- जानलेवा बीमारियों से बच्चों को बचाकर रखना जरूरी
- चढ़ता पारा बिगाड़ सकता है सेहत, 5000 से ऊपर पहुंची चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी
- दिनभर में एक लीटर पानी पिलाना जरूरी, एडल्ट को तीन लीटर की जरूरत
ALLAHABAD: पारा ब्भ् डिग्री के पार जा चुका है। जून में गर्मी का ये हाल किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में मौसम मासूमों पर कहर बनकर टूट रहा है। एग्जाम्पल के तौर पर मई में चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में पेशेंट्स की तादाद भ् हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। जून के अंत तक यह संख्या छह हजार के आंकड़े को क्रास कर सकती है। गर्मी और उमस में कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो जरा सी लापरवाही बरतने पर मासूमों को अपनी चपेट में ले सकती है। समय पर इनका इलाज नहीं कराया जाए तो जानलेवा भी हो सकती हैं।
क्भ्0 से अधिक पहुंची मरीजों की संख्या
मंडल के सबसे बड़े चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के वर्तमान में सभी बेड भरे हुए हैं। हालात यह हैं कि एक बेड पर दो से तीन मासूमों को भर्ती किया जा रहा है। जून में पर डे ओपीडी में क्भ्0 से ख्00 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से कई मरीज मौसमी बीमारियों से परेशान हैं। इन संक्रामक बीमारियों का समय रहते इलाज भी बेहद जरूरी है। जरा सी चूक बच्चों की जान भी ले सकती है। आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं ये जानलेवा बीमारियां और कितने मासूम हैं इनकी चपेट में।
बीमारी पर डे मरीजों की संख्या
डायरिया 8 से क्0
पीलिया भ् सेम्
वायरल फीवर फ्भ् से ब्0
ब्रांकाइटिस ख्0 से ख्भ्
फूड प्वाइजनिंग भ् से म्
खूनी पेचिस म् से 7
मेनिंजाइटिस म् से 8
मलेरिया फ् से ब्
जनवरी से जून के बीच बढ़े क्800 मरीज
आंकड़ों पर जाएं तो गर्मी के दस्तक देते ही मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में केवल जनवरी से अप्रैल के बीच क्800 मरीज बढ़ गए। इसी तरह भर्ती मरीजों की संख्या में ख्क्ब् की वृद्धि हुई है। वहीं मई खत्म होने तक में मरीजों की संख्या भ्000 से ऊपर पहुंच चुकी है और डेली ख्0 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं। यह संख्या जून और जुलाई में ज्यादा ऊपर जा सकती है।
मंथ ओपीडी संख्या भर्ती संख्या
जनवरी फ्क्भ्भ् ब्0म्
फरवरी फ्ब्8ब् ब्7फ्
मार्च फ्8म्ब् ब्म्7
अप्रैल ब्ब्ब्भ् भ्9म्
मई भ्क्00 म्ख्0
ख्0क्फ् में मई जून और जुलाई का आंकड़ा
मंथ ओपीडी संख्या भर्ती संख्या
मई भ्ख्0क् म्0म्
जून भ्079 म्क्8
जुलाई म्ब्0भ् 78फ्
मेनिंजाइटिस से होती हैं ज्यादा मौतें
इस सीजन में सबसे अधिक मौतें मेनिंजाइटिस से होती हैं। वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली इस बीमारी को लोग दिमागी बुखार का नाम भी देते हैं। खुद डॉक्टर्स भी इसके सही कारणों का पता नहीं लगा पाते। समय पर इलाज नहीं मिलने पर हर महीने फ्0 फीसदी से अधिक बच्चों की इससे मौत हो जाती है। वर्तमान में चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में इसके मरीजों की संख्या बहुत आधा दर्जन से अधिक है। कई बार शुरुआती दौर में इस बीमारी की जानकारी भी नहीं हो पाती है। जानते हैं क्या हैं लक्षण-
- तेज फीवर, सिर में तेज दर्द, पांच साल से कम बच्चों का अधिक रोना, रात में न सोना, उल्टी, कोमा में चला जाना और दौरे व झटके
बचाव- जेई या एचआईबी का टीका जरूर लगवाएं।
कुछ फंडे जो आठ बीमारियों से बचाएंगे
वैसे तो सीजनली आठों बीमारियों काफी खतरनाक हैं और इनमे ंसे कई वाटर बांड डिजीज तो कुछ खानपान में लापरवाही बरतने से भी फैलती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि रूरल एरियाज में परिजन अक्सर झोलाछाप डॉक्टर या झाड़फूंक के चक्कर में पड़कर मरीज को क्रिटिकल स्टेज में पहुंचा देते हैं। उल्टी-दस्त होने पर परिजन बिना डॉक्टर से पूछे एंटीबायोटिक दे देते हैं जो मरीज की के लिए खतरनाक साबित होता है। डॉक्टर्स के मुताबिक कुछ ऐहतियात बरतकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है-
- नियमित टीकाकरण करवाएं
- मां का दूध पिलाएं।
- बच्चों को तेज धूप में लेकर न निकलें।
- बाजार में बिकने वाले खुले कटे फल न खिलाएं।
- शौच के बाद और खाने से पहले हाथ साबुन से धुलाएं।
- बच्चों के नाखून जरूर काटें।
- उन्हें बासी भोजन कतई न दें।
- पानी उबालकर पिलाएं। उल्टी-दस्त होने पर ओआरएस का घोल पिलाएं।
कम से कम एक लीटर जरूर पिलाएं
भीषण गर्मी और उमस के सीजन में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को एक दिन में कम से कम एक लीटर पानी देना जरूरी है। अगर बच्चा ज्यादा एक्टिव है तो पानी की क्वांटिटी भी बढ़ानी होगी। वहीं एडल्ट को इस सीजन में दिनभर में तीन लीटर पानी पीना जरूरी है। डॉक्टर्स कहते हैं कि नॉर्मली क्0 से क्ख् गिलास पानी सफिशिएंट है। बॉडी से अधिक पसीना निकलने की वजह से पानी की अधिक जरूरत होती है।
इस मौसम में हॉस्पिटल में मरीजों का लोड दोगुना तक बढ़ जाता है। इनमें कुछ बीमारियों के मरीज काफी तादाद में आते हैं। इनसे बच्चों को बचाकर रखना होगा। अगर साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए तो संक्रमण से बचा जा सकता है। बच्चों का नियमित टीकाकरण कराने से कई बीमारियों से बचाव हो जाता है।
डॉ। डीके सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल
तापमान अधिक होने के साथ उमस भी बढ़ती जा रही है। इससे बॉडी से खूब पसीना निकल रहा है जो पानी की मात्रा को कम कर सकता है। इससे डायरियां, डिहाइड्रेशन और पीलिया सहित कई खतरनाक बीमारियां होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। इसलिए साफ पानी अधिक मात्रा में इस सीजन में पीना चाहिए।
डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, हेल्थ डिपार्टमेंट