-बड़ागांव में नौकरी न मिलने से परेशान B.Ed पास युवक ने किया सुसाइड

-15 मई को थी साले की शादी, हाथ खाली होने से था परेशान

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VARANASI : बड़ागांव इर्सीपुर गांव के रहने वाले साहब लाल कन्नौजिया ने मेहनत से और लगन से हायर एजुकेशन हासिल किया। बीएड की डिग्री हाथ आई तो उम्मीद को पंख लग गए। उसने सपना देखा कि अच्छी नौकरी करेंगे, अच्छी जिंदगी होगी। लेकिन सपना टूट गया। काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी नौकरी नहीं लगी। बेरोजगारी से तनाव ने बुरी तरह से घेर लिया। इसी बीच ससुराल में साले की शादी आ पड़ी। खाली हाथ वहां कैसे जाएं, इससे परेशान होकर साहब ने जिंदगी से ही तौबा करने का फैसला ले लिया। उसने फांसी लगाकर जान दे दी। शनिवार की सुबह देर तक कमरे से बाहर नहीं निकला तो परिजनों को उसके मौत के बारे में पता चला।

बड़ी हो गयीं जिंदगी की जरूरतें

साहब लाल कन्नौजिया (फ्0 वर्ष) चार भाइयों में दूसरे नम्बर का था। उसके नाम महज साढ़े तीन बिस्वा जमीन थी। उसे मालूम था कि जिंदगी जीने के लिए यह जमीन छोटी है। उसने खुद को काबिल बनाकर एजुकेशन के दम पर सबकुछ हासिल करने की ठानी। वक्त के साथ डिग्रियां बटोरता गया। इस बीच शादी हो गयी और बेटा भी हो गया। पहले तो अकेले था अब तीन जिंदगियों की जरूरतें उसे पूरी करनी थी। साहब लाल को जब लगा कि उसे अपनी डिग्रियों की बदौलत अच्छी नौकरी मिल सकती है तो तलाश में निकल पड़ा। एक शहर से दूसरे तक दौड़ लगाता रहा लेकिन जॉब हासिल नहीं हो सकी। इससे वह मायूस हो गया।

साले की शादी में जाना था

साहब लाल कन्नौजिया के साले की शादी पंद्रह मई को थी। इसमें शामिल होने के लिए पत्‍‌नी चार दिन पहले एक साल के बेटे को लेकर जौनपुर स्थित मायके चली गई थी। साहब लाल को भी शादी में जाना था। खाली हाथ कैसे जाए यही सोचकर परेशान था। इसी उधेड़बुन में उसने शुक्रवार की रात भोजन भी नहीं किया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया। शनिवार सुबह जब वह देर तक कमरे से नहीं निकला तो बड़े भाई की बेटी कमरे में गई। कमरे में पहुंचते ही वह चीख पड़ी। साहब लाल की लाश बिजली के तार के सहारे कमरे में लटक रही थी। पड़ोसियों की मदद से शव को उतारा गया।