हर मार्केट में छा गए
पटाखे, पर्स, बेल्ट, चश्मा, जींस, टीशर्ट, मोबाइल और ना जाने क्या-क्या। सस्ता और स्टाइलिश होने की वजह से लोग इन्हें केवल पसंद ही नहीं बल्कि परचेज भी कर रहे हैं। बट उन्हें नहीं पता कि इससे इंडियन मार्केट को कितना ज्यादा लॉस हो रहा है। लोगों को सस्ते आइटम्स तो मिल जाते हैं लेकिन गारंटी या वारंटी का दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं होता.

बड़ा हाथ मारने की तैयारी
आमतौर पर लोग दीपावली पर सालभर की परचेजिंग करना पसंद करते हैं। केवल इस फेस्टिवल पर हजारों-लाखों रुपए की शॉपिंग हो जाती है। सिटी में अगर ज्वैलरी मार्केट को अलग कर दें तो एक अरब रुपए से अधिक की परचेजिंग लोग क्लॉथ, एसेसरीज, होम अप्लायंसेज सहित अन्य चीजों पर करते हैं। पैसों से हरी-भरी मार्केट को भुनाने के लिए हमेशा की तरह चाइना इस बार भी तैयार है। उसने हर तरह के प्रोडक्ट मार्केट में लांच कर दिए हैं। इनकी कीमत जहां ब्रांडेड और देशी कंपनियों के प्रोडक्ट से कम हैं वहीं स्टाइलिश भी कहीं ज्यादा हैं. 

पैकेजिंग देखकर ही हो जाते हैं फिदा
यूं तो हर दीपावली पर केवल शहर में चार से पांच करोड़ के पटाखे बिकते हैं लेकिन इस बार चाइनीज पटाखों की बड़ी खेप देशी कंपनियों को चूना लगाने को तैयार नजर आ रही है। घोस्ट राकेट, फोर कलर स्पार्कल, स्पाइडरमैन और सेक्सी चक्कर जैसे आइटम्स की टक्कर में चाइनीज कंपनियों ने भी एक से बढ़कर एक पटाखे मार्केट में लांच किए हैं। चौक स्थित पटाखा शॉप के ओनर मो। कादिर बताते हैं कि सारा खेल पैकेजिंग का है। इंडियन पटाखों के मुकाबले चाइनीज आइटम्स ज्यादा खतरनाक होते हैं और इनकी गारंटी भी नहीं होती है.

मिल जाएंगे सौ रुपए में गॉगल
फेस्टिवल पर गॉगल, पर्स और बेल्ट के अलावा दूसरे लेदर आइटम्स की जबरदस्त सेल होती है। जहां देशी कंपनी का गॉगल सात सौ रुपए का है वहीं चाइनीज गॉगल की कीमत महज सौ रुपए है। वह भी इतना स्टाइलिश कि देखते ही रह जाएं। परचेज करने वाले यह ध्यान नहीं देते कि इसमें लगाए गए ग्लास की क्वालिटी कैसी है। इसी तरह चाइनीज बेल्ट और पर्स को इटालियन लेदर का बताकर 50 से 300 रुपए में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। शॉप कीपर मो। सरफराज कहते हैं कि इस लेदर की क्वालिटी इतनी घटिया है कि कस्टमर महीने भर बाद ही कम्प्लेन करने लगता है.

क्लाथ मार्केट में भी कब्जा
इस समय ब्रांडेड कंपनी की जींस या टीशर्ट की रेंज एक हजार रुपए से स्टार्ट हो रही है। बावजूद इसके चाइनीज क्लॉथ मार्केट अभी भी चार से पांच सौ रुपए में ही अटकी हुई है। चौक स्थित एक शॉप के ओनर प्रदीप कहते हैं कि लोग सस्ते होने की वजह से इन्हें प्रिफर कर रहे हैं। ऊपर से चाइनीज कपड़ा इतना साफ्ट है कि लोग इसके टिकाऊपन पर ध्यान ही नहीं देते। हालांकि यह इतना सिंथेटिक है कि स्किन के लिए हॉर्मफुल भी हो सकता है। कुछ शॉप कीपर इन कपड़ों पर नकली टैग लगाकर ऊंचे दामों पर भी सेल कर रहे हैं.

