प्रश्न: पार्टी की ये बैठक क्या है?

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. इसके संविधान में कहा गया है कि पार्टी हर पांच साल में राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक बुलाएगी. इसमें हिस्सा लेने के लिए बीजिंग में पार्टी के प्रतिनिधि जमा हो गए हैं.

इन नेताओं का काम फैसले लेनेवाली शीर्ष इकाई यानी सेंट्रल कमेटी और भ्रष्टाचार पर नज़र रखनेवाली इकाई सेंट्रल डिसिप्लिन कमिशन (केंद्रीय अनुशासन आयोग) का चुनाव करना है.

सेंट्रल कमेटी के 376 सदस्य पार्टी के शीर्ष पदों पर बैठे होने के साथ ही सरकार और सेना के शीर्ष पदों पर भी काबिज़ होते हैं.

यही 376 सदस्य बीजिंग में साल में एक या दो बार तब तक मिलते हैं जब तक एक नई नेशनल कांग्रेस की बैठक नहीं हो जाती.

इन्हीं बैठकों को आधिकारिक रूप से प्लेनम कहा जाता है. इस बार 9-12 नवंबर को हो रहा प्लेनम 18वीं सेंट्रल कमेटी का तीसरा प्लेनम है.

चीन की राजनीति में इन प्लेनम का पार्टी की नेशनल कांग्रेस या फिर शीर्ष विधायिका यानी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस से भी ज्यादा महत्व है.

कुछ प्लेनम के नतीजों ने चीन के इतिहास की धारा को ही मूलत: बदल दिया है.

प्रश्न: तीसरा प्लेनम क्यों महत्वपूर्ण है?

चीन का तीसरा प्लेनम,क्या है अहमियत?

चीन के पूर्व नेता देंग जियाओपिंग ने इससे पहले 1978 के प्लेनम में आर्थिक सुधारों और मुक्त द्वार नीति को अपनाया था.

इतिहासकार इस बार के प्लेनम की तुलना 11वीं सेंट्रल कमेटी के तीसरे प्लेनम से कर रहे हैं जब 1978 में देंग जियाओपिंग के नेतृत्व में चीन ने आर्थिक सुधार किए थे और बाहरी दुनिया के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए थे.

साल 1977 में माओत्से तुंग की मौत के एक साल बाद सांस्कृतिक क्रांति के दौर की यादों को भुलाकर देंग का पुनर्वास किया गया था.

उस समय 10वीं सेंट्रल कमेटी सत्ता में थी और उसी कमेटी के नेतृत्व में साल 1977 में देंग को पार्टी और प्रांत के पदों पर दोबारा बिठा दिया गया था.

अगस्त 1977 में 11वीं राष्ट्रीय कांग्रेस ने 11वीं सेंट्रल कमेटी का चयन किया. काफी कड़े सत्ता संघर्ष के बाद देंग ने गुओफेंग को किनारे कर पार्टी में माओ के बराबर का कद हासिल कर लिया था. गुओफेंग को माओ ने चुना था.

18 दिसंबर 1978 को पार्टी की 11वीं सेंट्रल कमेटी ने तीसरा प्लेनम किया जिसमें देंग के आर्थिक सुधारों और मुक्त द्वार नीति को स्वीकार किया गया.

उसके बाद से ही चीन ने व्यावहारिक नीति वाली आधुनिकता को अपनी प्राथमिकता बना रखा है.

इस बार का प्लेनम भी बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि चीन में ऐसी परंपरा सी बन गई है कि तीसरे प्लेनम में बड़े फैसले लिए जाते हैं.

जब नई पीढ़ी का कोई नेता सत्ता संभालता है तो तीसरा प्लेनम आमतौर पर पद संभालने के एक साल के बाद होता रहा है ताकि उन्हें सत्ता पर पकड़ बनाने, विभिन्न प्रस्तावों पर गौर करने और आम सहमति बनाने के लिए पर्याप्त वक्त मिल सके.

1978 की मीटिंग के बाद से ऐसे छह प्लेनम हो चुके हैं जिनमें आधुनिक चीन के इतिहास में बड़े बदलाव लानेवाले फैसले लिए गए हैं.

प्रश्न: तीसरे प्लेनम से क्या उम्मीद है?

चीन का तीसरा प्लेनम,क्या है अहमियत?

शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती हू जिंताओ के नेतृत्व में चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता संभाले साल भर हो गया है. वो 10 साल तक सत्ता में बने रहेंगे. इस तरह ये उनका पहला तीसरा प्लेनम है.

उनके पूर्ववर्ती हू जिंताओ के नेतृत्व में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुआ. लेकिन अब उसका निर्यात आधारित विकास धीमा पड़ गया है और चिंता जताई जा रही है कि इसका असर देश की सामाजिक स्थिरता पर पड़ सकता है.

इस बीच व्यापक सरकारी भ्रष्टाचार, अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ती खाई और पर्यावरण संबंधी चिंताओं की वजह से आम लोगों में असंतोष बढ़ा है.

देश में जन प्रदर्शनों की संख्या बढ़ रही है जो राजनीतिक नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है.

पार्टी ने प्लेनम से संबंधित एजेंडे को लेकर कुछ ठोस जानकारी जारी की है लेकिन उसके मुखपत्र ‘द पीपल्स डेली’ ने वरिष्ठ नेताओं के हवाले से खबर दी है कि इस बैठक में पार्टी एक व्यापक सुधार योजना की शुरुआत करेगी जो कि अपनी व्यापकता और प्रभाव में अभूतपूर्व होगी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक में अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने के लिए बड़े क़दम उठाए जाने की घोषणा हो सकती है, लेकिन पार्टी राजनीतिक सुधारों की दिशा में कोई क़दम उठाएगी, इसकी संभावना कम ही है.

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में विश्लेषण करने वाले अमरीका आधारित एक प्रमुख विश्लेषक हे पिंग का कहना है, “अगर आप को उम्मीद है कि पार्टी इस प्लेनम में राजनीतिक उदारीकरण की दिशा में कदम उठाएगी तो आपको निराशा होगी.”

उन्होंने बीबीसी को बताया कि हाल में पार्टी ने जो संकेत दिए हैं उससे यही लगता है कि वो मौजूदा अधिकारवादी शासन जारी रखेगी और चुनौतियों से दूरी बनाएगी.

इस प्लेनम का नतीजा जो कुछ निकले लेकिन इतना संकेत तो मिल ही जाएगा कि शी जिनपिंग अगले दशक में चीन को कैसा नेतृत्व देना चाह रहे हैं.

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