- 'टूगेदर नो योर स्कूल एंड ग्रो स्कूल' के तहत सीबीएसई ने आयोजित की रीजनल कांफ्रेंस ऑफ प्रिंसिपल

- मेरठ पहुंची सीबीएसई चेयरपर्सन ने स्कूलों और प्रिंसिपल की तय की जिम्मेदारी

- पेरेंट्स को अवेयर रहने की दी सीख, होटल ब्रावुरा में आयोजित हुई कांफ्रेंस

Meerut : फर्क नहीं पड़ता कि स्कूल में बच्चा कम मा‌र्क्स लेकर आ रहा है। फर्क, ये पड़ता है कि बतौर प्रिंसिपल आप क्या डिसाइड कर रहे हैं? आखिर आपके रहते हुए ऐसा कैसे हुआ? अनुशासनहीनता पर सीधी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की है। यदि बच्चा बिगड़ रहा है तो बहाने बनाकर जिम्मेदारी ने मुंह नहीं मोड़ सकते। स्कूलों को सोचना होगा कि बच्चा क्यों बिगड़ रहा है, टीचर और स्टूडेंट्स के बीच में गैप क्यों है?

तय की स्कूलों की जिम्मेदारी

गुरुवार को होटल ब्रावुरा में आयोजित कांफ्रेंस में सीबीएसई की चेयरपर्सन डॉ। सतबीर बेदी ने देश के कोने-कोने से जुटे सीबीएसई स्कूल के प्रिंसिपल को संबोधित करते हुए कहा कि अनुशासनहीनता पर सीधी जिम्मेदारी स्कूलों की है। मेरठ में पहली बार आयोजित सीबीएसई का रीजनल कांफ्रेंस आयोजित हुआ। देशभर से सीबीएसई स्कूल के करीब तीन सौ प्रिंसिपल इस सेमिनार में शामिल हुए।

वो बात वो करुंगी, जो करनी चाहिए

चेयरपर्सन डॉ। बेदी ने कहा कि मुझे सीसीई पैटर्न का मार्किंग सिस्टम आज तक समझ नहीं आया है और न मैं उस पर बात करुंगी। मैं तो वो बात करूंगी जो प्रिंसिपल से करनी चाहिए। मैं, उस प्रिंसिपल से बात करुंगी जो 13 साल तक एक बच्चे की जिम्मेदारी लेते हैं, क्योंकि उन्हें समझने की जरुरत है, एक बच्चे को शिक्षित कर वे सोसाइटी में भेज रहे हैं तो आखिर वो क्या भेज रहे हैं? उन्होंने प्रिंसिपल्स को साक्षरता और शिक्षा का फर्क भी समझाया।

मुझे पसंद नहीं सिफारिशें

स्कूलों में पहुंचने वाली सिफारिशों पर सवाल उठाते हुए डॉ। बेदी ने कहा कि मुझे सिफारिश पसंद नहीं है। मैं अपने सिस्टम को फेयर रखना चाहती हूं। पॉलिटिकल प्रेशर और सिफारिशें लगाने से मैं काम नहीं करती हूं। मेरी नजर में मेरा फाइनल क्लाइंट चिल्ड्रन है, कोई पि्रंसिपल या टीचर नहीं है।

पेरेंट्स भी कम नहीं

डॉ। बेदी ने कहा कि आज सबसे बड़ी परेशानी हैं पेरेंट्स। पेरेंट्स बहुत कनफ्यूज हैं, जो अपने बच्चे किसी पड़ोसी या किसी रिश्तेदार की महत्वकांक्षा पर बड़ा करते हैं। इसके लिए अवेयरनेस की आवश्यकता है। पेरेंट्स में कमी है कि वो अपने बच्चों को चैलेंज के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि आज हमें नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पा रहे हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि उनका बच्चा क्या देख रहा है? इस पर नजर रखें न कि बच्चों को डांटे या मारे। पेरेंट्स को चाहिए वह बड़ी स्मार्टनेस के साथ बच्चों से उनके बारे में पूछे।

