RANCHI: जिस अधिकारी पर चाइल्ड लेबर एक्ट का पालन करवाने की जिम्मेवारी है, उसीके आवास से दो नाबालिग बच्चियों को रेस्क्यू किया गया है। यह कार्रवाई 30 जुलाई को ही गई थी। फिलहाल उन बच्चियों को शेल्टर होम प्रेमाश्रय में रखा गया है। उक्त अधिकारी रांची जिले में एक महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित है।

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, रांची चाइल्ड लाइन को जानकारी मिली कि एक अधिकारी के घर में दो नाबालिग बच्चियां काम कर रही हैं। यह सूचना सीडब्ल्यूसी समेत धावा दल को मिली। धावा दल में लेबर इंस्पेक्टर, डॉक्टर, स्थानीय पुलिस भी शामिल रहता है। टीम ने वहां छापेमारी की तो वहां पर दो बच्चियों से काम लिया जा रहा था, जो नाबलिग थीं। उन बच्चियों को रेस्क्यू कर सीडब्ल्यूसी लाया गया और उन्हें प्रेमाश्रय भेज दिया गया।

प्रेमाश्रय से भी 5 दिन में रिलीज

प्रेमाश्रय जाने के बाद दोनों को वहां से भी पांच दिनों में ही रिलीज कर दिया गया। दोनों दुमका की हैं। बताया जाता है कि इस मामले में सीडब्ल्यूसी की भूमिका संदिग्ध है। सीडब्ल्यूसी ने नॉ‌र्म्स को फॉलो नहीं करते हुए उसे प्रेमाश्रय तो भेज दिया, लेकिन बवाल न हो इससे पहले ही उनके पेरेंट्स को दुमका से बुलाकर बच्चियों को रिलीज कर दिया।

क्या कहता है एक्ट

एक्ट कहता है कि जब किसी के यहां से नाबालिग रेस्क्यू किए जाते हैं तो उसकी एक सप्ताह में तीन बार काउंसेलिंग की जाती है। 14 दिन उसे शेल्टर होम में रखा जाता है। पर, इतनी जल्दी बच्चों को रिलीज करना एक्ट के खिलाफ है।

बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान

इस मामले की जानकारी जब बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर को हुई तो उन्होंने प्रेमाश्रय में फोन कर बच्चियों को रोकने का आदेश दिया। सोमवार को अध्यक्ष खुद प्रेमाश्रय पहुंची और दोनों नाबालिग बच्चियों से पूछताछ की।

सीडब्ल्यूसी व डीसीपीओ को नोटिस

मामले में सीडब्ल्यूसी, डीसीपीओ को बाल संरक्षण आयोग नोटिस जारी करेगा और उनसे पूछा जाएगा कि आपने नॉ‌र्म्स फॉलो क्यों नहीं किया।

वर्जन

पूरे मामले की जांच होगी। दोषी पाए गए लोगों के विरुद्ध सरकार को कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। यदि डीडीसी के घर से किसी को रेस्क्यू किया गया है तो यह देखना होगा कि आखिर वहां बच्चियां कब से आई थीं।

आरती कुजूर, अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग, रांची