1967 से है भारत-चीन के बीच विवाद

सितंबर 1967 में भारत और चीन के बीच सीमा पर आखिरी बार जिस इलाके में जोरदार फायरिंग हुई थी, सिक्किम के बॉर्डर का वही इलाका इस वक्त दोनों देशो के की सेनाओं के बीच जोर आजमाइश का केंद्र बन गया है। सिक्किम के बॉर्डर पर ताजा विवाद में दोनों सेनाओं के बीच हुआ विवाद इतना गंभीर है। दोनों देशों के करीब 1000-1000 सैनिकों ने इस इलाके में डेरा डाल दिया था। भारत इस मामले में चीन के खिलाफ पिछले 40 सालों से अकेले डटा हुआ है।

मामले जब चीन के खिलाफ अकेला डटा रहा भारत

क्या है डोकलाम विवाद

269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल का यह इलाका भारत,चीन और भूटान की सीमाओं के पास है। यही वह इलाका है जहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं। 1914 की मैकमोहन रेखा के मुताबिक यह इलाका भूटान के अधिकार में है। चीन इस लाइन को मानने से ही इनकार करता है। उसके सैनिक भूटान की सीमा का अतिक्रमण करते रहते हैं। डोकलाम के पठार की रणनीतिक रूप से इस इलाके में बेहद अहमियत है। चंबी घाटी से सटा हुआ होने के चलते चीन इस पठार पर अपनी सैन्य पोजीशन को मजबूत करना चाहता है। चीन की कोशिश है कि इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया जाए ताकि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में जल्द से जल्द इस इलाके में सैन्य मदद पहुंचाई जा सके। डोकलाम के पठार पर चीन की इसी मंशा ने भारत को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है।

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मैकमोहन रेखा विवाद

भारत और चीन के बीच 4 हजार कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे एलएसी भी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।

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अरुणाचल पर चीन करता है दावा

चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है। इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है जिसका भारत विरोध करता है। भारत इस मामले में कई सालों से अकेला चीन का विरोध कर रहा है और चीन है कि इस घटना से बाज नहीं आ रहा है।

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अक्साई चिन रोड विवाद

लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया। चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हजारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था। 1950  के दशक से यह क्षेत्र चीन कब्जे में है। भारत इस पर अपना दावा जताता है। भारत इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है।

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ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन से विवाद

ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर चीन सारा पानी अपनी ओर मोड़ रहा है जिसका भारत विरोध कर रहा है। साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की चीनी कोशिश। पीओके में चीनी गतिविधियों में इजाफा। हाल ही में चीन ने यहां 46 बिलियन डॉलर की लागत का प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे भारत खुश नहीं है। हिंद महासागर में तेज हुई चीनी गतिविधि लगातार तेज हो रही हैं। भारत लगातार इसका विरोध कर रहा है। जम्मू-कश्मीर को चीन भारत का अंग मानने में आनाकानी करता है। इस मामले में भी दोनो देशों के बीच विवाद गहराया हुआ है। चीन साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करना भारत की आंख में चुभता है।

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