RANCHI: अलग राज्य का आंदोलन शुरू करने से लेकर संसद में आदिवासियों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाले झारखंड के महानायक जयपाल सिंह मुण्डा को झारखंड के लोगों ने ही भूला दिया है। जी हां, रविवार को जयपाल सिंह मुंडा की जयंती थी। लेकिन इस दिन खानापूर्ति के अलावा उनके लिए कुछ नहीं किया गया। हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री समेत किसी भी बड़े नेता ने उन्हें याद तक नहीं किया। जबकि जयपाल सिंह मुण्डा ही वे पहले नेता थे, जिन्होंने झारखंड पार्टी की स्थापना की थी। इस पार्टी का चुनाव चिन्ह मुर्गा हुआ करता था। साल क्9भ्ख् व क्9भ्7 में उनकी पार्टी को बड़ी सफलता मिली थी। इतना ही नहीं, जयपाल सिह मुंडा की कप्तानी में ही क्9ख्8 के एम्सटर्डम ओलंपिक में इंडियन हॉकी टीम को पहला गोल्ड मेडल मिला था। इतना कुछ होने के बावजूद झारखंड में बड़ा मालिक(देशज उपाधि मरड गोमके, मुंडारी भाषा का शब्द) उपेक्षित हैं।

बदहाली पर आंसू बहा रहा स्टेडियम

जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर सिटी के कचहरी रोड पर गवर्नमेंट ने एक स्टेडियम बनाया है। लेकिन, आज यह स्टेडियम अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इसमें आसपास के क्षेत्रों का गंदा पानी और कूड़ा-कचरा डंप हो रहा है। स्टेडियम में जंगली पेड़-पौधे और घास भर गए हैं। यहां पर लोग मल-मूत्र भी त्याग रहे हैं। स्टेडियम की चाहरदीवारी जगह-जगह टूट चुकी है। जबकि इस स्टेडियम के शानदार पैवेलियन पर खिलाडि़यों को कभी नाज था, जो आज जर्जर हो चुका है। इसकी इमारत खंडहर में हो गई है। यह कभी भी गिर सकती है। साल ख्00ब् में इस स्टेडियम में जयपाल सिंह की मूर्ति का अनावरण तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने किया था। लेकिन आज यह भी बदहाल है। इस स्टेडियम की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। यह स्टेडियम ब्9 साल पहले रांची के डीसी रहे एमवी राव की पहल पर श्रमदान व सरकारी सहयोग से बना था।

घर तोड़ खड़ी हुई कॉमर्शियल बिल्डिंग

हॉकी के महान प्लेयर जयपाल सिंह मुंडा का रांची के सीरमटोली स्थित योगदा सत्संग आश्रम के सामने जयपाल ओड़ा नामक आवास था। इसमें वह लंबे समय तक रहे। इसी घर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं। जवाहर लाल नेहरू उनसे मिलने आए थे। कई ऐतिहासिक घटनाओं के गवाह रहे इस घर पर आज एक प्राइवेट बिल्डिंग खड़ी हो गई है। यहां पर केएफसी रेस्टोरेंट खुल गया है। सरकार चाहती तो इस जगह को संरक्षित कर सकती थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। आज लोगों को पता ही नहीं है कि कभी जयपाल सिंह का घर यहां था।

जयपाल सिंह के नाम पर खानापूर्ति

जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर खेलगांव में मरड गोमके जयपाल सिंह मुंडा मेगा स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया गया है, लेकिन यहां पर उनसे संबंधित किसी भी स्मृति को नहीं रखा गया है। जबकि हॉकी के इस महान खिलाड़ी से संबंधित बहुत सारी चीजें हैं, जिसे यहां पर प्रदर्शनी के लिए रखी जा सकती हैं। लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं हुआ। आलम यह है कि इस स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स में जयपाल सिंह की उपाधि भी हिन्दी और इंग्लिश में गलत लिखी गई है। यहां पर मोरंग गोमके जयपाल सिंह मुण्डा मेगा स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स लिखा गया है। जिसमें मोरंग गोमके गलत है। दरअसल, जयपाल सिंह मुंडा को देशज उपाधि मरड गोमके दी गई थी, जो मुण्डारी भाषा का शब्द है और जिसका अर्थ बड़ा मालिक है।

प्रमोद पाहन से जयपाल सिंह मुण्डा

पहले रांची जिले का ही पार्ट रहे खूंटी के पास गोविंदपुर के टकरा गांव में फ् जनवरी क्90फ् को पैदा हुए प्रमोद पाहन कैसे जयपाल सिंह मुण्डा बनकर देश-दुनिया में छा जाएंगे। कुंवर जरियागढ़ स्टेट के सहयोग से उन्होंने रांची में पढ़ाई की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड चले गए। वहां पर वह पहली पर ऑक्सफोर्ड के हॉकी और फुटबॉल दोनो टीमों के कैप्टन बने। पहली बार किसी इंडियन को यह गौरव हासिल हुआ। क्9ख्8 के एम्सटर्डम ओलंपिक के लिए इन्हें इंडियन हॉकी टीम का कैप्टन चुना गया। इसके पहले सिर्फ अंग्रेज ही टीम के कैप्टन होते थे। जयपाल सिंह की शादी मैडम जहांआरा से हुई थी। जयपाल सिंह मुंडा का ख्0 मार्च क्970 को निधन हो गया।