छह साल की उम्र में ही छूटा परिवार का साथ

घर का पता मालूम है न किसी परिजन का चेहरा है याद

RANCHI: आशा किरण शेल्टर होम में रह रही 14 साल की गीता अपने परिजनों से मिलना चाह रही है। पिछले आठ सालों से परिवार से दूर रह रही गीता को अब अपने परिवार की तलाश है। पर, काफी कम उम्र में ही बाल मजदूरी में लगा दिये जाने के बाद उसे अब न तो अपना पता याद है न ही वो किसी का चेहरा याद रख पाई है। लेकिन अपने घर जाने की चाहत गीता को हर रोज बेचैन कर रही है।

शेल्टर होम में रह कर रही पढ़ाई

आशा किरण शेल्टर होम की सिस्टर रंजीता ने बताया कि गीता देवघर के थारी ग्राम की रहने वाली है। उसके पिता का नाम बालदेव राज और मां का नाम बसंती देवी है। उसे देवघर में एक घर में बाल मजदूरी पर लगाया गया था। हालांकि उसे अपने मालिक का नाम भी नहीं मालूम है, लेकिन साल 2008 में जब उसके मालिक का स्थानांतरण रांची हुआ, तब वह उनके साथ रांची के डोरंडा में आ गई। छह महीने तक वह उस परिवार में काम की, लेकिन इस दौरान वो असहज रही। जब उसे वहां रहना ठीक नहीं लगा, तब गीता मौका देख कर उस घर से भाग गई। इसके बाद उसे किसी ने आशा किरण शेल्टर होम पहुंचा दिया। तब से वह यहीं रह रही है। गीता इन दिनों अपनी पढ़ाई भी कर रही है।

मालूम हो कि गीता जैसी और भी कई लड़कियां हैं, जो नन्ही उम्र में ही परिजनों से बिछड़ गई थीं और आज तक परिवार से दूर रह कर बाल मजदूरी कर रही थीं।

स्कॉलरशिप वितरण

इग्नू के कांटाटोली स्टडी सेंटर में मेधावी स्टूडेंट्स के बीच स्कॉलरशिप का वितरण किया जाएगा। पहले सेशन में बीसीए और एमसीए के स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप बांटी जाएगी।