टीचर्स स्किल्स पर करें फोकस

सीबीएसई ज्वाइंट सेकेट्री एंड इंचार्ज एकेडकमिक एंड ट्रेनिंग डीटीएस राव ने कहा कि टीचर की स्किल पर फोकस करने की आवश्यकता है। वह अपनी स्किल्स और ह्यूमन क्वालिटी का ध्यान रखें।

प्रिंसिपल्स का रोल बड़ा

वोकेशनल एजुकेशन डायरेक्टर एमवीवी प्रसाद राव ने कहा कि एक प्रिंसिपल को सभी रोल निभाने होते हैं, टीचर, बच्चों, पेरेंट्स के साथ सभी को मैनेज करना होता है। इसलिए प्रिंसिपल का रोल बहुत ही मुश्किल होता है। जिसमें बहुत दिक्कतें आती है, उनका काम हैं प्रॉब्लम को फाइंड आउट कर सॉल्यूशन निकालना। उन्होंने कहा कि स्कूलों में टीचिंग एनवायरमेंट बनाने की आवश्यकता है और टीचर्स को स्किल एजुकेशन के लिए मोटीवेट करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सेकेंड्री लेवल पर काफी स्किल कोर्स है। इनमें से 40 परसेंट ट्रेडीशनल कोर्स के लिए स्किल एजुकेशन है।

मोरल एजुकेशन पर नहीं ध्यान

सीबीएसई रीजनल ऑफीसर मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि हमारा पूरा साल परीक्षा और परिणाम में गुजर जाता है। हम मोरल एजुकेशन पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। सीसीई पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां सीसीई को लेकर काफी भ्रांतियां हैं। मुझे कोई ये बताए कि सीसीई से क्या परेशानी है, यदि वो है, तो क्यों है? कोई गाइडलाइन दीजिए, मैटर ये नहीं करता कि वो पॉजिटिव हो या नेगेटिव। उन्होंने कहा कि बच्चों में टीचर का डर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, कहीं न कहीं गैप की वजह से ऐसा सामने आ रहा है। प्रिंसिपल बताएं कि अनुशासन में क्यों कमी आ रही है?

जब चेयरपर्सन ने चौकाया

कांफ्रेंस में बोलते हुए चेयरपर्सन डॉ। बेदी ने पैटर्न के सवाल पर कहा कि 'मैं नहीं जानती कि सीसीई और पीएसए क्या होता है?' चेयरपर्सन के इस बयान ने प्रिंसिपल का मूड उखड़ गया। बता दें, नार्थ इंडिया के ज्यादातर स्कूलों के प्रिंसिपल सीसीई पैटर्न को हटाने की वकालत कर रहे हैं और उन्हें यह अपेक्षा भी थी कि इस कांफ्रेंस में इस मसले पर अहम फैसला हो जाएगा।

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प्रिंसिपल के सवाल, एक्सपर्ट के जबाव

-कांफ्रेंस में सवाल-जबाव सेशन में जानकारियों का हुआ आदान-प्रदान

- स्टूडेंट्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से खूब बटोरी तालियां

रूद्गद्गह्मह्वह्ल

सीबीएसई रीजनल कांफ्रेंस ऑफ प्रिंसिपल्स टूगेदर कार्यक्रम में प्रिंसिपल्स और सीबीएसई एक्सप‌र्ट्स के बीच सवाल-जबाव सेशन आयोजित किया गया। जिसमें प्रिंसिपल्स ने अपनी समस्याओं और सवालों के बारे में सीबीएसई ऑफीसर्स से पूछा।

सवाल-जबाव

सवाल-बच्चों में सहनशीलता खत्म हो रही है, क्या करें?

चेयरपर्सन-स्कूलों में सोशल वेलफेयर के कार्यक्रम हो रहे हैं जिसके जरिए बच्चों को संस्कार दिए जा रहे हैं। हां, एक सॉल्यूशन है कि टीवी पर आने वाले विज्ञापनों में कभी कभार कुछ गलत मैसेज दिए जाते हैं, जिसके खिलाफ हमें नाराजगी जतानी चाहिए बच्चों को रोकना चाहिए। विज्ञापन के खिलाफ बोलना चाहिए।

सवाल- मैं गुड़गांव से हूं, वहां 40 परसेंट बच्चे गांव से आते हैं, बच्चों के पेरेंट्स कहते हैं कि बच्चे स्कूल में कुछ कर रहे हैं या नहीं उससे हमें मतलब नहीं वह स्कूल के बाद हमें इतना कमा कर दे रहा हैं मुझे इससे मतलब है। ऐसे में हम क्या करें।

चेयरपर्सन-बच्चों की पढ़ाई के मामले में पेरेंट्स इंवोल्व नहीं हो रहे हैं तो टीचर्स बच्चों को बेटर चांस देकर उन्हें अपने स्तर से पढ़ाई में रूची बढ़ाए।

सवाल-सीसीई पैटर्न रखना चाहिए या हटाना चाहिए।

चेयरपर्सन-मुझे सीसीई पैटर्न नहीं समझ आया है न ही नंबर देने की प्रक्रिया समझ आई है। किसी को समझ आता है तो वो मुझे अपने सॉल्यूशन दे।

देश के कोने-कोने से पहुंचे प्रिंसिपल

इस कांफ्रेंस में देश के कोने-कोने से लगभग तीन सौ प्रिंसिपल आए थे। जिनमें तिरुपति, दिल्ली, मेरठ, पंजाब, मुंबई, मेरठ, गाजियाबाद, इंदौर, नोएडा आदि जगह के स्कूलों के प्रिंसिपल शामिल थे। प्रिंसिपल्स ने न केवल अपनी समस्याओं का समाधान किया बल्कि अपने स्कूलों को कैसे इम्प्रूव करें, ये भी जाना।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

स्टूडेंटस ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समा बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत एमपीएस, जीटीबी, दीवान, सेंट जोंस आदि स्कूलों के स्टूडेंट ने वेलकम सांग से किया। गार्गी व एमपीएस ग‌र्ल्स की छात्राओं ने डांडिया और लोकगीत के संगम को प्रस्तुत किया।

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सीसीई पैटर्न नहीं हुआ फैसला

सीसीई पैटर्न को हटाने के लिए प्रिंसिपल्स ने जब सीबीएसई चेयरपर्सन से बात की तो उन्होंने कहा कि फीडबैक दें, अगर यह साबित हो जाएगा कि सीसीई पैटर्न हटना चाहिए तो इसे हटा दिया जाएगा।

ये खास फैसले

- प्रैक्टिकल मा‌र्क्स ऑनलाइन होंगे।

- इंटरमीडिएट के साथ अब हाईस्कूल की कापियों की ऑन स्क्रीन चेकिंग होगी।

- एक स्पेशल सॉफ्टवेयर बनाया गया है 'सारांश', जिस पर स्टूडेंट यह तय कर पाएंगे वह पूरे रीजन में किस लेवल पर है।

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इसलिए दिया जा रहा है जोर

सीसीई, स्कूल बेस्ड एग्जाम है, जिसमें समेटिव व फोरमेटिव असेसमेंट के साथ ही एक्स्ट्रा एक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जाता है। ताकि एक बच्चा पढ़ाई के साथ ही अन्य एक्टिविटी में भी एक्सपर्ट हो। लेकिन इसके बीच कई दिक्कतें आ रही है, जिनमें पेरेंट्स का एक्टिविटी से मुंह मोड़ना, टीचर्स का अपने काम के लोड को कम करने के लिए सीसीई पैटर्न हटाने पर जोर दिया जा रहा है।

पीएसए में है स्टूडेंट को दिक्कत

स्कूलों में पीएसए एग्जाम होते हैं, जो इंट्रेस एग्जाम की तरह होता है, जिसमे हर सब्जेक्ट पर सवाल आते हैं। जब ग्याहरवीं क्लास का बच्चा इसे देता है तो कुछ स्टूडेंट ऐसे होते हैं, जिनके पास मैथ्स नहीं होती है, वो इस एग्जाम में मैथ्स के सवाल नहीं कर पाते हैं। इसलिए पीएसए एग्जाम को हटाने की बात की जा रही है।