-पूरे दिन व्रत रखने के बाद महिलाओं ने खायी पूड़ी बखीर

-आज अस्ताचलगामी सूर्य को देंगी अ‌र्घ्य, घाटों, कुंडों पर उमडे़गी भीड़

VARANASI

सूर्य उपासना के महापर्व डाला छठ पर सोमवार को व्रती महिलाओं ने 'खरना' की परंपरा का निर्वाह किया। पूरे दिन व्रत रहने के बाद उन्होंने रात में पूड़ी, बखीर, गुड़ में पगा मीठा चावल ग्रहण किया। व्रत परंपरा में इसे 'खरना' का नाम दिया गया है। महिलाएं पूजा के लिए गंगा के घाट व कुंड सरोवरों पर गयीं और भगवान सूर्य की पूजा आराधना कीं। व्रत के तीसरे दिन मंगलवार को मुख्य व्रत होगा। इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने की मान्यता है। इसके तहत व्रती महिलाएं पूरे दिन अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी और शाम को किसी सरोवर या गंगा तट पर कमर भर जल में खड़ी होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देंगी। पूजा के बाद गंगा तट से जलता हुआ दीपक लेकर लौटना इस कठिन व्रत का एक खास हिस्सा होता है। नाक से लेकर मांग में सिंदूर भरने की भी मान्यता पूरी की जायेगी।

बुधवार को पूरा हाेगा संकल्प

इसके बाद चौथे दिन बुधवार को उगते सूरज को अ‌र्घ्य देने के साथ महिलाओं का महासंकल्प पूरा होगा। जिन घरों में इस साल विवाह, पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति, यज्ञोपवीत जैसे शुभ कार्य का आयोजन हुआ है उन घरों में डाला छठ पर उत्साह और उल्लास देखते ही बनता है। अस्ताचलगामी और उदयाचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए गंगा तट पर भारी भीड़ जुटती है। घाटों पर तिल रखने की जगह नहीं मिलती है।