- सिटी में पॉपुलेशन के कम्पेरिजन में इलेक्टर्स का रेशियो मानक से भी ज्यादा

- एक ही वोटर के नाम दो से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में दर्ज

- फर्जी मतदान की आशंका ने इलेक्शन ऑफिसर्स की उड़ाई नींद

abhishek.mishra@inext.co.in

KANPUR : वोटर्स की बढ़ती संख्या किसी भी डिस्ट्रिक्ट के लिए खुशी की बात होती है, लेकिन कानपुर के अफसरों को यही खुशी अब टेंशन देने लगी है। वोटर्स की संख्या में लगातार इजाफे से शहर का इलेक्टोरल टू पॉपुलेशन आंकड़ा यानि ईपी रेशियो डिस्टर्ब हो गया है। इसका सीधा सा मतलब ये है कि वोटर लिस्ट से डुप्लीकेट वोटर्स की संख्या में कमी नहीं आई है। इस कारण ऑफिसर्स को सबसे ज्यादा फर्जी मतदान की चिंता सता रही है।

टेंशन की बड़ी वजह

असेम्बली इलेक्शन-ख्0क्ख् में शहर की कुल आबादी और वोटर्स का रेशियो म्म्.8फ् परसेंट था। तब कानपुर के ब्भ्7ख्9भ्क् लोगों में वोट देने वालों की संख्या फ्0भ्77क्क् थी। अब दो साल बाद लोकसभा चुनाव तक यही ईपी रेशियो 70 परसेंट का आंकड़ा पार कर चुका है। बस यही बात चिंता का विषय बनी हुई है। इलेक्शन इंचार्ज व एडीएम फाइनेंस शत्रुघन सिंह ने बताया कि कानपुर में ईपी रेशियो म्8 परसेंट तक होना चाहिए। जबकि मौजूदा आंकड़े इससे भी ज्यादा हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि वोटर लिस्ट में सैकड़ों नाम अब भी गलत ढंग से जुड़े हुए हैं।

बहुत फर्क पड़ता है

अगर ईपी रेशियो ज्यादा है तो उससे चुनाव पर क्या असर पड़ेगा? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहेगा। इलेक्शन इंचार्ज शत्रुघन सिंह ने बताया कि ईपी रेशियो लिमिट से ज्यादा एक्सीड करने के साइड एफेक्ट भी हैं। यह साफ तौर पर माना जाएगा कि वोटर लिस्ट के लिए कानपुर से जो आंकड़े प्रोवाइड कराये गये हैं, वो अप टू द मार्क नहीं हैं। यानि आंकड़े जुटाने के लिए ग्राउंड वर्क किया ही नहीं गया। रिवीजन ड्राइव में वोटर का नाम तो नई विधानसभा में जोड़ दिया गया, लेकिन पुरानी जगह से नाम नहीं काटा गया। इसी का फायदा उठाकर उम्मीदवार व उनके समर्थक चुनाव में फर्जी मतदान करवाने से नहीं चूकते।

फिर जुड़ रहे नाम

फिलहाल, कानपुर की मौजूदा पॉपुलेशन म्0 लाख से भी ज्यादा बताई जा रही है। मानक से ख् परसेंट ज्यादा होने की वजह से डी-डुप्लीकेट वोटर्स की संख्या सीधे तौर पर क्.ख्0 लाख आ रही है। इधर, आयोग ने लोकसभा चुनाव से क्0 दिन पहले तक नाम जुड़वाने की प्रक्रिया दोबारा शुरू करवा दी है। चूंकि अब लिस्ट से नाम का डिलीशन नहीं हो सकता। लिहाजा वोटर्स के साथ ही ईपी रेशियो में भी इजाफा होना तय है। ऐसे में फर्जी मतदान की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

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बॉक्स

नीचे दिए गए डाटा से क्लियर है कि कैसे सभी असेम्बली एरिया में ईपी रेशियो तेजी से बढ़ रहा है।

असेम्बली पॉपुलेशन इलेक्टर्स ईपी रेशियो

बिल्हौर भ्क्0ख्ब्क् फ्ब्ख्म्फ्9 म्7.क्भ्

बिठूर ब्8म्ब्म्ख् फ्ख्ब्8ख्ख् म्म्.77

कल्याणपुर ब्ख्क्क्म्9 ख्9क्8ख्म् म्9.ख्9

गोविन्द नगर ब्भ्म्7फ्8 फ्क्9म्8ख् म्9.99

सीसामऊ ब्क्क्ब्म्भ् ख्ब्899ख् म्0.भ्क्

आर्यनगर ब्ख्भ्7ब्ख् ख्ब्ब्87फ् भ्7.भ्ख्

किदवई नगर ब्म्फ्म्97 फ्क्म्78क् म्8.फ्ख्

कानपुर कैंट ब्ब्90म्ब् ख्8म्8म्0 म्फ्.88

महाराजपुर भ्0ख्9म्8 फ्7997म् 7भ्.भ्भ्

घाटमपुर ब्ब्भ्ब्0भ् फ्0क्ख्म्0 म्7.म्ब्

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टोटल ब्भ्7ख्9भ्क् फ्0भ्77क्क् म्म्.8फ्

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(नोट : ईपी रेशियो परसेंट में। डाटा असेम्बली-ख्0क्ख् इलेक्शन के हैं.)

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वर्जन-वर्जन

आयोग के निर्देशों पर शहर में महज फ्0 हजार डी-डुप्लीकेट वोटर्स ही चिन्हित हुए हैं। फिर भी ईपी रेशियो ख् परसेंट ज्यादा है। मौजूदा पॉपुलेशन में करीब सवा लाख वोटर्स ज्यादा आ रहे हैं। यह चिंता का विषय है। इसे दोबारा क्रॉस चेक करवाया जा रहा है।

- शत्रुघन सिंह, इलेक्शन इंचार्ज कानपुर