ष्ट॥न्ढ्ढक्चन्स्न् : बाल कल्याण समिति चाईबासा के द्वारा दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से बाल श्रम से मुक्त करा कर पांच किशोरियों को उनके परिवार वालों को सौंप दिया गया। उन बच्चियों को गांव के लोगों द्वारा बड़े शहरों की चकाचौंध दिखला कर विभिन्न प्लेसमेंट एजेंसियों को बेच दिया गया था। मुक्त कराई गई बालिकाओं में मनोहरपुर की तीन सोनुवा एवं बंदगांव क्षेत्र की एक-एक बच्चियां शामिल है। भारतीय किसान संघ के सहयोग से लगातार कोल्हान क्षेत्र की बालिकाओं को इस जंजाल से निकाल कर उन्हें सामान्य सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन जीने हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है।

हृदय से निकलने वाली अमृतवाणी मृत नहीं होती : दास

चाईबासा : यह तन किस लिए मिला है? कहां से आए हो? तुम वास्तविक में हो कौन?। इस पर बाल तपस्वी श्री नारायण दास जी महाराज ने राम गीता के आधार पर रहस्यमय प्रकाश डाला। रविवार को सेवा साधना समिति की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में स्वामी जी सत्संग बोले कि सत यानी सत पुरुष। हम स्वरूप संत के हृदय से जो अमृतवाणी निकलती है वह मृत नहीं होती। उनके श्री मुख से निकली हुई वाणी रूपी तरंग दूसरे के हृदय को जागृत कर देती है। शब्द तरंग उस सत (राम)से संग करा देते है। सत्संग यानि सत्य से संगति हो जाना। स्वामी जी के रहस्यमय प्रवचन से भक्त मुग्ध हो गए। श्रीराम कथा की शुरुआत में गुरू आरती उद्योगपति सह समाजसेवी मुकुंद रूंगटा एवं मुख्य यजमान बृजनंदन साह ने किया। साथ ही बाल तपस्वी स्वामी नारायण दास जी महाराज का माल्यार्पण सेवा साधना समिति के मुख्य संरक्षक ललित शर्मा, पूर्व विधायक पुत्कर हेम्ब्रम, दिलीप शर्मा सपरिवार, दिलीप खंडेवाल, चंदन पांडेय व अजय झा ने किया। श्रीराम कथा रोजाना 2 से शाम 6 बजे तक आयोजित की जाती है।