कुछ ऐसी ही स्थिति है। सीरियस बच्चे के लिए उधार की सासें (वेंटिलेटरर) चाहिए तो आपको प्राइवेट हॉस्पिटल्स ही जाना होगा। सरकारी हॉस्पिटल में सिर्फ दो को यह सुविधा मिल सकती है। यानी यहां भी किस्मत का साथ चाहिए ही।

सिर्फ दो के लिए है 'उधार की सांस'

-सुविधाएं न होने से चिल्ड्रेन हॉस्पिटल से लौटाए जा रहे हैं मासूम

-मंडल के एकमात्र बच्चों के हॉस्पिटल में हैं केवल दो वेंटीलेटर

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ALLAHABAD: यहां उधार की सांसें पाना भी किस्मत की बात है। सुविधाएं न होने से मासूमों को वापस लौटा दिया जाता है। फिर चाहे वह प्राइवेट हॉस्पिटल में जाएं या तड़प कर दम तोड़ दें। बात हो रही है चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की। मंडल के एकमात्र इस चाइल्ड रेफरल हॉस्पिटल में महज दो वेंटीलेटर ही मौजूद हैं। जबकि, रोजाना आने वाले सीरियस मरीजों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

जरूरत छह की लेकिन हैं केवल दो

क्ख्0 बेड वाले चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में रोजाना औसतन ख्भ् मरीज एडमिट होते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें वेंटीलेटर की सख्त जरूरत होती है। ऐसे मरीजों कि किस्मत होती है कि उन्हें वेंटीलेटर की सुविधा नसीब हो जाए। ऐसा इसलिए कि जरूरत के मुताबिक इस हॉस्पिटल को छह वेंटीलेटर चाहिए लेकिन मौजूद केवल दो हैं। ऐसे में बहुतेरे मरीजों को बैरंग वापस लौटा दिया जाता है।

बाहर अफोर्ड नहीं कर सकते

चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में वेंटीलेटर का रोजाना चार्ज क्भ्00 रुपए है। गरीबों के रिक्वेस्ट करने पर यह फीस भी नब्बे फीसदी तक कम कर दी जाती है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में यही चार्ज परडे आठ हजार रुपए से अधिक है। इसीलिए यहां जगह नहीं मिलने पर लाचार परिजन मासूमों को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।

पैसा स्वीकृत, नहीं आई मशीन

हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि एक वेंटीलेटर का पैसा शासन से मंजूर हो चुका है लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाने से उसकी उपलब्धता नहीं हो पाई है। उम्मीद है कि अगले क्भ् दिनों के भीतर वह आ जाएगा। हॉस्पिटल ने शासन से तीन एक्सट्रा वेंटीलेटर की मांग की थी। क्योंकि, आठ साल पुराने तीन वेंटीलेटर लाइफ खत्म हो जाने से खराब पड़े हुए हैं।

स्टाफ भी तो चाहिए

हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि दो वेंटीलेटर पर कम से कम एक वेल स्किल्ड स्टाफ नर्स की जरूरत होती है। उनकी इस समय बेहद कमी है। वर्तमान में हॉस्पिटल के पास फ्0 नर्स मौजूद हैं, जबकि आवश्यकता म्0 नर्स की है। ऐसे में अगर वेंटीलेटर आते भी हैं तो इनको राउंड ओ क्लॉक ऑपरेट करने के लिए स्टाफ की कमी आड़े आएगी। उधर, जो लोग मरीज वेंटीलेटर पर हैं उनको भी इलाज कराने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। औसतन डेली दो से तीन घंटे बिजली कटौती होने से मरीजों की जान पर बन आती है। हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि उन्हें जनरेटर चलाने के लिए डीजल का लिमिटेड बजट मिलता है, ऐसे में बार-बार लाइट जाने से काफी लॉस हो रहा है। डॉक्टर्स कहते हैं कि वेंटीलेटर को राउंड ओ क्लॉक वर्क करना होता है। अगर एक मिनट के लिए भी लाइट कटी तो मरीज के लिए कॉम्पि्लकेशन बढ़ जाता है।

-शासन से तीन वेंटीलेटर मांगे गए थे। एक के लिए पैसा मंजूर हुआ है। फिलहाल दो मशीनें काम कर रही हैं। इतने बड़े हॉस्पिटल में छह वेंटीलेटर होना जरूरी है। दोनों अक्सर भरे रहते हैं। फिलहाल हम मैनुअल सिस्टम से आर्टिफिशियल सांस देते हैं।

-डॉ। डीके सिंह,

एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल