क्या वाकई चॉकलेट के आकार में बदलाव ने इसका स्वाद भी बदल डाला है?

कंपनी के पिछले साल चॉकलेट का आकार बदलने के बाद से कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. कंपनी ने चॉकलेट का आकार बदल कर टेढ़ा कर दिया है.

यही नहीं, ये मसला बहस का मुद्दा बन गया है. यहां तक कि इंटरनेट पर कुछ चॉकलेट प्रेमियों का कहना है कि चॉकलेट का स्वाद अपेक्षाकृत तैलीय और सिल्की हो गया है.

'सिर्फ़ आकार बदला'

जबकि कैडबरी का ऐसी किसी संभावना से इनकार करते हुए कहना है कि रेसिपी में कोई बदलाव नहीं किया गया है, केवल आकार में ही अंतर है.

कंपनी के प्रवक्ता टोनी बिल्सबोर्ग का कहना है, "यह बदलाव निसंदेह चॉकलेट के मुंह में ही घुल जाने के बेहतर अनुभव में सहायक है और उपभोक्ताओं से काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं."

दूसरी ओर,क्लिक करें वैज्ञानिकों, चॉकलेट निर्माताओं और रसोइयों का कहना है कि निश्चित रूप से आकार यह तय करता है कि चॉकलेट आपके मुंह में कितनी तेजी से घुलती है.

यह जीभ और नाक पर महसूस किए जा सकने वाले विभिन्न प्रकार के खाद्य कणों की क्रम और गति को तय करते हैं.

चूंकि डेयरी मिल्क ने इसके आकार में बदलाव किया है, तो यह मुंह में अलग तरह से घुलेगी. इससे चॉकलेट के स्वाद में अंतर होना स्वाभाविक है.

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ द सेंसेस के सह-निदेशक और संस्थापक प्रोफेसर बैरी सी स्मिथ के अनुसार जिस गति से चॉकलेट कठोर से नरम अवस्था में तोड़ी जाती है, उससे इसका स्वाद तय होता है.

नए आकार का मतलब हो सकता है कि चॉकलेट तेज़ी से घुले क्योंकि यह मुंह में तेज़ी से पिघलती है. इससे चॉकलेट के स्वाद में बदलाव होगा.

दूसरी ओर, नेस्ले के वैज्ञानिकों ने हाल ही अपने एक अध्ययन में पाया कि चॉकलेट के आकार का इसकी बनावट और स्वाद पर असर पड़ता है.

जहां तक चॉकलेट के मुंह में पिघलने और नरम महसूस होने का सवाल है, गोल आकार की चॉकलेट श्रेष्ठ मानी जाती हैं.

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में फूड साइंस और मॉलीक्यूलर गैस्ट्रोनोमी के विशेषज्ञ प्रोफेसर पीटर बरहम ने कहा कि अगर एक चॉकलेट का आकार फैला हुआ होता है, तो इसके कण तेज़ी से महसूस किए जा सकते हैं.

उनका कहना है, "स्वाद के बारे में यह नज़रिया है कि इस पर कई चीज़ों का असर होता है. इसमें से आकार भी एक है."

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