- पायलट प्रोजेक्ट के तहत कोतवाली में खोला गया है बाल मित्र थाना

- बाल मित्र थाना में महिला एसआई को बनाया गया प्रभारी, 1 पुरुष और 1 महिला कांस्टेबल भी रहेगी मौजूद

<- पायलट प्रोजेक्ट के तहत कोतवाली में खोला गया है बाल मित्र थाना

- बाल मित्र थाना में महिला एसआई को बनाया गया प्रभारी, क् पुरुष और क् महिला कांस्टेबल भी रहेगी मौजूद

BAREILLYBAREILLY :

बच्चों से जुड़े अपराध और समस्याओं के लिए अब उन्हें वर्दी में बैठे पुलिसकर्मियों के सामने जाने की जरूरत नहीं है। महिला एवं बाल विकास विभाग के निर्देश पर शहर कोतवाली में बच्चों से जुड़े अपराधों के लिए बाल मित्र थाना खोला है। बाल मित्र थाना में बच्चों को सादी वर्दी में पुलिसकर्मी मिलेंगे। जिससे बच्चों को फ्रेंडली महौल मिल सके और वह असानी से अपनी समस्या को बता सके। इसके साथ बाल मित्र थाना से बाल अपराध से जुडे़ बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने का काम भी अन्य संस्थाओं के माध्यम से किया जाएगा।

ये लोग भी रहेंगे जुड़े

बाल मित्र थाना में आने वाले बच्चों को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो। इसलिए महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश ने बाल मित्र थाना पर ही सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। इसके लिए बाल मित्र थाना से विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, (जेजे) जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट, सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट, डीपीओ, जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन, आशा ज्योति केन्द्र, पुलिस और सामाजिक संस्थाएं भी मिलकर एक साथ काम करेंगी। इस थाने की नोडल अधिकारी डीपीओ को ही रख्ा गया है।

हीनियस अपराध में ही कार्रवाई

अपराध की तरफ बढ़ रहे बच्चों को सुधारकर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। इसलिए बाल मित्र थाना बनाया गया। उन्हें अपराध की श्रेणी से भी अलग रखा जाता है। ताकि अपराध की ओर बढ़ने वाले बच्चों को पकड़कर सादी वर्दी में पुलिस बाल मित्र थाना लाए और जहां पर पूछताछ करने के बाद उनकी काउसंलिंग कराई जाएगी। हीनियस अपराध नहीं होने पर बच्चे बाल मित्र थाने से या फिर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद परिजनों को सौंप दिया जाता है। लेकिन हीनियस अपराध होने पर उसके ऊपर सामान्य कार्रवाई की जाएगी।

थाने का यह है मेन मकसद

सामान्य तौर पर बच्चे पुलिस या फिर अपराधी को डांटते हुए देखकर खुद ही घबराने लगते हैं। इसके साथ ही जहां पर अपराधी किस्म के आरोपियों को हिरासत में रखा जाता है वहां पर बच्चों में भी कहीं न कहीं बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे वह अपनी बात को खुलकर अजनबी के सामने रखने से बचते रहते हैं। लेकिन बाल मित्र थाना प्रभारी से लेकर क् महिला कॉन्स्टेबल और क् पुरुष कांस्टेबल सभी सादी वर्दी में रहेंगे, वह बच्चों को बगैर हथकड़ी के पकड़कर ले जाएंगे, और बाल मित्र थाने में खुद सादी वर्दी में ही मौजूद स्टॉफ के साथ पूछताछ करेंगे और जरूरत पड़ने पर ऑन कॉल काउंसलर को बुलाकर कांउसलिंग कराएंगे।

ऐसा होगा बाल मित्र थाना

-चाइल्ड फ्रेंडली महौल होगा।

-पुलिस अफसर सादी वर्दी में रहेंगे।

-ऑन कॉल उपलब्ध होंगे काउंसलर

-पूछताछ के समय बच्चे से अनावश्यक व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होगा।

-स्वस्थ मनोरंजन व्यवस्था होना चाहिए, जिससे बच्चा सहज महसूस कर सके।

-प्रत्येक थाना पर बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड का नाम नम्बर अंकित होगा।

-थाने के अंदर कमरे की दीवारों पर वॉल पेंटिंग आदि लगी होना चाहिए।

यह है बाल अधिकार

-जीवन जीने का अधिकार

-संरक्षण का अधिकार

-सहभागिता का अधिकार

-शिक्षा का अधिकार

अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत शासन के निर्देश पर कोतवाली में एक बाल मित्र थाना खोला गया है। रिजल्ट अच्छा आने पर शहर के अन्य थानों में भी बाल मित्र थाना खोले जाएंगे। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है।

नीता अहिरवार, डिप्टी सीपीओ

बाल मित्र थाना एक अच्छी पहल है, इसमें बच्चों को पुलिस का खौफ नहीं लगेगा जिससे वह खुद को सहज महसूस कर अपनी बात को कह सकेंगे। इससे भटके हुए और अपेक्षित बच्चों को मुख्य धारा में लाने का अवसर मिलेगा।

डॉ। डीएन शर्मा, सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट