- मर्दानी के घर जाकर इंस्पेक्टर ने बनाया था केस वापसी का दबाव

- सरकार को चेक वापस करने की चेतावनी के बाद जागी सरकार

- एसएसपी को दी विवेचना पर निगरानी बनाए रखने की जिम्मेदारी

- फरार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से जारी हुए गैर जमानती वारंट

- सरकार के आदेश पर आरोपियों पर पांच-पांच हजार इनाम

Meerut: जिस बहादुर महिला को यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने एक लाख रुपये के पुरस्कार से नवाजा और उसके कार्य की प्रशंसा की, उस पर इंस्पेक्टर सिविल लाइन आलोक सिंह केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। यही कारण है कि सीएम ने इस मामले की विवेचना पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी एसएसपी को दी है। सवाल है कि जहां सरकार बहादुरी की प्रशंसा कर रही है, वहीं इंस्पेक्टर सिविल लाइन सीएम से ऊपर होकर अपनी थानेदारी दिखा रहे हैं।

क्या था मामला

क्9 अगस्त को सिविल लाइन थाना एरिया के कचहरी पुल पर सेंट्रो कार में सवार गगन सिवाच पुत्र रंजन चौधरी निवासी ग्राम सलारपुर थाना इंचौली ने शताब्दी नगर में रहने वाली ममता यादव से छेड़छाड़ करते हुए टक्कर मार दी थी। इस दौरान कार में मौजूद अंकित काकराण, प्रदीप उर्फ टिंकू और नितिन ने ममता यादव के पति के साथ मारपीट कर दी थी, जिसके बाद ममता यादव ने सभी आरोपियों की जमकर धुनाई की थी, महिला ने चारों युवकों को बहादुरी दिखाते हुए पीटा था। इस मामले में होमगार्ड बाबूराम की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर अंकित काकराण को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि बाकरी आरोपी अभी फरार चल रहे है।

इंस्पेक्टर का रवैया

सीएम अखिलेश यादव ने बहादुर महिला को एक लाख रुपये का इनाम दिया तो वहीं इंस्पेक्टर सिविल लाइन आलोक सिंह ने महिला को धमकाया और आरोपी का फेवर लेते हुए मुकदमा वापस करने के लिए दबाव बनाया। इस पर महिला भड़क गई और मीडिया के माध्यम से संदेश दिया था कि वह एक लाख रुपये का चेक सरकार को वापस कर देगी। क्योंकि इंस्पेक्टर आरोपियों पर कानूनी शिकंजा कसने की जगह उल्टा मुझ पर ही दबाव बना रहे है। मामला लखनऊ तक पहुंचा तो सोमवार को सीएम अखिलेश यादव ने संज्ञान लेकर एसएसपी को विवेचना पर निगरानी बनाए रखने के निर्देश दिए।

क्यों बना रहे दबाव

ऐसा न जाने क्या हुआ कि इंस्पेक्टर साहब को सीएम अखिलेश यादव से ऊपर होकर काम करने को मजबूर होना पड़ा। यह किसी तरह से सत्ता का दबाव था या कुछ और? क्या वजह रही कि उन्होंने उल्टा ममता यादव को ही केस वापस लेने के लिए हड़का दिया? इंस्पेक्टर सिविल लाइन आलोक सिंह का कहना है कि विवेचना के लिए बयान करने मैं महिला से मिलने के लिए गया था, मैंने किसी प्रकार का कोई दबाव मुकदमा वापसी के लिए नहीं बनाया गया है, सभी प्रकार के आरोप झूठे और बेबुनियाद है। असलियत कुछ भी हो, फिलहाल सीएम की नजरों में भी इंस्पेक्टर सिविल लाइन चढ़ गए है।

गैर जमानती वारंट हुए जारी

मर्दानी के मामले में फरार चल रहे गगन सिवाच और प्रदीप उर्फ टिंकू की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने दबिश दी, लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं लगा। छह दिन बीत जाने के बावजूद आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। सोमवार की शाम को फरार दोनो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिए है।

इनाम घोषित

दोनो आरोपियों की गिरफ्तारी करने में नाकाम मेरठ पुलिस पर सरकार की ओर से काफी दबाव है, लेकिन इंस्पेक्टर सिविल लाइन कुछ अलग ही खेल कर रहे हैं। सरकार के सख्त आदेश है कि अन्य आरोपियों को भी जल्द सलाखों के पीछे भेजा जाए, देर शाम एसएसपी ओंकार सिंह ने गगन और प्रदीप पर पांच-पांच हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। एसएसपी ओंकार सिंह ने बताया जो भी इन दोनो के बारे में जानकारी देकर पकड़वाएगा, उसको पांच हजार रुपये का इनाम पुलिस प्रशासन द्वारा दिया जाएगा।