- हादसे के बाद भी घरों में छोटे सिलेंडर पर पक रहा है खाना

- राजधानी में चार लाख से अधिक घरों में अवैध छोटे सिलेंडर

- स्टूडेंटस, बाहरी फैमलीज और लेबर यूज कर रहे हैं अवैध छोटू सिलेंडर

LUCKNOW: बाराबंकी के देवा में बुधवार को छोटे सिलेंडर में हुए विस्फोट में जहां आठ लोगों की मौत हो गई थी, वहीं नौ लोग घायल हो गए थे। उसके बाद भी राजधानी में इस तरह के सिलेंडर से घर-घर में खाना पकाया जा रहा है। ऑयल कंपनी और गैस वितरण से जुड़ी एजेंसियों के अधिकारियों ने बताया कि इस समय राजधानी में चार लाख से अधिक घरों में अवैध छोटे सिलेंडरों में खाना बनाया जा रहा है। ऐसे में कई परिवारों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है। जिम्मेदार अफसरों के पास इतना वक्त नहीं है कि शहर में यूज हो रहे इन अवैध सिलेंडर के उपयोग पर लगाम लगा सके।

कोई मानक निर्धारित नहीं

राजधानी में आईओसी, एचपी और बीपी के गैस कनेक्शन दिए जाते हैं। एलपीजी कनेक्शन देने वाली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शहर में मात्र 12 लाख कनेक्शन ही घरेलू हैं। इसके अलावा अधिकांश घरों में छोटे सिलेंडर के कनेक्शन का ही प्रयोग हो रहा है। सुरक्षा को देखते हुए कंपनियों ने कई बार डीएम को पत्र लिख कर इन अवैध सिलेंडर्स को मार्केट से बाहर करने की मांग की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरठ और गाजियाबाद जैसे इलाकों में इन सिलेंडरों ने कारखाने बना लिए है। टीन की चादर से बनने वाले इन गैस सिलेंडर के लिए उनके यहां कोई मानक निर्धारित नहीं है। उपभोक्ताओं को इसमें किसी तरह की सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है।

लांच किये थे छोटे सिलेंडर, मगर

आईओसी के अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो सिटीज के लिए छोटे सिलेंडर की शुरुआत हुई थी। आईओसी, एची और बीपी तीनों ने ही कंपनियों ने पांच किलो के सिलेंडर लांच किए। हमारे यहां कनेक्शन लेने वाले को आईडी और सिक्योरिटी मनी जमा करनी पड़ती है। लेकिन अब इसके नियमों में बदलाव आ चुका है। आईडी देने वाले को सब्सिडी वाला पांच किलो का सिलेंडर दिया जाता है। जिनके पास आईडी नहीं है, उन्हें नॉन सब्सिडी वाला सिलेंडर दिया जाता है। पांच किलो का सब्सिडी वाला सिलेंडर जहां 230 का है, वहीं नॉन सब्सिडी वाला सिलेंडर 320 का है। जबकि अवैध सिलेंडरों में 100 रुपए में गैस की रिफिलिंग की जाती है। ऐसे में एक सिलेंडर की कीमत 500 रुपए पहुंच जाती है। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि पांच किलो का कनेक्शन लेने वाले व्यक्ति को पहली बार सिक्योरिटी मनी, गैस पाइप और चूल्हा लेना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त छोटे सिलेंडर की बिक्री के लिए हमारी भी दुकानें मौजूद हैं। सिलेंडर खाली होने पर यहां पर सिलेंडर बदला जा सकता है।

अवैध तरह से होती है रिफिलिंग

कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि साउथ में मार्केट में बिकने वाला सिलेंडर पूरी तरह से बैन है। इनका मार्केट सिर्फ यूपी में ही फलफूल रहा है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि राजधानी में अवैध तरीके से इन सिलेंडरों में रिफिलिंग की जाती है। वहीं, एलपीजी वितरण से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पांच साल पहले यहां पर इन सिलेंडर के खिलाफ अभियान चला था। उस समय आलमबाग, डंडइया और नाका से इस तरह के 4400 सिलेंडर जब्त किए गए थे। जबकि उस समय एक लाख सिलेंडर राजधानी में मौजूद थे। इस समय इनकी संख्या बढ़कर चार लाख के आस-पास पहुंच गई है।

पैट्रोमैक्स के चक्कर के मात खा गए अधिकारी

एलपीजी वितरण कंपनियों के अनुसार, हमारे यहां जो छोटा सिलेंडर मिलता है, उसमें डायरेक्ट चूल्हा नहीं लग सकता। बिना रेग्यूलेटर के इसको यूज नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा हमारे छोटे सिलेंडर में पेट्रोमैक्स की तरह नहीं जलाया जा सकता। लेकिन मार्केट में बिकने वाले अवैध छोटे सिलेंडर में डायरेक्ट चूल्हा लगा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर लोग इसमें से चूल्हा निकाल कर पेट्रोमैक्स की तरह यूज कर सकते हैं।

अवैध छोटे सिलेंडर की सेल को रोकने के लिए हमारे पास कोई अधिकार नहीं है। राजधानी में इन अवैध छोटे सिलेंडर का कारोबार तेजी से फैल रहा है। इस समय तीन लाख से अवैध अधिक सिलेंडर का प्रयोग हो रहा है।

- अजय वाजपेई

अध्यक्ष, लखनऊ एलपीजी वितरण संघ

लोगों की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होगा। मार्केट में मौजूद अवैध सिलेंडरों की बिक्री पर सबसे पहले रोक लगाई जाएगी। जब मार्केट में यह मिलेंगे नहीं तो घर तक कैसे पहुंचेंगे।

- अनिल सिंह

एडीएम आपूर्ति

राजधानी में एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या

- सब्सिडी वाले 14.5 केजी के 12,00,000 (इसमें आईओसी, एचपी और बीपी तीनों कम्पनियां के कनेक्शन शामिल हैं)

- सब्सिडी वाले 5 किलो के 700 कनेक्शन

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- पांच किलो वाले अवैध सिलेंडर की संख्या 3,00,000 से अधिक

- राजधानी के विभिन्न इलाकों में इन सिलेंडरो को बेचने में शामिल हैं 187 दुकानदार

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- उज्जवला की शुरुआत

एलपीजी सिलेंडर की उपभोक्ताओं को आसानी से मिल सके, इसके लिए जल्द ही उज्जवला योजना लांच की जाएगी। यूपी में इस योजना की शुरआत बलिया से होगी। इसमें जहां गरीबों को सिक्योरिटी मनी में राहत दिए जाने की तैयारी हैं वहीं कनेक्शन के लिए भी प्रोसेज आसान किया जाएगा।