पश्चिम बंगाल में हर दूसरी बच्ची बालिका वधू है और यहां बच्चियों की शादी 18 साल से पहले ही कर दी जाती है. इस सच का खुलासा किया है यूनीसेफ ने. सिर्फ इतना ही नहीं यहां पर बच्चियों को प्रॉपर एजुकेशन से भी दूर रखा जा रहा है.

यहां सबसे खराब हालत

यूनीसेफ ने एक रिपोर्ट लांच की है और इस रिपोर्ट में उसने पश्चिम बंगाल में बच्चियों पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया है. रिपोर्ट में यूं तो पूरे स्टेट का जिक्र है, लेकिन मुर्शिदाबाद, बीरभूम, मालदा और पुरुलिया में उनके लिए सिचुएशन को सबसे खतरनाक बताया गया है. यहां पर गर्ल चाइल्ड मैरिज का आंकड़ा 50 परसेंट से भी ज्यादा है. एक नजर पश्चिम बंगाल के खास शहरों में मौजूद गर्ल चाइल्ड मैरिज के आंकड़ों पर...

मुर्शिदाबाद    61.04 %

बीरभूम        58.03 %

मालदा        56.07 %

पुरुलिया        54.03 %

कोलकाता    19.04 %

जलपाईगुड़ी    17.5 %

मिल रहा support

रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल के इन सभी जिलों में दो सालों में 90 से ज्यादा गर्ल चाइल्ड मैरिज हुई हैं. यह रिपोर्ट पिछले दो साल तक स्टेट पर नजर रखने के बाद तैयार की गई है. रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जाहिर की गई है कि यह सभी शादियां एडमिनिस्ट्रेशन की मदद से ही पॉसिबल हो सकी हैं, भले ही वो ये दावा करे कि वो ऐसी किसी भी एक्टिविटी में इंवॉल्व नहीं रहा है. यूनीसेफ के पश्चिम बंगाल चैप्टर की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस लॉरी कोल्वो के मुताबिक यहां पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है.  ऐसी शादियों में लोगों की तरफ से कोई दहेज नहीं लिया जाता है. ऐसे में लोग बचपन में ही शादी कर डालते हैं. यहां तक की वो बच्चियों के फ्यूचर का भी कोई ध्यान नहीं रखते हैं.

पढ़ाई से भी दूर

बच्चियों को स्कूल भेजने के बजाए उन्हें शादी के बंधन में बांधा जा रहा है. लॉरी के मुताबिक बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए पैरेंट्स को एनकरेज करने की जरूरत है. उन्हें यह बताना होगा कि अगर उनकी बच्ची स्कूल जाएगी तो वो अपनी फैमिली, कम्यूनिटी और सोसायटी में बड़ा बदलाव ला सकेगी. वहीं जिन लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया है उन्हें वापस स्कूल लाया जाए. यहां उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाए ताकि उनका फ्यूचर बेहतर हो सके.

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