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PRAYAGRAJ: भगवान सूर्य की उपासना का चार दिन तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व छठ रविवार को आस्था और उल्लास की शुभ बेला में शुरू हुआ। रविवार को सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग में महिलाओं व उनके परिजनों ने संगम से लेकर दशाश्वमेध घाट तक स्नान कर सूर्य देव को अ‌र्ध्य दिया। फिर अपने-अपने घरों को लौटकर परिजनों ने कद्दू की सब्जी व अरवा चावल का भोजन बनाया। उसे खाकर छठ पर्व का शुभारंभ किया।

घरों में उल्लास, गीतों से अराधना
पहले दिन नहाय खाय के साथ छठ पर्व का शुभारंभ हुआ तो पूर्वाचल और बिहार के लोगों के घरों में उल्लास का माहौल दिखाई देने लगा। शहर के दारागंज, अल्लापुर व कटरा सहित कई इलाकों में एक ही घर में एकत्र होकर महिलाओं व लड़कियों ने उल्लास के साथ छठ गीतों की धुन सजाई। ढोलक व मजीरा की धुन पर 'कांच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाए' जैसे प्रचलित गीत खूब गाये गए। यही नहीं छठ के प्रसाद के रूप में गेहूं को धुलकर छतों पर सुखाया गया। यह सिलसिला रविवार को अधिकांश घरों में दिखाई दिया।

आज दिनभर उपवास, शाम को खरना
छठ पर्व के दूसरे दिन सोमवार को महिलाएं व पुरुष सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखेंगे। इसके बाद खरना के प्रसाद के रुप में शाम को चावल व गुड़ की खीर के साथ रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। साथ ही तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अ‌र्ध्य देने के लिए घरों में पूजन सामग्री को तैयार किया जाएगा। इसके अलावा रातभर घरों में छठ गीत गाया जाएगा।

खरीदारी के लिए मार्केट गुलजार
पर्व के तीसरे दिन घाटों पर डूबते हुए सूर्य को अ‌र्ध्य दिया जाएगा। इसमें व्रती महिलाएं व उनके परिजन अपने-अपने घरों से बांस की टोकरी में मौसमी फलों के साथ पूजन सामग्री लेकर जाएंगे। यही वजह है कि रविवार को अलोपी बाग, दारागंज, कटरा व बैरहना जैसी मार्केट में बड़ा व छोटा गन्ना, बांस की टोकरी, बड़े-बड़े दीयों की दुकानों को सजा दिया गया। इसकी खरीदारी के लिए सोमवार से व्रती महिलाओं के परिजनों की भीड़ उमड़्रने लगेगी।