ष्ठरुङ्ख बचा रहा है पानी

-वॉटर क्राइसिस की समस्या से दूर है कैंपस

-डेली शुद्ध होता है 3.89 एमएलडी वेस्ट वॉटर

-रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का भी है इंतजाम

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जहां शहर का एक तिहाई हिस्सा वॉटर क्राइसिस से जूझ रहा है। वहीं दूसरी ओर डीएलडब्ल्यू इस परेशानी से दूर है। इसकी वजह भी है कि यहां यूज होने के बावजूद पानी वेस्ट नहीं होता। परिसर में मौजूद अलग-अलग श्रोतों से पानी को शुद्ध कर उसे फिर से प्रयोग में लिया जाता है। सिर्फ कैंपस में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान्ट से ही डेली 3.89 एमएलडी वॉटर शुद्ध किया जाता है। इस काम के लिए वर्ष 2002 में इंडियन रेलवे के प्रोडक्शन यूनिट डीएलडब्ल्यू को आईएसओ :14001, 2004 सर्टिफिकेट भी प्राप्त हुआ है।

डेली 14.49 रूरुष्ठ की खपत

डीएलडब्ल्यू में रोजना 14.49 एमएलडी वॉटर की खपत होती है। इम्प्लॉई क्वाटर्स, ऑफिस, वर्कशॉप, स्पो‌र्ट्स ग्राउंड, स्विमिंग पूल और तालाब में सबसे ज्यादा पानी का यूज होता है। प्रोडक्शन यूनिट होने से पानी की डिमांड कभी-कभी काफी बढ़ जाती है। डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड पर गौर करें तो डीएलडब्ल्यू में वॉटर क्राइसिस की समस्या अब तक नहीं हुई।

एग्रीकल्चर, बागवानी में लेते हैं यूज

एसटीपी और आईईटीपी से रिसाइक्लिंग से वेस्ट पानी को शुद्ध किया जाता है। जिसे बाद में एग्रीकल्चर वर्क और बागवानी के यूज में लाया जाता है। इसके अलावा डीएलडब्ल्यू से निकलने वाला पानी किसी नदी में नहीं गिराया जाता। वहीं रिसाइक्लिंग के बाद निकलने वाले आर्गेनिक पार्ट से बागवानी होती है। यहां एसटीपी और आईईटीपी के मानकों की ऑनलाइन निगरानी की जाती है। जो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन पर आधारित है।

ग्राउंड वॉटर रिचार्ज सिस्टम

ग्राउंड वॉटर का लेवल न गिरे, इसके लिए यहां ग्राउंड वॉटर रिचार्ज सिस्टम की व्यवस्था की गयी है। जिसके तहत यहां 424 से अधिक सोकपिट और 41 डीप रिचार्ज वेल का निर्माण किया गया है। इसके अलावा यहां सभी विभागों की छतों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाये गये हैं। साथ ही यहां जल की शुद्धता के लिए मौजूद सरोवर व कुंड में अब किसी भी प्रकार की प्रतिमा के विसर्जन पर रोक लगा दी गयी है।

हाईलाइटर

14.49

एमएलडी पानी की खपत डेली

4200

से ज्यादा हैं वर्कर

424

सोकपिट हैं कैंपस में वॉटर रिचार्ज के लिए

41

हैं डीप रिचार्ज

वर्जन

पानी को बचाने के लिए डीएलडब्लयू में व्यापक स्तर पर प्रयास होते रहे हैं। जो राष्ट्र के जल संरक्षण की मुहिम को गति दे रहा है। आगे भी ऐसे प्रयास किये जाएंगे।

नितिन मेहरोत्रा, सीपीआरओ, डीएलडब्ल्यू