-रोक के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहा चाइनीज मांझा

-हर रोज कोई न कोई इसका शिकार होकर हो रही जख्मी

VARANASI

केस-क्

एक निजी कम्पनी में काम करने वाले सर्वेश पाण्डेय रोज की तरह अपने काम की व्यस्तता में बाइक से रोड पर चले जा रहे थे। भीड़भाड़ वाले रास्ते में अचानक आसमान से तेज धार चाइनीज मांझा उनके चेहरे पर गिरा। जब तक संभलते तब तक नाक समेत चेहरे के बड़े हिस्से को चीरता निकल गया। खून से लथपथ सर्वेश जमीन पर गिर पड़े। आसपास के लोगों ने उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया।

केस-ख्

स्कूल की छुट्टी के इस दौर में सुकून देने वाली गुनगुनी धूप सेंकने छोटा लालपुर के संकठा नगर कॉलोनी निवासी क्ख् साल का सुमित छत पर पहुंचा। आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें उसे अपनी ओर आकर्षित कर रही थीं। इसी दौरान एक पतंग कटने के बाद चाइनीज मांझा उसकी छत से होकर गुजरने लगे। सुमित ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो उसकी चार अंगुलियां गंभीर रूप से जख्मी हो गई।

केस-फ्

पाण्डेयपुर के प्रेमचंद्र नगर कॉलोनी निवासी दीपू विश्वकर्मा को पतंग उड़ाने का बहुत शौक है। मांझा से जख्मी होने के डर से परिवार वालों ने पतंग उड़ाने पर रोक लगा रखी है। लेकिन पतंगों की दांवबाजी निहारने छत पर पहुंचा। तभी किसी कटी पतंग का चाइनीज मांझा उसके बदन पर गिरा। दीपू ने उसे हटाने के लिए हाथ लगाया तो अंगुलियां और हथेली जख्मी हो गयी।

चाइनीज मांझा लोगों के बदन को रेत रहा है। इस पर रोक का कोई असर नहीं है। ये तीनों केस यही बता रहे हैं। चाइनीज मांझा खुलेआम शहर की दुकानों से बिक रहा है और पतंगबाज धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी वजह से अब तक दर्जनों की जान खतरे में पड़ चुकी हैं। सैकड़ों के बदन चाक हुए हैं। मकर संक्रांति पर भी बड़ी संख्या में लोग जख्मी होंगे। पतंजबाजी का दौर पूरी ठंड के मौसम तक चलेगा तब तक इनकी तादात में रोज ब रोज इजाफा होता जाएगा।

बेअसर है रोक

कोर्ट के निर्देश पर सरकार की ओर से चाइनीज मांझा की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है। लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ पुलिस ने इसके खिलाफ मुहिम चला रखी है लेकिन सब बेअसर है। पहले भी चाइनीज मांझा की बिक्री हो रही थी और अब भी हो रही है। वह भी हर जगह और खुलेआम। चंद रुपयों के लालच में दुकानदार हर किसी को आसानी से उपलब्ध करा दे रहे हैं। उन्हें यह सोचने की फुर्सत या जरूरत नहीं है कि इसका उपयोग करने वाले न जाने कितनों की जान खतरे में डालेंगे।

दूर-दूर तक इसकी पहुंच

-पतंग औैर मांझा की पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी बनारस है

-दालमंडी, औरंगाबाद, लक्सा, लंका, अर्दली बाजार, शिवाला में इसकी दर्जनों बड़ी दुकानें मौजूद हैं

-इसके अलावा सैकड़ों छोटी-छोटी दुकानें हर मोहल्ले-कॉलोनी में हैं

-थोक मंडी से मांझा और पंतग पूर्वाचल समेत आसपास के कई जिलों में पहुंचतीं हैं

-मकर संक्रांति से एक से दो महीना पहले ही पतंग और मांझा दुकानों पर पहुंच जाता है

-पतंगबाजों द्वारा चाइनीज मांझा का उपयोग अधिक करने की वजह से परम्परागत मांझे की जगह इसकी बिक्री ज्यादा होती है

हर चेहरे पर रहती है नजर

-दुकानदार चाइनीज मांझा खुलेआम बेच रहे हैं। उन्हें पुलिस या प्रशासन का कोई डर नहीं है

-यह जरूर है कि किसी ग्राहक को चाइनीज मांझा देने से पहले उसे अपनी बातों से परख जरूर ले रहे हैं

-दुकानदारों ने चाइनीज मांझा की छोटी-बड़ी अंटियां बना रखी हैं। इनकी कीमत भ्0 से लेकर भ्00 रुपये तक है

-ग्राहक के डिमांड के मुताबिक उसे उपलब्ध करा दे रहे हैं। इससे मांझा तौलकर या लपेटकर देने में बर्बाद होने वाला वक्त बच जा रहा है

-पुलिस वाले पतंगों की दुकानों पर पहुंच रहे हैं। मांझों की जांच भी कर रहे लेकिन उनके हाथ चाइनीज मांझा नहीं लग रहा है

बेहद खतरनाक है चाइनीज मांझा

चाइनीज मांझा सामान्य मांझा से काफी खतरनाक होता है। अधिक से अधिक पेंच काटने के लिए बेहद मजबूत धागे से तैयार किया जाता है। ग्लू की मदद से इस पर शीशे के पाउडर का लेप लगाया जाता है। वह भी काफी मात्रा में। इससे यह बेहद खतरनाक हो जाता है। इंसान के बदन को असानी से रेत देता है। वैसे शीशे का पाउडर का प्रयोग सामान्य मांझे पर भी होता है लेकिन बेहद कम मात्रा में। उसका धागा भी कमजोर होता है।

चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक लगायी गयी है। जो इसे बेचता पकड़ा जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हर पतंग की दुकान की जांच की जा रही है।

नितिन तिवारी, एसएसपी