बिजली से लेकर आर्थिक निवेश

नेपाल के पश्चिमी सेती इलाके में चीन 750 मेगावॉट वाली एक हाइड्रोपावर परियोजना में 1.6 अरब डॉलर यानी 86 अरब 40 लाख रुपए लगाने को तैयार है। आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में इंडिया 525 प्रोजेक्ट में शामिल है। इस तरह नेपाल के विदेशी निवेश में इसकी हिस्सेदारी 46 प्रतिशत बनती है। जबकि चीन वहीं 478 प्रोजेक्टस में शामिल है। वहींइंडिया जिस देश में कंस्ट्रक्शन वर्क करता है, उसी देश का मैटेरियल और मैन पावर लेता है। जबकि चीन के बारे में माना जाता है कि वह लेबर छोड़ कर सारा प्रोडक्शन वर्क खुद करता है। उसकी टीम में ज्यादातर रिटायर्ड आर्मी मैन होते हैं। वे काम के साथ-साथ उस देश की खुफिया डिटेल भी जमा करते हैं, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित होता है। नेपाल में चीन इसके साथ कई सड़क परियोजनाओं, दूरसंचार कंपनियों आदि में भी वो पैसा लगा रहा है। यहीं नहीं नेपाल में चीन ने बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन काम शुरू भी कर दिया है। गोरखपुर से जुड़े इंडो नेपाल बॉर्डर एरिया से लेकर नेपाल के भीतर चीन की मूवमेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

सड़क भी बना रहा नेपाल

सदियों तक हिमालय रीजन के इन दोनों देशों और इनके लोगों के बीच कोई खास संपर्क नहींरहा है। अब इस दूरी को मिटाकर चीन एक तीर से दो शिकार कर रहा है। एक तो वह नेपाल में अपनी पैठ बनाने की जुगत मेंंहै तो दूसरी तरफ नेपाल के लिए वह नए रास्ते बना रहे है, ताकि बिजनेस और आवाजाही में आसानी हो सके। यही कारण है कि चीन तिब्बत में ग्यिरोंग और नेपाल में स्यापरु बेसी के बीच की कच्ची पगडंडी को दो करोड़ डॉलर की लागत से पक्की सड़क में बदल रहा है। इसके अलावा ल्हासा से तिब्बत के दूसरे बड़े शहर शिगात्से तक की रेल पटरी को काठमांडू तक बढ़ाने की योजना है।

नेपाल में अब हिंदी नहीं,चीनी

चीन इसके अलावा नेपाल में सांस्कृतकि तौर पर भी अपना असर बढ़ा रहा है। यही वजह है कि नेपाल में कई जगहों पर चीनी भाषा सिखाने वाले संस्थान खुल गए हैं। चीन सरकार ने नेपाली नौजवानों को मुफ्त में चीनी भाषा सिखाने के लिए टीचर भी नेपाल भेजे हैं। चीन ने नेपाल के साथ कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम भी शुरू किया है। यही वजह है कि चीन में स्कॉलरशिप पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है। सबसे बड़ी बात चीनी टूरिस्ट्स को भी नेपाल भा रहा है।

खतरनाक खुली सीमा

चीन और भारत के बीच में नेपाल एक मात्र देश है, जिसकी सीमा खुली है। दोनों देश में बिना रोक-टोक के लोग आते-जाते हैं। चीन इंडिया में इंट्री करने के लिए नेपाल को कंधे की तरह यूज कर रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन नेपाल में कब्जे का प्रयास नहीं कर रहा है, बल्कि इंडिया को नुकसान पहुंचाने के लिए नेपाल को केंद्र बना रहा है। इसके लिए वह आर्थिक तौर पर नेपाल में पांव जमा रहा है, ताकि वह इंडिया को नुकसान पहुंचा सके।

पॉलिसी ऑफ इंगेजमें

पाकिस्तान की तरह चीन इंडिया से ओपन वार नहीं कर रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि उसकी वार की पॉलिसी बिल्कुल अलग है। चीन वार की जगह दुश्मन देश के रिसोर्स पर अपना कंट्रोल करने का प्रयास करता है। चीन इसके लिए पॉलिसी ऑफ इंगेजमेंट अपनाता है। मतलब यह कि  पहले वह दुश्मन देश की मार्केट में अपना कब्जा जमाता है और फिर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह कमजोर कर देता है। जमीन पर कब्जा करने फंडा की जगह रिसोर्स पर अपना कंट्रोल का तरीका अपनाता है।

छोटे गेम बड़ा मकसद

चीन के गेम जरूर छोटे होते हैं, लेकिन उनके पीछे मकसद काफी खतरनाक होते हंै। बॉर्डर एरिया में तैनात सुरक्षा एजेंसी ने भी इस बात की पुष्टि की है। आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ। हर्ष सिन्हा के अनुसार पांच साल पहले चीन ने एक इलेक्ट्रॉनिक्स लैप इंडियन मार्केट में लांच किया था। उसकी विशेषता थी कि बिजली की जगह टेलीफोन का वायर लगाने पर भी वह रोशनी देता था। पब्लिक में बिजली बचत की अवेयरनेस का इमोशनल गेम खेला, लेकिन बाद में पता चला कि इस लैंप के सहारे टेलीफोन वायर लगाने से चीन ने टेलीफोन डिपार्टमेंट की पावर क्षमता का पता लगा लिया था, जो सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।

चीन का नॉन टेडिशनल वार

चीन का नॉन ट्रेडिशनल वार इतना ईजी होता है कि देखने और सुनने में यह वार नहीं लगता, लेकिन हमले का असर पूरे सिस्टम को हिला देने वाला होता है। कुछ साल पहले बार्डर एरिया में कुलही बाजार लगता था। यह कि पूरी तरह इंडियन था। इस मार्केट को खत्म करने के लिए चीन ने एक अफवाह फैला दी कि मार्केट बंद हो गई। अब उस मार्केट में चाइनीज प्रोडक्ट्स का कब्जा है।

रक्षा मंत्रालय ने भी माना है खतरा

नेपाल के रास्ते चीनी खतरे को डिफेंस मिनिस्ट्री मान चुकी है। उसने भी नेपाल में चीनी सैनिकों की मौजूदगी की पुष्टि की है। रक्षा मामलों पर भारतीय वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट इंडियन डिफेंस रिव्यू डॉट कॉम के मुताबिक नेपाल में चीनी सैनिकों की संख्या बढती ही जा रही है, जो कि भारत के लिए चिंता का एक विषय है।

चीन इंडियन मार्केट में अपना कब्जा बढ़ता जा रहा है। ये देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। चीन  पाकिस्तान की तरह प्रत्यक्ष वार नहीं करता बल्कि परोक्ष रुप से अर्थ व्यवस्था पर हमला कर रहा है। जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

 -डॉ। हर्ष सिन्हा, रीडर आंतरिक सुरक्षा डीडीयू

नेपाल में चीन बड़े पैमाने पर रोड, रेलवे पटरी और पावन प्रोजेक्ट लगा रहा है। चीन के कंस्ट्रक्शन के पीछे के मकसद को भी ध्यान में रखने की जरूरत है। चीन रिसोर्स पर अपना कंट्रोल बनाने की कवायद में जुटा है।

- अविनाश चंद्रा, आईजी एसएसबी

report by : mayank.srivastava@inext.co.in