- सिटी में बालश्रम के मुख्य अड्डे की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकी पुलिस

- विभिन्न थाना क्षेत्र से पकड़े गए बालश्रमिक, हिदायत देकर परिजनों को सौंपे गए

आगरा। नौनिहालों को बचपन लौटाने के लिए पुलिस की गुरुवार को नींद टूटी। विभिन्न थानों क्षेत्रों में बाल श्रम करते हुए बच्चों को मुक्त कराया। परिजनों और व्यापारियों को भी बाल मजदूरी न कराने की हिदायत दी। लेकिन, पुलिस की हद सिर्फ कूड़ा बीनने वाले, पंचर, परचून की दुकान आदि पर काम करने वाले बच्चों तक सिमट कर रह गई। बाल मजदूरी का मुख्य अड्डा सिटी के इंडस्ट्रियल एरिया तक पहुंचने की पुलिस हिम्मत नहीं जुटा सकी।

बच्चों को थाने ले गई पुलिस

एसएसपी के आदेश पर थाना कोतवाली पुलिस गुरुवार सुबह बाल मजदूरों को पकड़ने के लिए राउंड पर थी। इंस्पेक्टर रजनेश तिवारी भी टीम के साथ थे। रास्ते में एक पंचर की दुकान पर करीब सात वर्षीय बालक भारी हथौड़ा लेकर काम कर रहा था। पुलिस वहां पहुंच गई। बच्चों को पकड़कर थाने की ओर चल दी। रास्ते में एक परचून की दुकान पर भी लड़का काम करता दिखा। उसे भी जीप में बैठा लिया। पांच और अन्य लड़के कूड़ा बीनते हुए मिले। सभी सात बच्चों को पुलिस थाने ले आई। कुछ देर में बच्चों के परिवारीजन भी पहुंच गए। इनमें से कई बच्चे थे, जो पहले पढ़ाई किया करते थे, लेकिन पढ़ाई छोड़ काम करना शुरू कर दिया।

हिदायत देकर किया परिजनों के सुपुर्द

इनमें ऐसे बच्चे भी थे, जो 10 रुपये रोज पर काम करते हैं। कुछ 50 रुपये, तो कुछ 80 रुपये रोज पर काम कर रहे थे। उनका कहना था कि वह अपनी इच्छा से काम कर रहे थे। पुलिस ने थाने में परिजनों को समझाया कि पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों से काम न करवाएं। बाद में बच्चों को परिजनों के सुपुर्द कर दिया। जिन व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर बच्चे पाए गए, वहां पर भी पुलिस ने हिदायत दी कि भविष्य में कोई भी बच्चा पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।

सबकुछ जानकर भी है अंजान

बचपन बचाने को पुलिस की कवायद काबिले तारीफ है। लेकिन, बाल श्रम रोकने को पुलिस ने जिस नीयत से कार्रवाई की, उस पर सवाल खड़े होते हैं। सिटी का एक हिस्सा ऐसा भी जहां बड़ी संख्या में बच्चों को मजदूरी की भट्ठी में झोंका जाता है। शहर का इंडस्ट्रियल एरिया। ऐसा भी नहीं हैं कि पुलिस को इसकी भनक नहीं है। बावजूद इसके परचून और पंचर की दुकान तक सिमटी पुलिस की कार्रवाई कई तरह के सवालों को जन्म देती है। अगर पुलिस औद्योगिक क्षेत्र में कार्रवाई करे तो बड़ी संख्या में बाल श्रम में फंसे बच्चों को मुक्त कराया जा सकता है।