छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : छठ में 10 दिन का बाकी है, लेकिन शहर के प्रमुख छठ तालाबों की सफाई नही हुई है। शहर बड़े छठ तालाब से लेकर छोटे तालाबों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। टेल्कों से लेकर परसुडीह से लेकर मरीन ड्राइव मानगों के कई घाटों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जिला प्रशासन ने अब तक घाटों और तालाबों की सुध नहीं ली ह। इन घाटों को संवारने की जिम्मेदारी जमशेदपुर अक्षेस, मानगो अक्षेस, जुगसलाई नगर पालिका, टाटा मोटर्स, जुस्को और प्रखंड विकास कार्यालय की है लेकिन, अधिकारी मस्त हैं और घाटों पर गंदगी का राज है।

टेल्को तारकंपनी सीटू छठ तालाब

टेल्को के इस छठ तालाब पर 400 से ज्यादा छठ व्रती सूर्य को अर्घ देते हैं। टाटा मोटर्स प्रबंधन ने अब तक तालाब की सफाई नहीं कराई ह। इस तालाब में गंदगी ह। कचरा हर तरफ बिखरा पड़ा हुआ ह। इस तालाब की सफाई कई महीनों से नहीं हुई ह। अब तक तालाब की सफाई हो जानी चाहिए थी। रास्ता भी चलने लायक नहीं है।

सालगाझड़ी काली छठ तालाब

बावनगोड़ा के पास सालगाझड़ी काली छठ तालाब में 250 से ज्यादा छठ व्रती पूजा के लिए आते हैं। ये तालाब सबसे गंदा ह। प्रखंड विकास अधिकारी ने अब तक इस तालाब की सुध नहीं ली ह। यहां जाने वाला रास्ता भी ठीक नहीं ह। रास्ता ऊबड़-खाबड़ है।

राहर गोड़ा ढा़पू छठ तालाब

परसुडीह के आगे राहरगोड़ा में स्थित राहरगोड़ा ढ़ापू छठ तालाब में 100 के करीब लोग छठ पूजा करते हैं। प्रखंड कार्यालय यहां सफाई कराता ह। व्रतियों की आसानी के लिए तालाब में सीढीनुमा रास्ता बनाया गया ह। लेकिन, तालाब तक जाने का रास्ता ठीक नहंी ह। तालाब काफी गंदा ह। सफाई नहीं हुई है।

सुंदरनगर करीम छठ तालाब

सुंदरनगर करीम तालाब में छठ व्रतियों की भीड़ लगती है। ये तालाब अभी काफी गंदा ह। यहां कचरे का अंबार ह। रास्ता भी ठीक नहीं ह। तालाब के चारों तरफ गंदगी ही गंदगी ह। जमशेदपुर के प्रखंड विकास अधिकारी ने इस तालाब की सुध तक नहीं ली है।

कदमा उलियान नील सरोवर छठ तालाब

कदमा उलियान में नील सरोवर छठ घाट पर 500 के करीब छठ व्रती सूर्य को अर्घ देते हैं। इस तालाब की सफाई की जिम्मेदारी जुस्को की है। जुस्को ने अब तक सफाई नहीं कराई है। यहां कचरा फैला हुआ है।

मरीन ड्राइव सती छठ घाट

इस घाट पर 500 से ज्यादा लोग छठ पूजा करते हैं। यहां की सफाई का जिम्मा जमशेदपुर अक्षेस पर ह। इस घाट पर सफाई नहीं हुई ह। फिर भी अन्य घाटों की तुलना में ये घाट साफ ह। हालंकि, रास्ते में कंकड़ की भरमार ह। छठ व्रतियों को घाट तक जाने में दिक्कत होगी।