आई-स्पेशल

कूड़ा बीनने वाले बच्चों का हो नहीं पाया भला, अब हर जिले में दो ग्रामसभाओं में चाइल्ड फ्रैंडली स्कीम चलाने की तैयारी।

-बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष समेत छह सदस्य तलाश रहें ग्रामसभा।

-बच्चों को बेहतर माहौल और सुविधाएं देने का है स्कीम में मकसद।

ष्ठश्व॥क्त्रन्ष्ठहृ: उत्तराखंड में बचपन सिसक रह है। उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए योजनाओं की कमी नहीं है। प्रयास जरूर आधे-अधूरे और अगंभीर हैं। स्थानीय निकायों में अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए, जब सर्वे में कूड़ा बीनने वाले बच्चों की संख्या 700 निकली थी, उनके लिए पुनर्वास के लिए किसी तरह के प्रयास नहीं हो पाए हैं। अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशा निर्देश पर उत्तराखंड की 26 ग्राम सभाओं में खिलते बचपन के सपने दिखाए जा रहे हैं। इन ग्रामसभाओं को चाइल्ड फ्रैंडली बनाने के लिए कवायद शुरू की गई है। सवाल ये ही है कि शहरों में जब बचपन मुस्कुरा नहीं पा रहा है, तो गांवों में कैसे इसकी उम्मीद की जा सकती है।

नगर निगमों में स्थिति ज्यादा खराब

-उत्तराखंड के नगर निगमों में कूड़ा बीनने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा 405 निकली हैं। नगर पालिका परिषदों की बात करें, तो वहां पर 226 और नगर पंचायतों में 50 बच्चे कूड़ा बीनने वाले निकले हैं। यही नहीं, राज्य की नौ छावनी परिषदों में भी ऐसे बच्चे पाए गए हैं। इनकी संख्या 19 निकली है।

चाइल्ड फ्रैंडली विलेज की कसरत

-यह कॉन्सेप्ट राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग लेकर आया है। दिल्ली के निर्देश पर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने इस दिशा में प्राइमरी वर्क करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले जिलों में दो-दो ग्रामसभाएं तलाश की जा रही हैं, जहां पर इस स्कीम को शुरू किया जाए। स्कीम के अंतर्गत संबंधित ग्राम सभा में बच्चों को तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। अच्छा वातावरण दिया जाएगा, ताकि वह महसूस बचपन को अच्छे ढंग से महसूस कर सके।

अध्यक्ष की तलाश रूद्रप्रयाग में

-बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और छह सदस्य इन दिनों विभिन्न जिलों में इस स्कीम के लिए ग्राम सभाओं की तलाश करने में जुटे हैं। अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी रुद्रप्रयाग जिले में सक्रिय हैं। विभिन्न सदस्यों को अलग-अलग जिले दिए गए हैं। कोशिश ये ही की जा रही है कि ब्लाक मुख्यालय के नजदीक की ग्राम सभा चयन की जाए, ताकि वहां पर सुविधाएं उपलब्ध कराने में आसानी हो।

-कूडे़ बीनने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार के स्तर पर कोशिश की जा रही है। अभी कोई कार्यक्रम फाइनल नहीं हुआ है। आयोग का काम मॉनिटरिंग का है, उसे देखा जा रहा है। चाइल्ड फ्रैंडली विलेज स्कीम के लिए ग्रामसभाएं जल्द ही चयनित कर ली जाएंगी। आयोग की कोशिश ये ही है कि सरकार के साथ मिलकर बच्चों की बेहतरी के लिए प्रभावशाली काम किया जा सके।

-योगेंद्र खंडूड़ी, अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग, उत्तराखंड।

खिलते बचपन के दावे-हकीकत

700

बच्चे विभिन्न शहरों में चिन्हित किए गए हैं, जो कि कूड़ा बीनने के काम से अटैच हैं, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए नहीं हो पाए हैं ठोस प्रयास।

26

ग्राम सभा उत्तराखंड में चयनित की जा रही हैं, जहां पर चाइल्ड फ्रैंडली स्कीम चलेगी। हर जिले में दो ग्राम सभा स्कीम के लिए चुनी जानी हैं।

07

सदस्यीय टीम पूरे उत्तराखंड में चाइल्ड फ्रैंडली विलेज की तलाश में जुटी है। बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के जिम्मे रुद्रप्रयाग जिला।