स्पेशल फेस्टिवल टॉएज
अगर आपका बेटा इस दीपावली पर खिलौने की मांग कर रहा है तो सोच-समझकर उसे दिलाइए। ऐसा न हो कि उसकी सेहत को कोई नुकसान पहुंचे। चाइना ने एक बार फिर फेस्टिवल पर स्पेशल ट्वॉयज निकाले हैं। ये देखने में ओरिजिनल पिस्टल से कम नहीं हैं। 70 से 100 रुपए की कीमत के इन ट्वॉयज के लिए फायर भी अलग से खरीदने पड़ते हैं। ये इतने घातक हैं कि जरा सी गलती करने पर बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे निकलने वाला फायर छह से सात फिट की दूरी पर जाकर ब्लॉस्ट करता है.

कहीं स्विच आन करते ही न हो जाए ऑफ
कुछ साल पहले तक फेस्टिवल पर घरों में लगाई जाने वाली देशी इलेक्ट्रानिक झालर अब शायद ही नजर आए। इसकी जगह ले चुकी है चाइनीज झालर। मार्केट में पांच मीटर लंबी एक झालर की कास्ट बमुश्किल 20 से 25 रुपए है। वैरायटी इतनी हैं कि आप छांटते रह जाएंगे। बस नहीं है तो इनकी गारंटी। अशोक नगर के वैभव बताते हैं कि लास्ट दीपावली उन्होंने अपने घर में दो हजार रुपए की चाइनीज झालर से सजावट की थी। ऐन फेस्टिवल के दिन ये एक मिनट के लिए भी नहीं जलीं। शॉप कीपर ने भी गारंटी की बात से इंकार करते हुए मुंह मोड़ लिया। जबकि कई साल पुरानी उनकी देशी झालर आज भी वैसी की वैसी ही हैं.

मोबाइल खरीदना है तो ठहरिए
दीपावली है तो जाहिर सी बात है कि आपने कोई नया गैजेट लेेने की प्लानिंग की होगी। खासतौर से मोबाइल फोन की ओर लोगों का बढ़ता क्रेज इसका जीता-जागता सुबूत है। एक ओर ब्रांडेड कंपनियों ने मार्केट में एक बढ़कर स्मार्ट फोन मार्केट में उतारे हैं तो दूसरी ओर चाइनीज कंपनियों ने भी इनके वन फोर्थ प्राइज में टक्कर लेने की तैयारी कर ली है। इंदिरा भवन, लक्ष्मण मार्केट, शाहगंज और चौक ऐसी मार्केट हैं जहां आपको ब्रांडेड कंपनियों के लेटेस्ट आइटम्स से हूबहू मैच करते सस्ते चाइनीज मोबाइल मिल जाएंगे। जिनकी कास्ट एक हजार से लेकर पांच हजार रुपए तक है। इनके फीचर्स और लुक भी सेम हैं.

एक्सपर्ट कमेंट
पूरी मार्केट चाइना ने कैप्चर कर रखी है। वह जो भी बेच रहे हैं और अर्न कर रहे हैं वह डालर में कनवर्ट होकर उनके देश में जा रहा है। इसका भुगतान हम अपनी जेब से कर रहे हैं। जो कि आने वाले समय में काफी घातक सिद्ध हो सकता है। इसी का परिणाम है कि हमारे लघुउद्योग पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर आ चुके हैं। हमारी गवर्नमेंट ऐसे प्रोडक्ट्स पर लगाम नहीं लगा रही है और ऐसे में लोगों को अपनी विल पॉवर स्ट्रांग करनी होगी। तभी हम अपनी इकनॉमी पॉलिसी को स्ट्रांग कर सकते हैं। चाइना की डिसाइडिंग पॉलिसी से इंडियंस को बचना होगा.
डॉ। आरके सिंह, कॉमर्स डिपार्टमेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी