- हेल्थ डिपार्टमेंट के मीजल्स और रूबेला वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत स्कूलों में बच्चों को लगाए गए टीके में लापरवाही

-2 स्कूलों के पांच दर्जन से ज्यादा बच्चों की तबीयत बिगड़ी, डरे-सहमे बच्चों और पेरेंट्स की आंखों से निकले आंसू

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KANPUR: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से थर्सडे को दर्जनों पेरेंट्स और स्टूडेंट्स की आंखों में आंसू आ गए। ईश्वर का शुक्र था कि किसी बच्चे को कुछ हुआ नहीं हुआ यूं कि मीजल्स और रुबैला से बचाव के लिए बच्चों के मास वैक्सीनेशन अभियान के दौरान थर्सडे को 2 स्कूलों के 60 से ज्यादा बच्चों की हालत बिगड़ गई। इसके बाद इन बच्चों को मेडिकल कॉलेज के बालरोग अस्पताल व स्कूलों के आसपास के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया। बच्चों के टीका लगने के बाद घबराहट, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ और उल्टियां आने की प्रॉब्लम सामने आई। कई बच्चे बेहोश भी हो गए। आनन-फानन में कई एंबुलेंस में बच्चों को बालरोग अस्पताल भेजा गया। सीएमओ डॉ। अशोक शुक्ला के मुताबिक बच्चों की तबीयत 'टीके के डर' से बिगड़ी।

ठीक से नहीं हुई काउंसिलिंग

कौशलपुरी स्थित सनातन धर्म बालिका इंटर कॉलेज, यशोदा नगर स्थित शारदा विद्या निकेतन में मिजिल्स व रुबेला वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया। इसके लिए सीएमओ ने डॉ। असफिया हाश्मी, डॉ। जया सिंह, डॉ। आशीष श्रीवास्तव की टीमों को लगाया था। सनातन धर्म स्कूल में छात्राओं ने टीका लगने के बाद एक के बाद एक छात्राओं ने सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, बेहोशी और सिरदर्द की शिकायत की। जिस पर डॉ। आशीष ने फौरन बालरोग अस्पताल में डॉ। यशवंत राव से बात की और छात्राओं को बालरोग अस्पताल भेजना शुरू किया। इसी बीच शारदा विद्या निकेतन में भी कई बच्चों के बीमार होने की सूचना मिली तब स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ। 108 एंबुलेंस लगा कर उन्हें आसपास के अस्पतालों ओर बालरोग अस्पताल भेजा गया। इस दौरान यह बात भी पता चली कि टीके को लेकर स्कूलों में बच्चों को ठीक तरीके से काउंसिलिंग नहीं की गई थी। काउंसिलिंग नहीं होने की वजह से स्थिति बिगड़ गई। सीएमओ डॉ। अशोक शुक्ला ने भी माना कि टीका लगने के दौरान कई बार बच्चों में डर और घबराहट हो सकती है। ऐसे में उन्हें ठीक से समझाने की जरूरत होती है।