- कैंटोन्मेंट स्थित दो बंगलों में छापेमारी कर 17 लड़कियां और नौ लड़कों को कराया गया मुक्त, बाल श्रम कराने का आरोप

- लड़कियों को भेजा गया बाल ग्राम और लड़कों को बाल संरक्षण गृह, बाल संरक्षण अधिकारी ने की छापेमारी

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: कैंटोन्मेंट एरिया के दो बंगलों में बुधवार की देर शाम बाल सरंक्षण अधिकारी व जिला प्रोबेशन अधिकारी के नेतृत्व में जबरदस्त छापेमारी की गई। इस दौरान बाल श्रम कराने के आरोप में 17 लड़कियों व नौ लड़कों को मुक्त कराया गया। सभी नाबालिग बताए गए हैं। बरामद लड़कियों को चौबेपुर के डुबकिया स्थित एसओएस बाल ग्राम तथा लड़कों को बाल संरक्षण गृह रामनगर भेजा गया है। पुलिस ने मौके से एक एनजीओ के निदेशक बेन जॉन को गिरफ्तार कर लिया है।

नियमों का हो रहा था उल्लंघन

बाल संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह को सूचना मिली थी कि बंगला नंबर 12 व 14 में एक एनजीओ का संचालन किया जा रहा है जिसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है और यहां बच्चों से बाल श्रम कराया जाता है। दोनों बंगलों को पिलग्रिम्स मिशन के नाम से जाना जाता है। इसका संचालन और डेवलपमेंट का काम इंडिया नामक गैर सरकारी संस्था बच्चों के आवासीय शिक्षण के रूप में किया जाता है। इस सूचना पर बाल संरक्षण अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात रंजन समेत जिला प्रशासन व पुलिस की भारी भरकम टीम दोनों बंगलों पर जा धमकी। दोनों बंगलों की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया गया। एनजीओ के निदेशक बेन जॉन व आपरेशन निदेशक सुजैन जॉन ने कार्रवाई का विरोध किया लेकिन अधिकारियों के सामने उनकी एक नहीं चली। पुलिस ने निदेशक बेन जॉन को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों का कहना था कि बिना सक्षम अधिकारियों की संस्तुति के नाबालिगों को रखने का कोई अधिकार एनजीओ के पास नहीं है।

विदेश से होती है फंडिंग

जांच में पता चला है कि एनजीओ का संचालन वर्ष 2001 से किया जा रहा है। इसे विदेशी मदद मिलती है जिसका कोई हिसाब किताब नहीं रखा जाता है। वहीं एनजीओ की निदेशक सुजैन जॉन का कहना था कि कुछ वर्ष पूर्व कैंटोन्मेंट के एक डॉक्टर ने संस्था के एक लड़के संग कुकर्म किया था। इस मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। कोर्ट ने पुलिस को फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया था। इसी के बाद से ही पीडि़त पर बयान बदलने का दबाव बनाया जाने लगा। इसी द्वेष में पूरी कार्रवाई की गई है।