-नगर निगम के पॉलीथिन के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर कारोबारी उठा रहे सवाल

-बिना माइक्रो मीटर के चेक हो रही शहर में पॉलीथिन, धुआंधार हो रहा व्यापारियों पर जुर्माना

-रोजाना हो रही दुकानदारों व निगम कर्मियों में किचकिच

शहर में अब पालीथिन बैन प्रभावी हो गया है। 15 जुलाई से 15 अगस्त तक की डेट कारोबारियों को दी गई थी कि स्टॉक में पड़े पॉलीथिन को नगर निगम को सौंप दे। इसकी जांच-पड़ताल को नगर निगम की पांच टीम गठित भी हुई और धुआंधार एक माह तक चेकिंग अभियान चला। 50 माइक्रॉन से कम के पॉलीथिन जब्ती अभियान में निगम कर्मचारियों व व्यापारियों में कई बार विवाद भी हुआ। हैरान करने वाली बात यह है कि स्मार्ट सिटी पर काम करने वाले नगर निगम को पॉलीथिन टेस्ट करने के लिए एक अदद टेस्टिंग मशीन माइक्रो मीटर तक नहीं दी गई। बिना मशीन के ही निगम कर्मचारियों ने 50 और 51 माइक्रॉन की घोषणा करते रहे। सिर्फ हाथ से छू करके ही पॉलीथिन का प्रमाण दे रहे। निगम कर्मचारियों के जांच के इस तरीके पर कारोबारियों ने विरोध दर्ज कराया है।

लेटर पर शासन चुप

एक ओर जहां पॉलीथिन बैन को प्रभावी बनाने के लिए तमाम तरह के प्रचार-प्रसार हुए लेकिन पॉलीथिन टेस्टिंग मशीन के लिए भेजे गए लेटर पर शासन की कोई टिप्पणी नहीं आई। यह भी सोचने वाली बात है कि स्वच्छता रैंकिंग में उछाल लाने वाले बनारस शहर को लेकर शासन गंभीर है भी या नहीं। नगर आयुक्त डॉ। नितिन बंसल से लेकर पॉलीथिन कैम्पेन के नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ। एके दूबे ने कई बार माइक्रो मीटर और गेज मीटर मशीन की डिमांड शासन से किया है।

बैन को धता बता रहा स्टाम्प

निगम कर्मचारियों की ओर से 50 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन पर बैन का मुहर लगाया रहा जा है लेकिन उसमें ऐसे कितने कारोबारी है जो खेल भी कर रहे हैं। मार्केट में 51 माइक्रॉन की पॉलीथिन भी उतर गई है। कई दुकानों पर देखने को मिल रहा है लेकिन उसमें खेल यह हो रहा है कि 50 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन पर 51 माइक्रॉन का मुहर लगाकर खपा रहे हैं। इसे लेकर व्यापारियों में भी असमंजस की स्थिति है। क्योंकि निगम के पास तो माइक्रो मीटर भी नहीं है, जिससे कि पता चले कि पॉलीथिन कितने माइक्रॉन का है।

रोजाना हो रही है नोकझोंक

पंद्रह जुलाई के बाद से शुरू हुई पॉलीथिन पर कार्रवाई को लेकर निगम कर्मी भी थोड़े असहज महसूस कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि पॉलीथिन को जब्त करने का जो मानक तय किया गया है उसका ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी को लेकर कर्मचारियों और व्यापारियों में रोजाना नोकझोंक हो रही है।

इन विभागों ने नहीं ली जिम्मेदारी

नगर निगम के अलावा पॉल्यूशन कंट्रोल, डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन, पुलिस, यूपी जलनिगम (गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई), वीडीए, जलकल, जिला नगरीय विकास अभिकरण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, वैकल्पिक ऊर्जा, उद्यान समेत डेढ़ दर्जन विभागों को कार्रवाई की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन माइक्रो मीटर नहीं होने से आज तक किसी भी विभाग ने अभियान नहीं चलाया।

यह है शासनादेश

-पंद्रह जुलाई से पंद्रह अगस्त और दो अक्टूबर तक 50 माइक्रॉन से नीचे के पॉलीथिन कैरी बैग की बिक्री और यूज पर पूर्णतय बैन।

-पंद्रह अगस्त के बाद थर्माकोल से बने कप-प्लेट, गिलास का भी यूज कर सड़क पर फेंकना रहेगा प्रतिबंधित

-दो अक्टूबर तक पैकिंग पॉलीथिन फिलहाल नहीं आ रहे हैं कार्रवाई की जद में

एक नजर

19

विभागों को मिली है पॉलीथिन मुक्त बनारस बनाने की जिम्मेदारी

1.40

लाख रुपये दुकानदारों से वसूला गया जुर्माना पॉलीथिन के खिलाफ अभियान के दौरान

1.65

कुंतल प्लास्टिक निगम ने किया जब्त

85

दुकानदारों का एक पखवारे में कटा चालान

1500

से ज्यादा दुकानों की जोनवार हुई चेकिंग

निगम कर्मियों को पता कैसे चल रहा है कि कौन सी पॉलीथिन कितने माइक्रॉन की है। सिर्फ अंदाज से कार्रवाई कर रहे हैं। इस पर लगाम लगना चाहिए।

प्रतीक गुप्ता, अध्यक्ष

विशेश्वरगंज भैरोनाथ व्यापार मंडल

दुकानदारों को सिर्फ प्रताडि़त किया जा रहा है। दुकानदार खुद 50 माइक्रॉन से कम के पॉलीथिन स्वेच्छा से जमा कर आए हैं। निगम कर्मचारी अभियान के नाम पर शोषण कर रहे हैं।

जय निहलानी, अध्यक्ष

युवा काशी बिस्कुट एंड कान्फेक्शनरी व्यापार मंडल

अभियान के नाम पर दुकानदारों से जुर्माना वसूला जा रहा है। बिना किसी गेज मीटर के पॉलीथिन की चेकिंग की जा रही है। व्यापारियों में पॉलीथिन को लेकर उहापोह जैसी स्थिति है।

प्रेम मिश्रा, अध्यक्ष

महानगर उद्योग व्यापार समिति

माइक्रो मीटर व गेज मीटर के लिए शासन को कई बार लेटर लिखा जा चुका है। वैसे 50 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन बेचने या भंडारण पर कार्यवाई की जा रही है।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त