NGO को गोद दिए जाएंगे बाल श्रमिक विद्यालय, बच्चों की सहूलियत का रखेंगे हर ख्याल

ALLAHABAD: स्कूल छोड़कर दुकानों पर काम करने वाले बाल श्रमिकों का भविष्य सुधारने की कवायद जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है। बाल श्रमिक स्कूलों को नया कलेवर देकर अधिक से अधिक बच्चों का इनमें पंजीकरण कराया जाएगा। ताकि, वह पढ़-लिखकर बेहतर भविष्य बना सकें। इसके तहत जिला प्रशासन ने इन स्कूलों को एनजीओ (स्वयं सेवी संगठन)) को गोद देने का फैसला किया है। इससे आर्थिक मदद के साथ बच्चों को अच्छा वातावरण और सुविधाएं भी मुहैया हो सकेंगी।

अच्छे भवनों में shift होंगे स्कूल

हाल-फिलहाल बाल श्रमिक स्कूल जिन किराए कि बिल्डिंगों में संचालित किए जा रहे हैं, उनके हालात अच्छे नही हैं। गंदगी और कम जगह की वजह से बच्चों को यहां पढ़ाई-लिखाई करने में काफी दिक्कतें होती हैं। इससे उनकी संख्या भी बढ़ने के बजाय घटने लगती हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में जिले में कुल 56 बाल श्रमिक स्कूल हैं और प्रत्येक स्कूल को प्रतिमाह 22 हजार रुपए की सरकारी सहायता दी जाती है। इनमें से बीस हजार रुपए स्टाफ सैलरी और दो हजार रुपए भवन का किराया होता है। इतने कम किराए में बेहतर भवन नहीं मिल पाता है। एक बार एनजीओ इन स्कूलों को गोद लेंगे तो उनकी आर्थिक सहायता से नया भवन किराए पर लिया जा सकेगा।

बढ़ेगी बच्चों की संख्या

जल्द ही एनजीओ इन स्कूलों को गोद ले लेंगे। फिलहाल, श्रम विभाग के छापेमारी में पकड़े गए चौदह साल से कम उम्र के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के प्रति प्रेरित किया जाता है। इन बच्चों को बाल श्रमिक स्कूलों में पंजीकरण कराकर उनको मध्यान्ह भोजन भी दिया जाता है। इन स्कूलों की दशा अच्छी नहीं होने से बमुश्किल तीस से चालीस बच्चे ही यहां पंजीकृत हो रहे हैं। कई बार माता-पिता द्वारा बच्चों को कामगार न बनाकर पढ़ाई कराने का संकल्प लेने के बाद उन्हें स्कूल से छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन, ऐसा होता नहीं है। ये बच्चे फिर से दुकान और फैक्ट्रियों में काम करते हुए मिल जाते हैं।

जल्द चलेगा अभियान

इस बदलाव के साथ श्रम विभाग जल्द ही अभियान चलाकर बच्चो की धरपकड़ करेगा। चौदह साल से कम उम्र के बच्चों को साक्षरता के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके साथ ही माता-पिता की भी काउंसिलिंग की जाएगी। यही कारण है कि प्रशासन बड़े पैमाने पर फैसले ले रहा है। एनजीओ की मदद से इन स्कूलों को बड़े भवनों में शिफ्ट किया जाएगा। साथ ही सुविधाओं में भी इजाफा किया जाएगा।

बाल श्रमिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए यह फैसला लिया गया है। अधिक से अधिक बच्चों को इनमे दाखिल दिलाकर उनका भविष्य संवारा जाना है। जिसके लिए एनजीओ से बात चल रही है।

आंद्रा वामसी, मुख्य विकास अधिकारी