ट्रेन में सफर के दौरान नींद लग गई और लाडला आपसे दूर हो गया? तो भी अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उसका रेलवे ऑफिसर न सिर्फ ध्यान रखेंगे बल्कि सुरक्षित आप तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश भी करेंगे। बच्चा कुछ बता नहीं सकता तो आपको थोड़ा कष्ट उठाकर पिछले स्टेशनों से सम्पर्क करना होगा।

बच्चों की देखभाल भी करेगा रेलवे

-देश भर के रेलवे स्टेशनों पर जल्द खुलेगा चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर

-चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने जारी किया सभी जीएम को सेंटर खोलने का निर्देश

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ALLAHABAD: ट्रेन में जर्नी के दौरान गलती से बच्चा बिछड़ गया तो भी आने वाले दिनों में आपको परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं होगी। बस उन स्टेशनों से सम्पर्क करना होगा जिन्हें आप पीछे छोड़ आए हैं। वहां से आपको आपके बच्चे के बारे में न सिर्फ पूरी इंफारमेशन मिलेगी, बल्कि बच्चा भी सही सलामत मिलेगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के निर्देश पर स्टेशनों पर चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर खोलने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका है। यहां न सिर्फ बच्चों के लिए रहने की व्यवस्था होगी बल्कि उनका हेल्थ चेकअॅप भी होगा और खाने-पीने के सामान के साथ खेलने के लिए खिलौने भी मिलेंगे।

क्यों पड़ी सेंटर की जरूरत

नई दिल्ली की रहने वाली खुशबू जैन ने कोर्ट ने एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने स्टेशनों पर भटकते हुए मिलने वाले बच्चों की सुरक्षा और उन्हें अपनों तक पहुंचाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बच्चों के साथ होने वाली घटनाओं का भी याचिका में जिक्र किया था। उन्होंने कोर्ट ने रेलवे को निर्देशित करने का आग्रह किया था कि स्टेशन पर अपनों से बिछड़ जाने वाला बच्चा न सिर्फ सही सलामत रहे बल्कि अपने घर भी पहुंच सके। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए रेलवे को निर्देश दिया कि वह देश भर के सभी स्टेशनों पर चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर खोले। इसके बाद रेलवे बोर्ड ने चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी बनाकर उससे संबंधित नोडल आफिसर को चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर खोलने का निर्देश जारी किया।

योजना पर काम शुरू

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन का आदेश मिलने के बाद सभी जोन के महाप्रबंधकों ने इस सिस्टम को डेवलप करने पर काम शुरू कर दिया है। वैसे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के आदेश में इस टॉप प्रॉयोरिटी पर रखकर डेवलप करने का आदेश दिया गया है। चेयरमैन के लेटर में चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर का पूरा खाका भी बनाकर भेजा गया है। सेंटर के संचालन के लिए जोन स्तर पर चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी बनाने का भी निर्देश दिया गया है।

क्या मिलेगी यहां सुविधाएं

रेलवे बोर्ड की तरफ से जारी निर्देशों के अनुसार चिल्ड्रेन असिस्टेंस सेंटर पर लाए जाने वाले बच्चों को रहने के लिए कमरा, खाने पीने का सामान, खिलौना, टॉयलेट और साथ ही बीमार होने पर उन्हें प्राथमिक उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी। सेंटर से चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर, जीआरपी, आरपीएफ, लोकल चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के मेम्बर्स हमेशा सम्पर्क में रहेंगे और बच्चों के बारे में जानकारी लेंगे ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो। केन्द्रों पर बच्चों की प्रॉपर देखभाल के लिए एक आया तैनात की जाएगी। बता दें कि असिस्टेंस सेंटर रन कराने वाली कमेटी में जीआरपी, आरपीएफ के इंस्पेक्टर, चीफ टिकट इंस्पेक्टर, टीटीई और सीनियर सेक्शन इंजीनियर को रखा जाएगा।

तीन सालों में मिले दो सौ से अधिक बच्चे

जीआरपी के मुताबिक पिछले तीन सालो में करीब दो सौ बच्चे स्टेशन पर अपने फैमिली मेंबर्स से बिछड़े मिले हैं। इन्हें देखरेख के लिए ाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया गया। जीआरपी के आंकड़े पर नजर डालें तो पिछले दो सालों में स्टेशन के अलग-अलग प्लेटफार्म से 79 बच्चे फैमिली मेंबर्स से बिछड़े बरामद किए गए हैं। ख्0क्ख् में स्टेशन पर से कुल 7क् बच्चे बरामद हुए थे। ख्0क्क् में यह आंकड़ा सिर्फ फ्0 बच्चों तक सीमित था।

रेलवे ने चाइल्ड लाइन को भेजा

जीआरपी व आरपीएफ के अलावा रेल के अधिकारी-कर्मचारी जंक्शन या बोगी में लावारिस मिलने वाले बच्चों को चाइल्ड लाइन भेजते रहे हैं। स्टेशन के एक अधिकारी के मुताबिक पिछले दो सालों में जंक्शन के प्लेटफार्म पर ही पचास से अधिक बच्चे भूले-भटके मिले हैं। पूछताछ में बच्चों से पैरेंट्स के बारे में कुछ खास जानकारी न मिलने के चलते उन्हें चाइल्ड लाइन भेज दिया गया। फिलहाल इसके अलावा कोई ऑप्शन भी उनके पास नहीं है।

वर्जन

रेलवे बोर्ड के निर्देश पर एनसीआर डिवीजन के इलाहाबाद जंक्शन के अलावा कानपुर, आगरा व मथुरा स्टेशनों पर असिस्टेंस सेंटर खोलने का प्रस्ताव है। इस सेंटर पर बच्चों की केयर के लिए एक लेडी की तैनाती होगी। यह जीआरपी व आरपीएफ इंस्पेक्टर की देखरेख में रहेगा। स्टेशन सुपरिंटेंडेंट सेंटर के प्रभारी होंगे.8

-नवीन बाबू

सीपीआरओ एनसीआर डिवीजन