नशा करने में लड़कियां भी नहीं है पीछे

सर्वे में यह बात सामने आयी है कि नशा करने वालों में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं। सर्वे के मुताबिक सिटी में 3837 लड़कियां नशे की गिरफ्त में हैं। नशा करने वाले लडक़ों की संख्या 5749 है।

डेंड्राइट व व्हाइटनर का नशा करते हैं 8178 बच्चे
1418 बच्चे ऐसे हैैं जो गांजा का नशा करते हैैं, जबकि 8178 बच्चे डेंड्राइट, कोरॉक्स, वाइटनर आदि का यूज नशा के लिए करते हैं। ऐसे बच्चों को सिटी व आस-पास की एरिया में देखा जा सकता है। इनमें पार्क, रेलवे स्टेशन, बस स्टैैंड व पब्लिक टॉयलेट उनके फेवरेट प्लेस होते हैं।


Parents के साथ नशा करते हैं 792 बच्चे
सर्वे में हैरान करने वाली एक बात यह सामने आयी कि पैरेंट्स अपने बच्चों को नशा करने से रोकते नहीं हैं। सिटी में 792 ऐसे बच्चे हैैं, जो अपने पैरेंट्स के साथ ही नशा करते हैं। बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के चीफ कन्वेनर सदन कुमार ठाकुर कहते हैैं कि जब पैरेंट्स
खुद ही नशा करते हैैं तो बच्चे को कैसे रोकेंगे। यही कारण है कि वे उनके साथ ही नशा करने लगते हैैं। उन्होंने कहा कि यह काफी डेंजरस साइन है।


इसलिए करते हैं नशा
नशा करने के लिए डेंड्राइट इनका फेवरेट है। यह आसानी से मिल जाता है। एक बार इसे रूमाल में डालकर ये घंटों मुंह के जरिए इसे बॉडी के अंदर इनहेल करते हैं। ऐसे लडक़ों को आसानी से देखा जा सकता है। इसके बाद कोरेक्स व व्हाइटनर भी शॉप्स में इजी अवेलेबल होने के कारण इस तरह की नशा का चलन लगातार बढ़ रहा है।


सीतारामडेरा में नशेड़ी बच्चों की संख्या है सबसे ज्यादा
नशा करने वालों में सबसे डेंजरस सिचुएशन सीतारामडेरा एरिया की है। यहां सबसे ज्यादा 995 बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बहरागोड़ा है, जहां के 840 बच्चे नशा करते हैं। इसी तरह तीसरे प्लेस पर 807 बच्चों के साथ बिरसानगर व चौथे स्थान पर मानगो में 777 बच्चे नशा करते हैं।


प्लेस    नशेड़ी बच्चों की संख्या
साकची        765
बिष्टुपुर         437
जुगसलाई      302
बागबेड़ा        578
परसुडीह        339
सुंदरनगर       215
पोटका           499
टेल्को            577
गोविन्दपुर       333
बहरागोड़ा         840
राहरगोड़ा         215
घाटशिला         505
सोनारी           308
कदमा            245
सीतारामडेरा      995
सिदगोड़ा         109
बिरसानगर       807
मानगो           777
उलीडीह          215
आजादनगर     307
एमजीएम        218

हमने हर एरिया का सर्वे किया। इसमें रोड पर रहने वाले बच्चों के साथ ही उनके पैरेंट्स से भी बात की गई। सर्वे में हर पहलू का ध्यान रखा गया है, ताकि कोई गलती न हो। अब एडमिनिस्ट्रेशन व गवर्नमेंट को ऐसे बच्चों के पुनर्वास के बारे में सोचना होगा, साथ ही नशा करने वाली चीजों की इजी इजी अवेलेबिलिटी पर भी रोक लगानी होगी।
सदन कुमार ठाकुर, चीफ कन्वेनर, बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान

report by : goutam.ojha@inext.co.in