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PATNA : 2 अक्टूबर यानी स्वच्छता भारत अभियान करीब में है। झाड़ू लेकर सेल्फी खिंचवाने की होड़ शुरू हो चुकी है। ऐसे में डीजे आई नेक्स्ट सफाई का सच उजागर करने जा रहा है। पटना को साफ करने के लिए हर 30 लाख रुपए की झाड़ू निगम खरीदता है। इसके बावजूद शहर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इसी गंदगी के कारण पटना स्मार्ट बनने में भी पीछे रहा।

-हर साल डीजल पर 18 करोड़ खर्च

नगर निगम सफाई उपकरण और केमिकल से कई गुना अधिक कूड़ा ढोने वाली गाडि़यों के डीजल में खर्च कर रहा है। सफाई के लिए झाड़ू, केमिकल, चूना आदि के बजट से पांच गुना ज्यादा 18 करोड़ रुपए हर साल सिर्फ डीजल पर खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा 4 करोड़ रुपए सड़क सफाई के अन्य मद में खर्च हो रहे हैं।

-सड़कों पर नहीं दिखती सफाई

शहर में ऐसी कई सड़के हैं जहां पर कभी भी निगमकर्मी सफाई करते हुए नहीं देखे जाते है और न ही कचरा उठाया जाता है। इसमें वार्डो के अलावा मुख्य और प्रधान सड़कें भी शामिल है। शहर के आधे से अधिक एरिया और सड़कें भी गंदगी से पटी रहती हैं। निगम ने सफाई के लिए 4200 कर्मचारी लगा रखे हैं। इन कर्मचारियों की ड्यूटी दो शिफ्टों में लगाई जाती है। कर्मचारियों के वेतन पर निगम हर साल 72 करोड़ सालाना खर्च किया जा रहा है। लेकिन शहर में जगह-जगह कूड़ा और कचरा फैला रहता है।

हमें शहर में साफ-सफाई खर्च में वार्षिक ब्यौरे की कोई जानकारी नहीं है। शहर में साफ-सफाई में खर्च बजट का हिसाब-किताब मुख्य कार्यालय से असंभव है।

विशाल आनंद, अपर नगर आयुक्त, निगम