काट देनी चाहिए उंगलियां

मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस वैद्यनाथन ने एक फर्जी कागजात के मामले में फैसला देते टाइम इस तरह की टिप्पणी की और कहा फर्जी कागजात बनाने वालों के हाथ काट देने का कानून क्यों नहीं है. कोर्ट ने फर्जी कागजातों से दम पर रजिस्टर की गई प्रॉपर्टी के डॉक्युमेंट्स रिलीज करने से इनकार कर दिया और ये धोखाधड़ी करने वाले शख्स एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जस्टिस वैद्यनाथन ने कहा कि कोर्ट मानता है कि जालसाजी के लिए उंगलियां काटने जैसी सजा देनी चाहिए. जस्टिस वैद्यनाथ ने आगे कहा कि इस्लामी देशों में छोटी-मोटी चोरी के लिए भी हाथ या उंगलियां काटने जैसी सजाएं होती हैं. मैंने पढ़ा है कि ईरान में एक ऐसी मशीन प्रयोग किया जा रहा है जो चोरों की उंगलियां काट देती है. उन्होंने कहा ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश में ऐसा कोई कठोर कानून नहीं है कि फर्जी कागजात बनाने वालों के हाथ काट लिए जाएं. अगर कानून कठोर होगा तो लोग ऐसे अपराध करने की हिम्मत नहीं करेंगे.

क्या था मामला

ये मामला जालसाजी का था जिसमें प्रॉपर्टी वीवीवी नचियप्पन के परिवार की थी और पीएम एल्वारसन ने उनकी प्रॉपर्टी का फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाया था. एल्वारसन ने सैदापेट डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार और विरुगाम्बकम सब-रजिस्ट्रार को उसकी प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन नंबर देने और डॉक्युमेंट्स रिलीज करने का निर्देश देने के लिए याचिका दायर की थी. जिसको कोर्ट ने इसलिए रोक रखा था क्योंकि प्रॉपर्टी असल में वीवीवी नचियप्पन के परिवार की थी. जमीन से जुड़े हुए दस्तावेज जालसाजी कर बनाए गए थे. इस मामले को देखते हुए जस्टिस वैद्यनाथन ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट बस एक मूकदर्शक नहीं रह सकता और ऐसे लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि एल्वारसन में इतना दुस्साहस था कि उसने फर्जी दस्तावेज बनाने के बाद भी कोर्ट से अपने हक में फैसले की उम्मीद की. उन्होने उम्मीद जताई कि संबंधित अथॉरिटीज उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे.

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