- इमरजेंसी के पास पड़े मिले शव की नहीं हो सकी पहचान

-यूरिन बैग लगे शव ने स्वास्थ्य सेवाओं पर खड़े कर दिए सवाल

Meerut: मेडिकल कॉलेज परिसर में बुधवार सुबह एक किशोर का शव मिलने से हड़कंप मच गया। शव को लगाए गए यूरिन बैग से उसके मरीज होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने आस-पास के लोगों व मेडिकल कॉलेज की रिकॉर्ड बुक आदि की जांच की, लेकिन शव की शिनाख्त नहीं हो पाई। पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

क्या है मामला

बुधवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे मेडिकल कॉलेज के पास एक शव मिलने से मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया। मृतक की उम्र पंद्रह साल और उससे यूरिन बैग लगा हुआ था, जिससे उसकी संभावना मेडिकल के ही मरीज होने की लगाई जा रही थी। घटना स्थल पर मौजूद लोगों इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी। मौके पर पहुंचे एसओ मेडिकल विनोद कुमार ने आस-पास के लोगों से मामले को लेकर पूछताछ की, लेकिन कोई अहम जानकारी हाथ न लग सकी। जिसके बाद पुलिस ने मेडिकल कॉलेज का रिकॉर्ड खंगाला, लेकिन शव की कोई शिनाख्त नहीं हो सकी। पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

लगा स्वास्थ्य सेवाओं पर कलंक

जिस तरह से मृतक की हालत देखी गई। उस हिसाब सीधा जाहिर हो रहा था, कि मृतक एक मरीज था। मेडिकल कॉलेज में सामने आई इस हिला देने वाली घटना ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर कई सवालिया निशान लगा दिए, बल्कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया।

ये हैं सवाल

- क्या मृतक को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था और उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई।

-क्या मौत के बाद मेडिकल कॉलेज के स्टॉफ ने ही बेड खाली करने के लिए शव को ले जाकर बाहर फेंक दिया।

-अगर ऐसा है तो मृतक को मेडिकल में भर्ती कराने के समय तीमारदार या मृतक का नाम व पता या कोई कांटेक्ट नंबर क्यों नहीं लिया गया।

-यदि ऐसा नहीं तो क्या फिर एंबुलेंस चालक ने ही तो मरीज को गंभीर हालत में इमरजेंसी के बाहर फेंक दिया।

-कहीं ऐसा तो नहीं कि किशोर किसी सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया हो और लोगों के आक्रोश से बचने के लिए वाहन चालक उसको मेडिकल में उपचार के लिए लाया हो और लफड़े में पड़ने के डर से बाहर ही फेंक कर चला गया हो।

बॉक्स-

मरीज को भर्ती करने में आनाकानी

असल में जब कोई मरीज गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जाता है, तो मेडिकल कॉलेज का स्टॉफ न केवल उसको भर्ती करने से साफ इंकार कर देता है बल्कि तीमारदारों के साथ भी दु‌र्व्यवहार किया जाता है। दूसरी ओर क्08 एंबुलेंस चालक तीमारदारों पर अपनी वैन खाली करने दबाव बनाए रहते हैं। ऐसे में मरीज की साथ आए परिजन स्टॉफ से लेकर एंबुलेंस चालकों की मिन्नतें तक करते हैं, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजता। मजबूरी वश परिजन या तो किसी तरह मरीज को अन्य हॉस्पिटल में ले जाते हैं या फिर मेडिकल परिसर में ही मरीज को लिटाकर डॉक्टरों की खुशामदें करते रहते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं इस मामले में भी मृतक को गंभीर हालत को किसी अन्य हॉस्पिटल से मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया हो और मेडिकल स्टाफ ने उसको भर्ती न किया हो, जिसके चलते वैन खाली करने के लिए वैन चालक उसको मेडिकल परिसर में ही उतारकर चलते गए हों और बाद में किसी समय उसकी मौत हो गई।

मृतक कोई रिकॉर्ड नहीं

मेडिकल कॉलेज में मिला है और न ही उससे संबंधित कोई जानकारी हासिल हो पाई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

विनोद कुमार, एसओ नौचंदी थाना