कुमार को अक्सर दवाएं उधार देते थे। इसके बदले में अजीत कुमार ने उनको एक ब्लैंक चेक दे रखा था। जो इस बात की गारंटी थी कि अगर वह कभी समय से पैसा पेमेंट नहीं कर सके तो चेक से भुगतान हो जाएगा। एक बार अजित कुमार ने राजेश कुमार से 35 हजार की दवाएं ली और पैसा समय से नहीं दे पाए। इसके बाद राजेश कुमार चेक पर 70 हजार रुपए लिखकर जब बैंक में पेमेंट के लिए जमा किए तो यह चेक ही बाउंस निकल गया, क्योंकि अजीत कुमार के अकाउंट में पैसा ही नहीं था। फिर यह मामला सिविल कोर्ट पहुंचा। जहां इसे डिस्पोजल होने में ही दो साल से अधिक का समय लग गया और इसमें दोनों तरफ से लाखों रुपए खर्च भी हुए।

यह तो सिर्फ एक बानगी है। चेक बाउंस के ऐसे मामले रांची सिटी में रोजाना घट रहे हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो इस समय सिविल कोर्ट में सबसे ज्यादा चेक बाउंस के केस ही आ रहे हैं। रांची सिविल कोर्ट में डेली लगभग 8 से लेकर 10 मामले चेक बाउंस के ही आते हैं। कानून के जानकारों की मानें तो चेक बाउंस की घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं हैं कि चेक लेते समय किन-किन सावधानियां का ध्यान रखना चाहिए और चेक कैसे बाउंस हो जाता है।

चेक बाउंस के मामले बढ़ा रहे कोर्ट पर बोझ

चेक बाउंस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। क्योंकि रांची आज स्टेट का आर्थिक सेंटर बन गया है। ऐसे में यहां पर चेक के जरिए बड़ी संख्या में ट्रांजेक्शन हो रहा है। ऐसे में चेक बाउंस के मामले भी बढ़े हैं। क्योंकि फाइनेंस कंपनियां रिकवरी के लिए एनआई एक्ट का इस्तेमाल कर रही हैं।

क्या है एनआईए एक्ट

ञ्जद्धद्ग हृद्गद्दश्रह्लद्बड्डढ्डद्यद्ग द्बठ्ठह्यह्लह्मह्वद्वद्गठ्ठह्लह्य न्ष्ह्ल- चेक बाउंस की बढ़ती घटनाओं को लेकर 2002 में यह एक्ट बना। यह एक्ट कॉमर्सियल, बैंकिंग और फाइनेंसियल एक्टीविटीज के लिए एक लाइफ लाइन है। आज बिजनेस ट्रांजेक्शन में पैसे के बदले चेक का अधिक यूज किया जाता है और चेक बाउंस की घटनाएं भी इसीलिए अधिक घट रही हैं। चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है। इसमें एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। दो साल की सजा का प्रावधान है और साथ ही कंपनसेशन भी इंपोज किया जाता है।

फॉर योर इनफॉरमेशन

1- जब भी चेक लें तो अकाउंट पेई ही।

2-चेक पर नाम, रकम, सिग्नेचर और डेट की जांच जरूर कर लें।

3-चेक लेते समय अलग से एक कागज भी बनवा लें कि यह रकम उन्हें किस मद में दिया जा रहा है।

4- चेक पर लिखे डेट से छह माह के अंदर उसे अपने बैंक के समक्ष भुगतान हेतु निश्चित रूप से प्रस्तुत करें। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि आपके बैंकर्स द्वारा अदाकर्ता के बैंक में चेक भेजते समय जो समय लगेगा वह छह माह की अवधि के अंदर ही होना चाहिए।

5- जैसे ही बाउंस किया हुआ चेक आपके बैंकर्स द्वारा मिले, आप उस डेट के एक महीने के अंदर ही चेक इशू करने वाले को नोटिस अवश्य भेज दें और नोटिस डेट से लगभग डेढ़ माह के अंदर कोर्ट में केस दर्ज कर दें।

एक्सपर्ट सेज

वर्जन-

चेक बाउंस के मामलों से बचने के लिए लोगों को चेक लेते समय और देते समय विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है। इसके साथ ही लोग यह भी जानें के यह एक दंडनीय अपराध है। आमतौर पर जब लोग लोन लेते हैं तो फाइनेंस कंपनियां लोन देते वक्त कस्टमर पोस्ट डेटेड चेक पर साइन करा लेती हैं। लेकिन जब लोन की किश्त चुकाने में देरी होती है तो फाइनेंस कंपनियां उस चेक को बैंक में पेश कर देती हैं। बाउंस होने पर कंपनी कस्टमर के खिलाफ एनआई एक्ट के तहत केस दर्ज कराती है।

-अवधेश कुमार मंडल, एडवोकेट सिविल कोर्ट