इसे मीडिया में 'शार्प सोर्ड' कहा जा रहा है.

हाल के वर्षों में चीन स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का विकास कर रहा है. इसमें जे-20 और जे-32 लड़ाकू विमान शामिल हैं.

जापान से तनाव

पिछले सितंबर में चीन के एक मानवरहित विमान ने पूर्वी चीन सागर में मौजूद विवादास्पद द्वीपों के नज़दीक उड़ान भरी थी. इससे जापान और और चीन के बीच तनाव पैदा हो गया था.

इस घटना के बाद जापान ने कहा था कि वह अपनी वायु सीमा में आने वाले किसी भी मानवरहित ड्रोन को मार गिराएगा.

जवाब में चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीनी विमान को मार गिराने की कोई भी कोशिश युद्ध के समान मानी जाएगी.

सरकारी अख़बार चायना डेली ने शुक्रवार को कहा, ''इस सफल उड़ान ने साबित किया है कि देश ने पश्चिमी राष्ट्रों और चीन की बीच हवाई युद्ध क्षमता में ग़ैरबराबरी को काफ़ी कम कर दिया है.''

दुनिया का चौथा देश

इस बीच, हॉन्गकॉन्ग के समाचारपत्र साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट ने कहा है कि ड्रोन की सफल उड़ान से चीन यह तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश हो गया है.

यह तकनीक अभी तक ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के पास ही थी.

बीजिंग से बीबीसी संवाददाता मार्टिन पेसेंस ने कहा कि इस परीक्षण उड़ान को चीन की सैन्य क्षमता के विकास के रूप में लिया जाएगा.

यह परीक्षण ऐसे वक़्त हुआ है, जब चीन सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए सैन्य बजट बढ़ाता जा रहा है. इससे इसके पड़ोसी देशों में चिंता बढ़ रही है.

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