-प्रोवेशन विभाग ने सीसीएसयू समेत कॉलेजों के सोशल स्टडी डिपार्टमेंट को लिखा लेटर

-विभाग की मंशा, किशोरों पर हो शोध, ताकि सही रास्ते पर लगाया जा सके

<-प्रोवेशन विभाग ने सीसीएसयू समेत कॉलेजों के सोशल स्टडी डिपार्टमेंट को लिखा लेटर

-विभाग की मंशा, किशोरों पर हो शोध, ताकि सही रास्ते पर लगाया जा सके

MeerutMeerut : बाल संप्रेषण गृह के किशोरों के लिए सही मार्गदर्शक नहीं मिल रहा है। प्रोवेशन विभाग ने सीसीए यूनीवर्सिटी समेत विभिन्न कॉलेजों के सोशल स्टडी और साइकोलॉजी डिपार्टमेंट को पत्र लिखकर शोधार्थियों से किशोरों पर शोध करने का आग्रह किया है। हैरानी की बात यह है कि अभी किसी भी शोधार्थी ने इस दिशा में रुचि नहीं दिखाई है। हालांकि वहीं विभाग इन छात्रों को 'विपश्यना' के माध्यम से 'सुधारने' का प्रयास कर रहा है।

नहीं मिला आपेक्षित सहयोग

जिला प्रोवेशन अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि शासन की ओर से संप्रेषण गृह में रह रहे किशोरों को बेहतर मार्गदर्शन के निर्देश हैं। इसी क्रम में सीसीएस यूनीवर्सिटी समेत विभिन्न कॉलेजों के सोशियोलॉजी विभाग को पत्र लिखकर शोधार्थियों को संप्रेषण गृह में बुलाने का आग्रह किया था। विभाग की मंशा है कि शोधार्थी एक-दो किशोरों के साथ भी शोध की मंशा से वक्त बिताएंगे तो उनके रहन-सहन और मानसिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। विभाग किशोरों की मेंटल स्टडी कर उनकी काउंसलिंग करना चाहता है। शिक्षण संस्थानों से विभाग को निराशा मिली, अभी तक एक भी शोधार्थी इन किशोरों पर शोध करने को नहीं आया है। वहीं विभाग की मंशा यह भी है सामाजिक संस्थाएं इन किशोरों की काउंसलिंग के लिए आगे आएं।

'विपश्यना' ले रहे किशोर

'मुंह और आंख बंद करो, नाक से सांस लो और मन को सांस के द्वार का पहरेदार बना दो। मन को किसी भी स्थिति में भटकने मत दो.' सोमवार को बाल संप्रेषण गृह में दूसरी बार किशोरों ने दूसरी बार विपश्यना ली। जिला प्रोवेशन अधिकारी की मौजूदगी मेरठ विपश्यना सेवा संस्थान के डॉ। रामकुमार गुप्ता के निर्देशन में ब्क् किशोरों ने दो घंटे तक विपश्यना ली। कुछ किशोर बेहद रुचि दिखा रहे थे तो कुछ अनमने मन से बैठे थे। डॉ। गुप्ता के सवालों के जबाव में किशोरों ने गलत रास्ते से सही रास्ते पर चलने की बात भी स्वीकारी। वार्डन मिथलेश सिंह समेत कर्मचारी मौजूद थे। डीपीओ ने सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया।

ताकि न रहे बेरोजगार

प्रोवेशन विभाग खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के संपर्क में है। विभाग का प्रयास है कि संप्रेषण गृह से निकलने के बाद किशोर हुनरमंद हों और कारीगरी से रोजगार को हासिल करें। दरी, चादर बुनना, सूत कातना आदि सिखाकर किशोरों को रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास विभाग कर रहा है। हालांकि सुझाव यह भी है कि विभाग ऐसे उद्यमों को इन किशोरों के पास ले जाए जो प्रचलन में हैं, जैसे-स्पो‌र्ट्स गुड्स बनाना। विभाग किशोरों को प्रशिक्षित कर अच्छा कारीगर बनाने की दिशा में प्रयास कर रहा है।

बाल संप्रेषण गृह किशोरों का विपश्यना के माध्यम से मष्तिष्क परिवर्तन करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां से जाने के बाद किशोरों को रोजगार की दिक्कत न हो, इसके लिए प्रशिक्षण कैंप भी लगाया जाएगा।

पुष्पेंद्र सिंह, डीपीओ, मेरठ