MEERUT : मां वर्षा के साथ पहली रात हवालात में गुजारने के बाद इन मासूमों को महिला थाने में स्टाफ की कृपा से चाय मिली। जो रूखा-सूखा खाना वर्षा को मिला वो ही भूख से बिलखते इन बच्चों ने भी खाया (न के बराबर)।

इसे जेल कहते हैं
आज शाम प्रिया और त्रिहान अपनी मां वर्षा के साथ एक नई दुनिया में दाखिल हो गए। सभ्य समाज से कटी, चारदीवारी में अपराधियों को कैद रखने के लिए बनी इस इमारत को जेल कहते हैं। ना जाने कौन-सा मुकद्दर ये बच्चे लेकर आए। बाप का कत्ल हो गया। इल्जाम मां पर है। मां अपनी करनी की सजा भुगतने के लिए सलाखों के पीछे धकेल दी गई है और साथ में ये दो मासूम भी। वर्षा इन दोनों बच्चों को छोडऩे के लिए तैयार नहीं है। उसका कहना है कि बाहर दुनिया उसके बच्चों को जीने नहीं देगी। इन बच्चों के माथे पर हालात ने लिख दिया है कि इनकी मां कातिल है। राजेंद्र का कत्ल हो गया लेकिन क्या सिर्फ राजेंद्र का कत्ल हुआ है। जी नहीं, कत्ल एक फैमिली का हुआ है। कत्ल इन मासूमों के बचपन का हुआ है। इनकी आजादी का हुआ है। इनके कल का हुआ है।

प्रिया को टीचर बनना है
प्रिया को रोज सुबह ब्रेड जैम खाने की आदत है। वो सुबह स्कूल के लिए तैयार होती थी तो पड़ोसी से गुडमॉर्निंग करती थी, पर अब पता नहीं क्या होगा। प्रिया अब तक जो देखते हुए बड़ी हुई है, भगवान न करे किसी बच्चे को देखना पड़े। उसने अब तक एक शराबी बाप, पिटती-रोती दुखी मां देखी। उसने अपने बाप को कत्ल होते देखा। मां पर इस कत्ल का इल्जाम आते देखा। और अब वो जेल देखेगी। जेल में बंद कैदी देखेगी। बंदूकें और सलाखें देखेगी। गुड्डे-गुडिय़ों से खेलने वाली प्रिया को खेलने के लिए कुछ नहीं मिलेगा। जेल के नियम कहते हैं कि प्रिया जेल में भी नहीं रह सकती। छह साल से ज्यादा उम्र के बच्चे जेल में नहीं रखे जाते। ऐसे में प्रिया को कौन रखेगा। बाप का साया सिर से उठ चुका है। मां जेल में बंद है। इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में तीसरी क्लास में पढऩे वाली होनहार प्रिया अब क्या दुबारा अपने स्कूल जा पाएगी। कौन उसे पालेगा। बाहर जाएगी तो जमाना उसे क्या कहेगा?

त्रेहान अंजान है
त्रेहान इन सब बातों को सोचने-समझने के लिए अभी बहुत छोटा है। हवालात में त्रेहान पूरी रात रोता रहा। उसे नींद नहीं आई क्योंकि रात को दूध नहीं मिला। आज जेल के बाहर वो ऊंची-ऊंची दीवारों को देख रहा था। वर्दी वालों को देख रहा था। कंधों पर टंगी बंदूकों को देख रहा था। उसे नहीं पता कि वो कहां जा रहा है। क्यों जा रहा है। आई नेक्स्ट के कैमरे को देखकर उसके चेहरे पर हंसी आई। अपनी बहन से बोला आ, फोटो खिंचवाते हैं। अब जेल जाकर उसे इतना जरूर पता चल जाएगा कि रोज शाम को उसके साथ खेलने वाले बच्चे यहां नहीं हैं। उसको टॉफी खिलाने वाली पड़ोस की आंटी नहीं होंगी। जब तक वर्षा जेल में है तब तक त्रेहान वहीं रहेगा। इसी साल मां ने बड़े अरमानों से त्रेहान का दाखिला नर्सरी में कराया था। वो प्ले स्कूल में हाथी-घोड़ों के पुतलों के साथ खेलता हुआ बड़ा हो रहा था। पर अब उसके नसीब में जेल का स्कूल आ गया है। बाकी कैदियों के बच्चे उसके साथी होंगे। रोज सुबह दूध में बॉर्नवीटा मिलाकर पीने वाला त्रेहान अब जेल की रोटी खाएगा। टीवी पर कार्टून देखने के लिए सबसे झगडऩे वाला ये मासूम अब कहां से टीवी देख पाएगा।

वर्षा को नहीं मलाल
अपने पति के जुल्मों-सितम सह रही वर्षा ने इंतकाम की आग बुझा ली है। पति को मारकर उसके सीने की आग ठंडी पड़ चुकी है। उसे इस बात का अफसोस तक नहीं है। अदालत में भी वो बेहिचक सारे इल्जाम कबूलती चली गई। मीडिया के सामने जो बोला वो ही अदालत में दोहराया। उसने कहा, वो राजेंद्र को ना मारती तो राजेंद्र उसे मार देता। वो रोज तिल-तिल कर मर रही थी। राजेंद्र के जुल्म से तंग आ चुकी थी। अदालत ने वर्षा को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है। पुलिस बताती है कि वर्षा के किसी और से संबंध हैं। लेकिन वर्षा ने मुंह सिल रखा है। उसके आगे सारी उम्र पड़ी है। दो बच्चे हैं। कैसे पालेगी इन्हें। उसका घर बिक चुका है। कमाई का कोई साधन नहीं है। समाज में वो इज्जत खो चुकी है।