-अनुसूचित जाति के लोगों को पं। दीनदयाल योजना के तहत स्वरोजगार के लिए लोन देने की हुई है शुरुआत

-बैंक अधिकारी महीनों से दबाए बैठे हैं 407 प्रार्थना पत्र, लोन के लिे आवेदक काट रहे चक्कर

VARANASI

स्वरोजगार की राह में खुद बैंक ही रोड़ा बन गए हैं। बेरोजगारों की ओर से लोन लेने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों को बैंक अधिकारी महीनों से दबाए बैठे हैं। फाइनेंशियल इयर के दौरान बीते साल दिसम्बर तक वित्त एवं विकास निगम ने बैंकों को देने के लिए 926 आवेदन भेज दिया है, लेकिन बैंकों ने महज 441 आवेदनकर्ताओं को ही लोन उपलब्ध कराया। अब भी 407 आवेदन पेंडिंग पड़े हैं, ऐसे में ये आवेदक बैंकों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

15 लाख तक लोन की सुविधा

उप्र अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड ने अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए पं। दीन दयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत 20 हजार से लेकर 15 लाख रुपये तक बैंक के माध्यम से लोन देने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसमें दस हजार रुपये का अनुदान, योजना लागत का 25 फीसद मार्जिन मनी लोन (एक लाख से ऊपर) चार फीसद दर पर तथा शेष धनराशि बैंक ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। इसकी अदायगी तीन साल में करनी होती है। बाकी धनराशि बैंक लोन के रूप में प्रदान करता है।

यह है योजना की पात्रता

योजना का लाभ लेने के लिए अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जिले का स्थाई निवासी होना चाहिए। योजना के तहत पूर्व में कोई अनुदान प्राप्त न किया हो। आधार कार्ड धारक हो। साथ ही उसकी वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम 46,080 रुपये व शहरी क्षेत्र में 56,460 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। जाति व आय प्रमाण पत्र सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया होना चाहिए।

बैंकों में 407 ऋ ण आवेदन लटके

जिले की विभिन्न बैंक शाखाओं में करीब 407 प्रार्थना पत्र लटके हुए हैं। नियमानुसार बैंकों में इनका निस्तारण एक माह के अंदर हो जाना चाहिए, लेकिन बैंकों में छह माह से अधिक समय से पड़े इन प्रार्थना पत्रों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

बैंकों में लंबित प्रार्थना पत्र

1. काशी गोमती 119

2. यूनियन बैंक 76

3. इलाहाबाद बैंक 38

4. स्टेट बैंक 78

5. एसबीआई 45

6. सेंट्रल बैंक 22

7. बैंक ऑफ इंडिया 07

8. कारपोरेशन बैंक 07

9. पीएनबी 15

वर्जन-

अमूमन बैंक लोन देने में आनाकानी करता है। पेंडिंग केस के बारे में बातचीत करने पर आवेदनकर्ता की इंक्वायरी का हवाला देते हैं। अभी कुछ दिन पहले डीएलआरसी की बैठक में डीएम ने बैंकों को सख्त लहजे में कहा था कि लोन देने में कोई बहाना बाजी नहीं चलेगी।

-प्रमोद सिंह, समाज कल्याण अधिकारी