- स्टेशन पर सिसक-सिसक कर रो रही थी अन्नू

- आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन की मदद से भिजवाया घर

GORAKHPUR: मुझे मेरे घर जाना है। साहब मुझे बहुत मारते हैं। अब मुझे साहब के घर काम नहीं करना स्टेशन पर सिसक-सिसक कर रो रही अन्नू बस यही कहती रही। मंडे मॉर्निग वह उत्तरी हुमायूंपुर में रहने वाले अपने साहब के घर से भागकर स्टेशन पहुंची थी। आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन की मदद से उसे उसके घर भिजवाया और बाल मजदूरी करा रहे लोगों की तलाश कर रही है।

साहब करवा रहे थे बाल मजदूरी

मंडे मार्निग करीब क्0.फ्0 बजे जंक्शन के मेन गेट पर कप्तानगंज के सिसवा गांव की रहने वाली अन्नू (क्ब्) फूट-फूट कर रो रही थी। आरपीएफ उसे थाने ले आई। पूछने पर उसने बताया कि वह पिछले दो-तीन महीने से उत्तरी हुमायूंपुर में किसी साहब के घर मजदूरी कर रही थी। उसकी मां ने क्भ्00 रुपए प्रतिमाह पर साहब के घर काम के लिए लगवाया था। साहब की पत्नी, दीपू और शानू उसे अक्सर पीटते हैं। उससे झाड़ू पोछा और घर के सारे काम करवाए जाते थे। मंडे मार्निग वे लोग चोरी का आरोप लगाने लगे तो मैं घर से भाग निकली। उसने बताया कि जब वह घर से स्टेशन भागकर आई तो उसके पीछे कुछ लोग भी आए थे। लेकिन उसके थाने पहुंच जाने से दोनों भाग खड़े हुए। उसकी पांच बहन और दो भाई हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने उसे चाइल्ड लाइन की मदद से उसके घर भिजवा दिया।