-टी स्टॉल व कॉफी हाउस पर शुरू हुई चुनावी चर्चा

-अपने नेता पर ही भड़के एक पार्टी के कुछ कार्यकर्ता

-यहां तो बस डिवाइड एंड रूल की पॉलिटिक्स है

ALLAHABAD: संसद से लेकर सिटी के सड़कों, टी-कॉफी स्टाल व जूस कार्नरों पर चुनावी दंगल शुरू हो गई है। पॉलिटिशियन जहां मैदान में आने को तैयार हैं, वहीं पब्लिक भी इस बार अवेयरनेस के साथ नेताओं को सबक सिखाने के मूड में है, गुस्से में है। पब्लिक का यह गुस्सा अब सामने आने लगा है। जहां चार लोग मिल रहे हैं, वहीं चुनावी बहस शुरू हो जा रही है। हल्के मूड के साथ शुरू हुई बहस अचानक माहौल में गरमी भर दे रही है। पब्लिक का कुछ ऐसा ही मूड मंडे को सुभाष चौराहा के पास स्थित कॉफी हाउस के पास दिखाई दिया। आई नेक्स्ट रिपोर्टर भी पब्लिक के मूड और चर्चा में शामिल हो गया। फिर क्या था, शुरू हुई गर्मा-गरम बहस।

जब शुरू हुई देश की बात

ऑफिस के काम से थक कर मूड फ्रेश करने कॉफी हाउस पहुंचे स्टेट गवर्नमेंट के चार इम्प्लाई अचानक पॉलिटिक्स पर बात करने लगे। बात शुरू हुई, पार्टियों के एजेंडे से। विवेक ने कहा अमा, पता है नमो-नमो वाले तो गजबै दावा और वादा कर रहे हैं। तुमका का लग रहा है, उ कर पाई। अतुल देखो यार तुम्हारी बात तो सही है, लेकिन उसकी बातों में दम है। तभी कॉफी की चुस्की ले रहे शशांक भी चुप नहीं बैठ पाए, तपाक से बोले, अमा पंजे वाले को कमजोर मत समझो।

लगाई लो बाजी, हमार बात सही निकली

शशांक की बात को काटते हुए अतुल ने कहा देखो तुम चाहे जो कहो, लेकिन बाजी लगाई लो, अबकी वही होई, जउन हमने कहा। काहे कि देश की राजनीति का समीकरण बदल गया है। यह बदलाव इस बार जरूर देखने को मिलेगा। चार लोगों के बीच शुरू हुई बातचीत में पास में खड़े दो और लोग शामिल हो गए। जिनमें एक रिटायर्ड कर्मचारी तो दूसरे व्यापारी थे। दोनों चारों दोस्तों की बात में अचानक शामिल हो गए, और बोला राहुल को कमजोर मत समझो। उस बंदे में भी दम है। मोदी प्रेमी ने कहा चार राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद भी आप राहुल को कैसे बीस बता रहे हैं। चुनाव की कमान तो राहुल ही संभाल रहे थे।

अमा, कोई तो इनको राजनीति सिखाओ

शशांक ने फिर अपनी बात रखते हुए कहा, अमा कोई तो इस देश के नेताओं को राजनीति करना सिखाओ। हर कोई अपनी ढपली अपना राग अलाप रहा है। पब्लिक के मुद्दों और सरोकारों से किसी का कोई लेना-देना नहीं है। क्या ऐसे राजनीति होती है। ऊ आप वाला तो गजबै निकला, यार अभी दिल्ली की राजनीति में जो बदलाव देखने को मिला, वह देश के लिए मिशाल है। गजबै निकला ऊ आप वाला का अइसे सरकार चलती है। एक बात को लेकर सरकार गिरा दी, इस्तीफा दे दिया।

अबकि कार्यकर्ता ओनका बतइहैं

कॉफी हाउस के पास ही तीन लोगों का एक और गुट खड़ा था जो इलाहाबाद की लोकल राजनीति पर चर्चा कर रहा था। तीनों व्यक्ति एक पार्टी के दिग्गज नेता पर ताने कस रहे थे। कहा ओनका देखो, जऊन पार्टी ने बत्ती दिया, अब उहै पार्टी से मुह मोड़ रहे है। जबकि जउन हैसियत ओनका है, कऊनौ और नेता का नहीं है।

हम त गुरु तय कर लिया

चार दोस्तों की चर्चा में शामिल हुए व्यापारी ने कहा, हम त गुरु तय कर लिया, कि अबकी किसको वोट देना है। वोट उसी को दोना है, जो सब को जोड़ने की बात करे।