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LUCKNOW: नवीन सीएम सचिवालय लोकभवन कैंपस में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा लगेगी। अटल जी के 94 जन्मदिवस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की। इस मौके पर 'महानायक अटल' विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह व राज्यपाल राम नाईक ने भी अटल जी से जुड़े हुए अपने संस्मरण साझा किये। इससे पहले राज्यपाल रामनाईक, सीएम योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह, हृदय नारायण दीक्षित, डाॅक्टर दिनेश शर्मा और महापौर संयुक्ता भाटिया ने लोकभवन में लगाए गए अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

विधवा पेंशन को आयुसीमा खत्म

लोकभवन ऑडीटोरियम में आयोजित परिचर्चा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना में समाज के वंचित लोगों को राज्य सरकार की ओर से लाभ दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार वृद्धावस्था और दिव्यांग पेंशन भी सभी पात्र व्यक्तियों को मुहैया कराएगी। इस मौके पर सीएम योगी ने विधवा पेंशन में आयु सीमा समाप्त करने की घोषणा भी की। उन्होंने अटल के यूपी से अटूट रिश्तों का जिक्र करते हुए उनको सुशासन का आधार स्तंभ बताया। उनका कहना था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से राजनीति के गुर सीखने वाले अटल बिहारी राजनीति में भरोसे के प्रतीक बन गए थे। अनेक पदों पर रहते हुए उन्हें जो सम्मान प्राप्त हुआ, वह अनूठा है। लंबे समय तक लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में काम करने वाले अटल जनप्रतिनिधियों के लिए अनुकरणीय है।

विपक्षी दलों के नेता भी करते थे तारीफ

इससे पहले राज्यपाल राम नाईक ने अटल जी से जुड़े अपने संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि जब देश में कारगिल युद्ध चल रहा था तो शहीदों के परिवारीजनों को पेट्रोल पंप व गैस एजेंसी देने के उनके प्रस्ताव को अटल जी ने बिना किसी सोच-विचार के सहजता से स्वीकार कर लिया था। नाईक ने कहा कि अटल जी राजनीति के महानायक थे। यही वजह है कि उनकी तारीफ विपक्षी दलों के नेता भी दिल खोलकर करते थे। अटल जी की सादगी का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि लखनऊ से कई बार सांसद रहने के बावजूद अटल जी ने यहां पर अपना निजी निवास तक नहीं बनाया।

नाराजगी में छिपा होता था स्नेह

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अटल जी से जुड़े अपने संस्मरण साझा करते हुए भावुक हो उठे। उन्होंनें कहा कि अटल विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी नाराजगी में भी स्नेह छिपा होता था। मानो कोई घर का बड़ा अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा हो। यह अटल जी का ही गुण था कि उन्होंने कूटनीति के साथ युद्ध के मैदान में भी उन्होंने विजयश्री प्राप्त की। अटल जी का आभामंडल इतना विशाल था कि उनके सानिध्य में जाने पर दलों की सीमा का बंधन टूट जाता था। उनके जैसे नेता बिरले ही मिलते हैं।

 

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