-प्रवासी भारतीय सम्मेलन को अद्भुत बनाने में जुटा पर्यटन विभाग

-एनआरआई को पूर्वजों के साथ आस्था से भी जोड़ने की हुई पहल

VARANASI

देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन को अद्भुत और अलौकिक बनाने में पर्यटन विभाग भी जुट गया है। विभाग ने प्रवासी भारतीयों को पूर्वजों के साथ आस्था से भी जोड़ने की पहल की है। यानी धर्म के अनुसार उनके दार्शनिक स्थल और देवताओं का दर्शन कराया जाएगा। इसके साथ ही प्रवासी यदि चाहेंगे तो विभाग की ओर से उनके धर्म से जुड़े परिवार में उन्हें ठहराया जाएगा।

सभी धर्मो का संगम है काशी

काशी सभी धर्म और सम्प्रदाय का संगम स्थल है। यहां गंगा, काशी विश्वनाथ, संकट मोचन, कालभैरव मंदिर के अलावा सारनाथ, जैन मंदिर, गुरुद्वारा, संत रविदास मंदिर, बहादुर शहीद और कैंटोन्मेंट चर्च का धार्मिक महत्व है। सारनाथ बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल है। यहीं पर भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था। यहीं पर तिब्बती संस्थान भी है। गुरुबाग स्थित गुरुद्वारे में गुरुनानक देव और नीचीबाग गुरुद्वारे में गुरुतेग बहादुर ठहरे थे। इसी तरह भेलूपुर स्थित मंदिर जैन धर्म का तीर्थस्थल है। कैंट स्थित बहादुर शहीद और राजघाट के चंदन शहीद ऐतिहासिक स्थल हैं। शहर में मौजूद चर्च भी ईसाइयों के लिए दार्शनिक स्थल हैं। सीरगोवर्धन में रविदास जी की जन्मस्थली व कबीरदास जी का जन्म स्थान लहरतारा है।

दार्शनिक स्थलों से कराएंगे रूबरू

पर्यटन विभाग उप्र के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा बताते हैं कि प्रवासी सम्मेलन में सभी सम्प्रदाय के लोगों का आगमन होगा। हिन्दूओं को उनकी डिमांड पर मंदिरों और मठों में भ्रमण कराया जाएगा। इसी तरह सिखों को उनके धार्मिक स्थल, जैन को उनके तीर्थस्थान, बौद्ध को सारनाथ, मुस्लिम को उनके ऐतिहासिक स्थल से रूबरू कराया जाएगा। इसके लिए विभाग ने गाइड और कार की व्यवस्था की है।

सम्प्रदाय विशेष के यहां भी व्यवस्था

अविनाश चंद्र मिश्रा बताते हैं कि जिला प्रशासन की अपील पर शहर के 550 परिवारों ने प्रवासियों के ठहरने के लिए अपना घर ऑफर किया है। जो विभिन्न सम्प्रदाय और प्रोफेशन के हैं। प्रवासियों के कहने पर उनके धर्म से जुड़े परिवार में उन्हें ठहराया जाएगा। साथ ही उनके प्रोफेशन का ख्याल रखा जाएगा। अगर कोई प्रवासी डॉक्टर है तो उसे किसी डॉक्टर के यहां ठहराया जाएगा। उद्यमी है तो व्यवसायी के यहां।