- वीडीए और किसानों के बीच विवाद के चलते प्रोजेक्ट अधर में

- 15 साल बाद भी अधिग्रहित जमीनों पर वीडीए नहीं ले पाया कब्जा

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मोहनसराय में बनने वाली ट्रांसपोर्ट नगर योजना वीडीए व किसानों के बीच विवाद के चलते अधर में लटक गई है। फैक्ट यह है कि 15 साल बाद भी जमीन पर कब्जा न मिलने पर अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अफसरों का कहना है कि किसानों ने मुआवजा ले लिया है, लेकिन जमीन देने को तैयार नहीं हैं। किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अगर योजना पांच साल में विकसित होकर नहीं लागू होती है तो स्वत: निरस्त मानी जाएगी। वहीं वीडीए ने पुराने रेट पर जमीनें खरीदी हैं। जबकि जमीनों का रेट बढ़ गया है। ऐसे में नई दर के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए।

ट्रैफिक कम करना था मकसद

शहर के कारोबार को देखते हुए वीडीए ने मोहनसराय के आसपास बैरवन, सरायमोहन, कंकनाडाडी और मिल्कीचक गांवों के करीब 89 हेक्टेयर जमीन पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का प्रस्ताव बनाया। इसका मकसद शहर में बढ़ रहे ट्रैफिक लोड को व्यवस्थित करना था। अप्रैल 2003 में इन गांवों के किसानों से 45 हेक्टेयर जमीन खरीद ली गई, लेकिन दूसरे किसानों ने जमीन देने की बजाय आंदोलन शुरू कर दिया। विरोध के चलते वीडीए जमीनों पर कब्जा नहीं ले पाया।

शासन को भेजे थे तीन विकल्प

वीडीए ने शासन को पत्र लिखकर किसानों की जमीन वापस करने, उनसे मुआवजा वापस लेने या फिर किसी दूसरी जगह बनाने का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन उच्चाधिकारियों ने इसे लौटा दिया। साथ ही योजना को पूरा करने का निर्देश दिया। वीडीए की दिक्कत है कि कई बार बुलाने के बावजूद किसान नेता बातचीत के लिए नहीं तैयार हो रहे हैं। जबकि इस मामले का हल बैठकर ही हो सकता है।

एक नजर

- 82 करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत

- 37 करोड़ की खरीदी गई जमीन

- 1194 किसानों की ली गई जमीन

- 89 हेक्टेयर जमीन पर होगा निर्माण

- 45 हेक्टेयर जमीन हुई अधिग्रहित

- 50 फीसदी किसानों ने लिया मुआवजा

ट्रांसपोर्ट नगर के लिए अधिग्रहित जमीनों पर हर हाल में कब्जा लिया जाएगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है।

राजेश कुमार, वीसी, वीडीए